खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियों का कामसूत्र के साथ क्या है कनेक्शन ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मध्य प्रदेश के छतरपुर शहर का खजुराहो शहर भारत के पर्यटन मानचित्र में अहम स्थान रखता है क्योंकि देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी यहां घूमने के लिए आते हैं। धार्मिक पर्यटन के लिए विख्यात यह शहर यहां स्थित मंदिरों की वास्तुकला, भव्यता और स्थापित कामुक मूर्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है। भले धार्मिक स्थलों में ऐसी चीजें वर्जित मानी जाती हों लेकिन मंदिरों की दीवारों और खंभों पर लगी इन मूर्तियों में दर्शाई गई कामुकता सकारात्मक संदेश देने के लिए है।

यह मूर्तियां सेक्स की कला तो सिखाती ही हैं साथ ही कुछ लोग कामसूत्र के साथ भी इनका संबंध जोड़कर देखते हैं। सेक्स जीवन का एक अंग है, सच्चाई है और इसमें भी पवित्रता और संतुष्टि आवश्यक है, यह संदेश हमें यहां मिलता है।

क्यों जाएं खजुराहो?

खजुराहो में हर साल फरवरी के महीने में विश्व प्रसिद्ध खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन भी होता है हालांकि इस वर्ष कोरोना से उपजे हालात को देखते हुए इसका आयोजन नहीं हो सका है। खजुराहो के मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल हैं। खजुराहो के मंदिरों को इन कामुक मूर्तियों के कारण कामसूत्र मंदिरों के नाम से भी जाना जाता है।

देखा जाये तो हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसा वसंती पड़ाव जरूर आता है जब दुनिया के लोकाचारों से दूर अपनी रुमानी दुनिया को भरपूर जी लेने की इच्छा मन में प्रबल हो उठती है। नवविवाहित जोड़े अपने नए जीवन की शुरुआत किसी ऐसी अनूठी जगह पर करना चाहते हैं जहां न तो बड़े−बजुर्गों का परदा हो न ही छुप−छुपकर प्यार करने की मजबूरी।

विवाह के कई साल बाद नीरसता से भरी गृहस्थी में भी प्यार का रस भरने के लिए यह आवश्यक है कि एक बार फिर कहीं दूर अपनी रोमांटिक दुनिया तलाशी जाए। रोमांस के लिए वैसे तो भारत भर में कई जगहें हैं लेकिन खजुराहो एक ऐसी जगह है जहां कि आप दोनों घर की टेंशन से तो दूर होंगे ही साथ ही प्रेम−प्यार का इतिहास भी जान पाएंगे। जब प्यार की बात कहते हैं तो वैसे भी खजुराहो का ही नाम पहले स्थान पर आता है। काम कला की विभिन्न मुद्राओं में तराशी गई मूर्तियों को देखकर सहज ही कल्पना की जा सकती है कि भारतीय समाज पहले यौन संबंधों को लेकर कितना व्यापक नजरिया रखता था।

खजुराहो का इतिहास

खजुराहो को इतिहास प्रसिद्ध बनाने में चंदेल राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां स्थित मूर्तियों के बारे में कहा जाता है कि बौद्ध व जैन धर्मों के प्रभाव में आकर संन्यास की ओर प्रवृत्त होने वालों को दोबारा गृहस्थ जीवन से जोड़ने के लिए इन्हें बनाया गया। खजुराहो रोमांटिक जोड़ों के लिए सिकी स्वप्नस्थली से कम नहीं है। यहां श्रृंगार है, अभिसार है, नृत्य है और काम है। यहां पहुंचकर हर कोई रुमानी हो उठता है। इसलिए प्यार के रंग में यदि पूरी तरह डूबना हो तो खजुराहो से बढ़कर कोई जगह नहीं।

यहां पहुंचकर जब आप सैर को निकलेंगे तो रास्ते में पड़ने वाले मंदिरों और भवनों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे। यह भवन चाहे आज जीर्णशीर्ण अवस्था में हों लेकिन इनकी शिल्पकला की दाद तो आपको देनी ही पड़ेगी। शायद यही कारण है कि यहां पर आपको कोई न कोई शोधार्थी भी मिल ही जाएगा जोकि यहां उपलब्ध मंदिरों या भवनों में से किसी न किसी विषय पर शोध कर रहा होगा।

खजुराहो कैसे पहुँचे

हवाई मार्ग से आना चाहें तो खजुराहो हवाई अड्डा है जोकि छतरपुर से लगभग 45 मिनट की दूरी पर है। यह वाराणसी, दिल्ली और आगरा जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग से आना चाहें तो निकटतम रेलवे स्टेशन छतरपुर एवं खजुराहो रेलवे स्टेशन हैं जो मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह दिल्ली, ग्वालियर, आगरा, मथुरा, जम्मू, अमृतसर, मुंबई, बैंगलोर, भोपाल, चेन्नई, गोवा और हैदराबाद जैसे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

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