सूडान का भारत से क्या है कनेक्शन?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आजादी के बाद का अधिकत्तर समय सूडान का सैन्य शासन और गृह युद्ध के बीच संघर्ष करते हुए बीता है। 1 जनवरी, 1956 को यह देश आजाद हुआ और तब से अब तक यह देश लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहा है। अरबी भाषा में काले लोगों का देश कहा जाने वाला सूडान दुनिया का सबसे गरीब देश है।
9 जुलाई, 2011 को सूडान से दक्षिण सूडान अलग हुआ और अपनी आजादी का उत्सव मनाया, लेकिन यह खुशी काफी कम दिनों की ही रही। यहां गृहयुद्ध ने दस्तक दी और लगभग चार हजार लोगों की जिंदगी का नामो-निशान मिट गया। हालात इतने खराब थे कि यहां के लोगों को अन्य देशों में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा। यहां की दो तिहाई आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ ने भी चेतावनी दी थी कि दक्षिण सूडान अब तक के सबसे बुरे मानवीय संकट से जूझ रहा है।
क्या है अभी के हालात?
माना जा रहा है कि अप्रैल, 2019 में ओमर अल बशीर की सरकार गिरने के बाद से यहां के हालात बिगड़ते चले गए। इस समय सूडान के अर्धसैनिक बल ‘रैपिड सपोर्ट फोर्स’ यानी आरएसएफ और वहां की सेना के बीच लड़ाई चल रही है। इस गृह युद्ध के बीच न केवल सूडान के नागरिकों बल्कि तीन हजार भारतीयों की भी जिंदगी दांव पर लगी हुई हैं।
इस हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सूडान का खार्तूम इस समय खतरों से भरा हुआ है। अभी सब के मन में यहीं सवाल है कि सूडान जो इतना गरीब देश हैं और जहां हिंसा हर समय दस्तक देती रहती है। वहां इतनी भारी संख्या में भारतीय की जनसंख्या क्यों है? सूडान में आखिर भारतीय क्या काम करते है?
भारतीयों को क्यों भाता है सूडान?
सूडान में अधिकत्तर भारतीय आयुर्वेदिक दवा बेचने का काम करते हैं। जड़ी-बूटियों से लेकर पेड़ पौधों से दवा बनाने का काम भारतीय बखूबी जानते है। इसी को देखते हुए कई भारतीय ज्यादा पैसे और रोजगार के लिए सूडान का रुख करते है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूडान में कर्नाटक के हक्की-पक्की जनजाति समुदाय के कई लोग मौजूद है और आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन को अफ्रीकी देशों में बेचते है। भारत और सूडान के बीच के अच्छे रिश्तों का ही नतीजा है कि भारतीयों की सूडान में साख है और इस देश के लोग भारतीयों पर बहुत भरोसा करते है।
मेडिकल साइंस पर सूडान को भरोसा
सूडान के कई लोग अपने इलाज के लिए भारत की यात्रा करते है। सूडान के लोगों को भारतीय मेडिकल साइंस से लेकर आयुर्वेदिक दवाओं पर काफी भरोसा है। जिस तरह से सूडान के हालात है, वहां की स्वास्थ्य प्रणाली काफी बदतर है। 2019 तक, सूडान में कुल 272 अस्पताल थे।
हैजा, हेपेटाइटिस, मेनिंगोकोकल मेनिन्जाइटिस, पीला बुखार से कई लोग वहां पीड़ित है। ऐसे में भारतीय आयुर्वेद दवाईयां, जड़ी बूटियां वहां के लोगों के लिए ईश्वर के वरदान जैसा है। जाहिर सी बात है कि आयुर्वेद की दवाओं के लिए न आपको अस्पताल की जरूरत है और दवाएँ भी घर बैठे मिल सकती हैं। यहीं एक बड़ा कारण हो सकता है कि भारतीय लोग सूडान जाते हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों के कई लोग सूडान में रहते है।
किसी भारतीय का बिजनेस तो कोई करता कंपनियों में काम
दक्षिण सूडान में भारतीय प्रवासी द्वारा साझा किए गए रिपोर्ट (https://indembjuba.gov.in/indian-diaspora-south-sudan.php) के मुताबिक, वर्तमान में, दक्षिण सूडान में लगभग 600-700 भारतीय नागरिक हैं। कुछ का दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में बिजनेस है, तो वहीं अन्य विभिन्न कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं।
भारतीय, चिकित्सा शिविर और रक्तदान शिविर करते है आयोजित
कुछ भारतीय नागरिक दक्षिण सूडान में ईसाई मिशनरी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों में भी काम करते हैं। इसके अलावा, लगभग 2,000 भारतीय सेना के शांति रक्षक कर्मी, 31 पुलिस अधिकारी और कुछ नागरिक अधिकारी UNMISS और UNPOL से जुड़े हुए हैं। जुबा में 2006 की शुरुआत में सबसे पहले होटल, बोरहोल कंपनियां, प्रिंटिंग प्रेस और डिपार्टमेंटल स्टोर खोलने वाले भारतीय ही थे। यहां भारतीय दक्षिण सूडानी समुदाय के लाभ के लिए, चिकित्सा शिविर और रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं।
