Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
उच्चतर शिक्षा में कॉलेज स्वायत्तता की अवधारणा क्या है? - श्रीनारद मीडिया

उच्चतर शिक्षा में कॉलेज स्वायत्तता की अवधारणा क्या है?

उच्चतर शिक्षा में कॉलेज स्वायत्तता की अवधारणा क्या है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संस्थानों और महाविद्यालयों (कॉलेज) को पर्याप्त स्वायत्तता प्रदान करने की मांग बढ़ रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 एक ऐसे भविष्य की कल्पना करती है जहाँ कॉलेज स्वायत्त संस्थानों के रूप में विकसित होंगे, जिससे नवाचार, स्व-शासन और शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिये उनकी क्षमता में वृद्धि होगी। इस लक्ष्य को साकार करने के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अप्रैल 2023 में एक नया विनियमन पेश किया था। तब से स्वायत्त स्थिति की इच्छा रखने वाले कॉलेजों की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही है।

उच्च महाविद्यालय/उच्चतर शिक्षा के लिये NEP की अनुशंसाएँ:

  • सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio- GER):
    • उच्चतर शिक्षा में GER को वर्ष 2035 तक 50% तक बढ़ाया जाएगा। साथ ही, उच्चतर शिक्षा में 3.5 करोड़ सीटें जोड़ी जाएँगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में उच्चतर शिक्षा में GER 27.1% रहा था।
  • पाठ्यक्रम-सह-पाठ्यचर्या सुधार (Couses-Cum-Curriculum Reforms):
    • लचीले पाठ्यक्रम के साथ समग्र स्नातक शिक्षा 3 या 4 वर्षों की हो सकती है, जहाँ इस अवधि के भीतर कई निकास विकल्प और उचित प्रमाणीकरण शामिल होंगे।
    • एम.फिल पाठ्यक्रम बंद कर दिये जाएँगे और स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर के सभी पाठ्यक्रम अब अंतःविषयक (interdisciplinary) होंगे।
    • क्रेडिट के हस्तांतरण की सुविधा के लिये एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (Academic Bank of Credits) की स्थापना की जाएगी।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF):
    • उच्चतर शिक्षा में एक सुदृढ़ अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और अनुसंधान क्षमता के निर्माण के लिये एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी।
    • देश में बहु-विषयक शिक्षा के मॉडल के रूप में बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (Multidisciplinary Education and Research Universities- MERUs) स्थापित किये जाएँगे जो IITs, IIMs स्तर के होंगे और उच्चतम वैश्विक मानकों को प्राप्त करेंगे।
  • भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India- HECI):
    • चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर संपूर्ण उच्च शिक्षा के लिये एकल छत्र निकाय के रूप में HECI की स्थापना की जाएगी। सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थान विनियमन, मान्यता और शैक्षणिक मानकों के लिये एकसमान मानदंडों द्वारा शासित होंगे। इसके अलावा, HECI के चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र होंगे:
      • विनियमन के लिये राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद (National Higher Education Regulatory Council- NHERC)
      • मानक निर्धारण के लिये सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council- GEC)
      • वित्तपोषण के लिये उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council- HEGC)
      • मान्यता के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC)
  • कॉलेजों को स्वायत्तता:
    • कॉलेजों की संबद्धता को 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना है और कॉलेजों को श्रेणीबद्ध स्वायत्तता प्रदान करने के लिये एक चरण-वार तंत्र स्थापित किया जाना है।
    • समय के साथ, प्रत्येक कॉलेज से या तो एक स्वायत्त डिग्री-अनुदान देने वाले कॉलेज या किसी विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज के रूप में विकसित होने की उम्मीद की जाती है।

कॉलेज स्वायत्तता के लिये पात्रता मानदंड:

  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) द्वारा बताए गए नियमों एवं विनियमों के अनुसार निम्नलिखित श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले कॉलेज स्वायत्तता के पात्र होंगे:
    • किसी भी क्षेत्र/विषय का कोई HEI—सहायता प्राप्त/गैर-सहायता प्राप्त/आंशिक रूप से सहायता प्राप्त/स्व-वित्तपोषित—स्वायत्त स्थिति के लिये दावा कर सकता है यदि वह UGC अधिनियम की धारा 2 (f) के अंतर्गत आता है।
    • महाविद्यालयों ने कम से कम 10 वर्ष पूरे किये हों।
    • HEI को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) से मान्यता प्राप्त हुई हो।
    • राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NBA) से संबद्ध कॉलेज भी पात्र होंगे यदि वे 675 के न्यूनतम स्कोर के साथ तीन कार्यक्रम संचालित करते हैं।
    • मौजूदा HEIs जिनका लक्ष्य अपनी स्वायत्तता का दर्जा बढ़ाना हो, उन्हें इन पात्रता नियमों एवं शर्तों को अधिकतम पाँच वर्षों तक प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
    • NAAC/NBA/संबंधित प्रत्यायन में 3.0 और उससे अधिक स्कोर वाले HEIs को ऑन-साइट पीयर विजिट समिति के निर्णय के बाद स्वायत्तता देने पर विचार किया जाएगा।
    • NAAC/NBA/संबंधित प्रत्यायन में 3.6 एवं उससे अधिक स्कोर या एक चक्र में 3.5 का स्कोर और दूसरे चक्र में मान्यता प्राप्त करने वाले HEIs विशेषज्ञों द्वारा किसी भी ऑन-साइट दौरे के बिना इसके पात्र होंगे।
    • NAAC/NBA/संबंधित प्रत्यायन में 3.51 का पॉइंटर और 750 का स्कोर रखने वाले HEIs भी विशेषज्ञों द्वारा किसी ऑन-साइट दौरे के बिना इसके पात्र होंगे।
    • HEIs द्वारा कृत्य और भावना में इन UGC विनियमनों का पालन करना भी आवश्यक है, जैसे (a) कॉलेज में रैगिंग का कोई मामला नहीं (विनियमन 2012); (बी) HEI में समतामूलकता को बढ़ावा देना (विनियमन 2012); (c) उचित शिकायत निवारण (विनियमन 2012)।

