वर्ष 1665 में स्थापित सारण के जिला विद्यालय का अब कैसी है स्थिति!
स्कूल के अधिकांश भवन पर इस समय शिक्षा विभाग का ही कब्जा है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
छपरा शहर का ही नहीं, बल्कि सारण के जिला स्कूल का भी गौरवशाली इतिहास रहा है। स्कूल का विशाल भवन अपनी विरासत की गाथा बता रहा है। स्कूल अब समय के साथ अपना गौरव खो रहा है,क्यों?
यह भवन डच कंपनी के द्वारा 1665 के आसपास बनाया गया। डच कंपनी मूल रूप से नीदरलैंड (हॉलैंड) की रहने वाली कंपनी थी, जो भारत में अंग्रेजों से भी पहले 1602 ई में व्यापार करने आई थी। इसने सारण में भी अपना व्यापार प्रारंभ किया और 1665 से लेकर 1770 तक इसने सारण की धरती से शोरा का व्यापार किया। उन्होंने यहां के बच्चों के पढ़ने के लिए उक्त विद्यालय का निर्माण कराया जो आज भी स्थित है।
लेकिन अंग्रेजों द्वारा धीरे-धीरे सारण पर कब्जा करते हुए व्यापार से डच व्यापारियों को बाहर कर दिया गया और डच व्यापारी यहां से चले गए। परन्तु उनकी बनाई हुई भवन आज भी जिला स्कूल के रूप में छपरा नगर में स्थित है।
अब आप जब भी छपरा नगर जाएं तो एक बार इस विद्यालय को निहारे और उन डच व्यापारी कंपनियों को भी याद करें कि जिन्होंने यहां के बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के लिए कितना बड़ा एंव ऐतिहासिक कदम उठाया था।
आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद स्कूल में आगे के वर्ग में नामांकन के लिए एंट्रेंस परीक्षा देनी होती थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद इतने कुशाग्र बुद्धि के थे कि उन्हें आठवीं वर्ग से सीधे नौवीं वर्ग में प्रोन्नति कर दिया गया था। इस विद्यालय में राजेंद्र बाबू का नामांकन आठवीं कक्षा में हुआ था, जो उस वक्त का प्रारंभिक वर्ग था। जिसे अव्वल दर्जा का वर्ग कहा जाता था। उस समय आठवीं वर्ग से उत्तीर्ण होने के बाद इस स्कूल में नामांकन के लिए एंट्रेंस लिया जाता था।
स्कूल का लैब, लाइब्रेरी व कंप्यूटर कक्ष नहीं है बेहतर
जिला स्कूल का प्रयोगशाला, पुस्तकालय एवं कंप्यूटर कक्ष अब धीरे-धीरे बदहाल हो रहे हैं। उसे देखने वाला कोई नहीं है। वर्तमान प्राचार्य स्कूल के पुस्तकालय एवं लैब की व्यवस्था को ठीक करने में जुटी हैं। प्राचार्य श्वेता वर्मा ने कहा कि जिला स्कूल में शैक्षणिक माहौल बनाने का हमेशा प्रयास करती रहती हूं। यहां नियमित वर्ग संचालन होने से विद्यार्थियों की उपस्थिति हमेशा रहती है। पार्क स्कूल को वन विभाग संचालित करता है। इस पार्क में बच्चों के खेलने के लिए झूला एवं लोगों के टहलने के लिए वाकिंग ट्रैक और बेंच-कुर्सी भी लगाया गया है। यहां के राजेंद्र वाटिका का सुंदरीकरण किया जा रहा है।
डीएम हैं जिला स्कूल विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष
जिला स्कूल के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सारण के जिलाधिकारी हैं। स्कूल के छात्रावास में केंद्रीय विद्यालय चल रहा है। खेल मैदान भी बदहाल है। स्कूल के अधिकांश भवन पर अतिक्रमण है। यह अतिक्रमण कोई और नहीं बल्कि शिक्षा विभाग खुद किए हुए है। शिक्षा विभाग का कार्यालय जिला स्कूल के भवन में चल रहा है। वर्तमान समय में बिहार राज शैक्षणिक आधारभूत संरचना के माध्यम से करीब छह करोड़ की लागत से विद्यालय का जिर्णोद्धार किया जा रहा है।
सामुदायिक शौचालय 10 सालों में भी नहीं हो सका शुरू
शहर के वार्ड नंबर 22 में आंबेडकर छात्रावास के बगल में खुले में शौच से मुक्ति के लिए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। करीब 10 के आसपास सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं, लेकिन शौचालयों में दरवाजा नहीं लगने के कारण इसका शुभारंभ भी नहीं हो सका।बनने के साथ ही सामुदायिक शौचालय खराब हो गया। सीट एवं दरवाजा नहीं लगने के कारण इसका उपयोग कोई नहीं करता है, जबकि इस वार्ड में कई परिवार हैं। जिनके घरों में शौचालय नहीं है। वे आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
जेल के पास से चिराई घर वाली सड़क जर्जर
छपरा मंडल के अधीक्षक के अवास से पुराने चिराई घर जाने वाली सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इस सड़क पर सिर्फ मेडिकल कचरा फेंका जा रहा है। जिस कारण आसपास के लोगों में संक्रमण का भय बना रहता है।यह सड़क जंक्शन जाने के लिए कभी प्रमुख मार्ग होता था, लेकिन सड़क पर अधिक मात्रा में कचरा होने के कारण इस सड़क को अब कोई उपयोग नहीं कर रहा है। जिला स्कूल खेल के मैदान में जलजमाव और जलकुंभी हो गई है। यहां मोटी रकम खर्च कर डे नाइट मैच खेलने के लिए क्रिकेट मैदान बनाया जाना है।
जिला स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र
- देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद : स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति
- विवेक कुमार : निदेशक एनटीयूसी, सिंगापुर
- डॉ. सत्यमूर्ति : प्रोफेसर जेएनयू, दिल्ली
- डॉ. एसके पांडेय : नेत्र चिकित्सक
- डॉ. बीसी राय : प्राध्यापक, कॉलेज ऑफ कॉमर्स
- डॉ. आरसी ठाकुर : हड्डी रोग विशेषज्ञ
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