किसी भी देश में जब कभी आपदाएं आती है तो भारत अपनों को बचाने के लिए पहली पंक्ति में खड़ा रहता है। दूसरे देशों में रह रहे भारतीयों को वहां से निकालने का भारत का एक लंबा इतिहास रहा है। हाल ही के समय में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के समय में भी यह देखने को मिला। रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होते ही जहां दुनिया के कई देश अपने नागरिकों की परवाह नहीं की वहीं, भारत ने अपने एक-एक नागरिक को युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकाला।
वर्तामान में पूर्वोत्तर अफ्रीका में स्थित देश सूड़ान में स्थिति नाजूक होने के बाद भारत ने अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपने वायुसेना और नौसेना को कमान सौंप दिया है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को बताया कि भारतीय वायु सेना के दो C-130J विमान को सऊदी अरब के जेद्दाह में स्टैंडबाय पर तैनात किया गया है, जबकि आईएनएस सुमेधा सूडान पहुंच गया है।
सूडान में सेना और अर्ध सैनिक बल के बीच संघर्ष जारी
मालूम हो कि सूडान में 15 अप्रैल से खार्तूम और अन्य क्षेत्रों में सूडानी सेना और अर्ध सैनिक बल (आरएसएफ) के बीच घातक सशस्त्र संघर्ष देख रहा है। सूडानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, शुक्रवार तक संघर्ष में 400 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 3,500 घायल हुए।
भारत ने शुरू किया था ‘ऑपरेशन गांगा’
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध से उपजे संकट के कारण भारत ने अपने नागरिकों को बचाने और उनको विदेशी जमीन से स्वेदश सुरक्षित बाहर निकालने के लिए भारत सरकार ने साल 2022 में ‘ऑपरेशन गांगा’ की शुरूआत की। यूक्रेन से जब भारतीय छात्रों को लेकर पहला फ्लाइट स्वदेश लौटी तो पीयूष गोयल खुद अगवानी करने के लिए पहुंचे थे। इस अभियान के द्वारा यूक्रेन में फंसे करीब 22,500 से अधिक नागरिकों को स्वदेश लाया गया था।
वंदे भारत मिशन
कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन को शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत 30 अप्रैल 2021 तक लगभग 60 लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश लाया गया। केंद्र के मुताबिक, एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानों से 18,79,968 भारतीयों ने वापसी की। वहीं, 36,92,216 लोगों ने चार्टर्ड उड़ानों के माध्यम से देश वापसी की। इस मिशन में भारतीय नौसेना ने अहम योगदान निभाते हुए अपनी जहाजों से 3,987 भारतीयों को स्वदेश लौटने में मदद की, जबकिर 5,02,151 को जमीनी सीमाओं के माध्यम से वापस लाया गया।
ऑपरेशन समुद्र सेतु
आपरेशन समुद्र सेतु कोरोना महामारी के दौरान अन्य देशों से भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए एक नौसैनिक अभियान था। इस अभियान के तहत 3,992 भारतीय नागरिकों को समुद्र के रास्ते वतन वापस लाया गया। भारतीय नौसेना के जहाज जलाश्व (लैंडिंग प्लेटफार्म डाक), और ऐरावत, शार्दुल और मगर (लैंडिंग शिप टैंक) ने इस आपरेशन में भाग लिया। यह अभियान करीब 55 दिनों तक चला और इसमें समुद्र के द्वारा 23,000 किमी से अधिक की यात्रा शामिल थी।
ऑपरेशन राहत
यमनी सरकार और हौथी विद्रोहियों के बीच साल 2015 में संघर्ष छिड़ गया। सऊदी अरब द्वारा घोषित नो-फ्लाई जोन होने के कारण हजारों भारतीय फंसे हुए थे और यमन हवाई मार्ग से सुलभ नहीं था। ऑपरेशन राहत के तहत भारत ने यमन से लगभग 5,600 लोगों को निकाला।
ऑपरेशन मैत्री
ऑपरेशन मैत्री को नेपाल में 2015 में आए भूंकंप के बाद चलाया गया था। इस अभियान के तहत सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में नेपाल से वायु सेना और नागरिक विमानों की मदद से 5,000 से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया। भारतीय सेना ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी के 170 विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला।
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