कॉलेजों को स्वायत्तता देने का महत्त्व:

  • पाठ्यचर्या और शिक्षण पद्धतियाँ तैयार करना:
    • नवाचार को प्रोत्साहित करने, शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने और संस्थागत उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिये कॉलेजों को स्वायत्तता देना आवश्यक है। स्वायत्त कॉलेज छात्रों और उद्योगों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अनुकूल पाठ्यक्रम तैयार करने में सक्षम होंगे।
    • वे नई शिक्षण पद्धतियों और अनुसंधान पहलों के साथ प्रयोग कर सकते हैं, ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ा सकते हैं और सामाजिक विकास में योगदान दे सकते हैं।
  • संस्थागत दक्षता को बढ़ावा देना:
    • स्वायत्तता कॉलेजों के बीच जवाबदेही और ज़िम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देती है, क्योंकि उन्हें अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक निर्णयों पर अधिक स्वामित्व प्राप्त होता है।
    • यह सशक्तीकरण संस्थागत दक्षता को बढ़ाता है और कॉलेजों के भीतर गर्व एवं अस्मिता की भावना पैदा करता है, जिससे संकाय और कर्मचारियों को उत्कृष्टता के लिये प्रयास करने की प्रेरणा मिलती है।
  • NIRF रैंकिंग में सुधार:
    • वर्ष 2023 का राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढाँचा (National Institutional Ranking Framework- NIRF) भारत में कॉलेजों के प्रदर्शन के संवर्द्धन में स्वायत्तता की प्रभावशीलता के लिये एक आकर्षक मामला प्रस्तुत करता है।
    • ‘कॉलेज श्रेणी’ में शीर्ष 100 कॉलेजों में से 55 के स्वायत्त संस्थान होने के साथ, NIRF रैंकिंग अकादमिक उत्कृष्टता और संस्थागत प्रभावशीलता पर स्वायत्तता के सकारात्मक परिणाम के संबंध में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
      • इसके अलावा, वर्ष 2023 की NIRF रैंकिंग की कॉलेज श्रेणी से शीर्ष 10 कॉलेजों में 5 स्वायत्त कॉलेज शामिल रहे।
      • शीर्ष स्थानों में से पाँच पर स्वायत्त महाविद्यालयों की उपस्थिति अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के सफल दृष्टिकोण के रूप में स्वायत्तता का पक्षसमर्थन करती है।
  • कॉलेजों की स्वायत्तता बनाए रखने में राष्ट्रव्यापी रुचि:
    • भारत में उच्चतर शिक्षा तेज़ी से स्वायत्तता को अपना रही है जहाँ 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्वायत्त कॉलेजों की संख्या 1,000 तक पहुँचने की उम्मीद है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य इस प्रवृत्ति में सबसे आगे हैं, जहाँ कुल स्वायत्त कॉलेजों में 80% से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं।
    • स्वायत्तता में यह राष्ट्रव्यापी रुचि उन राज्यों में भी स्पष्ट है जहाँ स्वायत्त संस्थानों की संख्या कम है। यह उच्च शिक्षा पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव की बढ़ती मान्यता का संकेत देता है।
    • नवाचार को प्रोत्साहित करने, शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने और संस्थागत उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिये कॉलेजों को स्वायत्तता प्रदान करना आवश्यक है। स्वायत्त कॉलेज छात्रों और उद्योगों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने, ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने और सामाजिक विकास में योगदान देने के लिये अपने पाठ्यक्रम को रूपाकार प्रदान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्वायत्तता कॉलेजों के बीच जवाबदेही और ज़िम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देती है, संस्थागत दक्षता को बढ़ाती है और गर्व एवं अस्मिता की भावना पैदा करती है।

      वर्ष 2023 की NIRF रैंकिंग भारत में कॉलेजों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में स्वायत्तता की प्रभावशीलता की पुष्टि करती है। स्वायत्तता के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये एक जीवंत एवं गतिशील उच्चतर शिक्षा पारितंत्र सुनिश्चित करने के लिये हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!