खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 क्या हैं?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
उत्तर प्रदेश (UP) सरकार ने सभी खाद्य दुकानों पर संचालकों, मालिकों, प्रबंधकों और अन्य संबंधित कर्मियों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने को अनिवार्य कर दिया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने नवीनतम आदेशों के लिये खाद्य पदार्थों में मिलावट की घटनाओं की रिपोर्टों का हवाला दिया है, जैसे कि खाद्य पदार्थों का मानव अपशिष्ट या अन्य अखाद्य पदार्थों से संदूषित होना।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSSA) के अंतर्गत मौजूदा खाद्य सुरक्षा आवश्यकताएँ क्या हैं?
- पंजीकरण या लाइसेंस: FSSA के अंतर्गत, खाद्य व्यवसाय संचालकों को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से पंजीकरण कराना या लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।
- पंजीकरण प्रमाणपत्र या लाइसेंस, जिसमें मालिक की पहचान और प्रतिष्ठान का स्थान दर्शाया गया हो, परिसर में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
- बिना लाइसेंस के दंड: FSSA की धारा 63 के तहत, बिना लाइसेंस के खाद्य व्यवसाय करने वाले किसी भी संचालक को छह महीने तक की जेल और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
- यह प्रावधान उचित लाइसेंसिंग और सूचना के प्रदर्शन के महत्त्व पर बल देता है।
- FSSA विनियमों का गैर-अनुपालन: यदि कोई खाद्य व्यवसाय संचालक FSSA के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे धारा 31 के अंतर्गत ‘इम्प्रूवमेंट नोटिस’ प्राप्त हो सकता है।
- यदि ऑपरेटर, नोटिस के अनुपालन में विफल रहता है, तो उसका लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त, धारा 58 में ऐसे उल्लंघनों के लिये 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है, जिनके लिये कोई विशिष्ट दंड निर्धारित नहीं है।
FSSA के अंतर्गत नियम बनाने की राज्य सरकारों की शक्तियाँ क्या हैं?
- राज्य प्राधिकरण: FSSA की धारा 94 राज्य सरकारों को FSSAI की पूर्व स्वीकृति से नियम बनाने की अनुमति प्रदान करती है।
- अतिरिक्त कार्यों का आवंटन: राज्य सरकारें FSSA की धारा 30 के तहत नियुक्त खाद्य सुरक्षा आयुक्त को अतिरिक्त कार्य और कर्त्तव्य निर्धारित कर सकती हैं।
- इसमें राज्य के अधिकार क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नियम बनाना शामिल है, जो केंद्र सरकार की निगरानी के अधीन होगा।
- राज्यों द्वारा नियम बनाने की प्रक्रिया: FSSA की धारा 94(3) के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए किसी भी नियम को राज्य विधानमंडल द्वारा प्रकाशित और अनुमोदित किया जाना चाहिये।
ऐसे आदेशों पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या रुख है?
- सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए वर्ष 2024 की कांवड़ यात्रा के लिये उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस द्वारा जारी किये गए इसी तरह के आदेशों पर रोक लगा दी, जिसमें खाद्य विक्रेताओं को अपनी पहचान प्रदर्शित करना अनिवार्य था।
- हालाँकि न्यायालय ने फैसला सुनाया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) एक “सक्षम प्राधिकारी” को ऐसे आदेश जारी करने की अनुमति दे सकता है, लेकिन पुलिस इस शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकती।
राज्य सरकार के ऐसे आदेशों को न्यायालय में चुनौती क्यों दी जाती है?
- अनुच्छेद 15 का उल्लंघन: आलोचकों का तर्क है कि ऐसे आदेश व्यक्तियों को अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान प्रकट करने के लिये मज़बूर करते हैं तथा धर्म एवं जाति के आधार पर व्यक्तियों के साथ भेदभाव करते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है।
- अनुच्छेद 15(1) में कहा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।”
- अनुच्छेद 17 का उल्लंघन: यह अप्रत्यक्ष रूप से अस्पृश्यता की प्रथा का समर्थन कर सकता है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत समाप्त और निषिद्ध किया गया था।
- अनुच्छेद 19 का उल्लंघन: आलोचकों का तर्क है कि यह आदेश विशिष्ट समुदाय के पूर्ण आर्थिक बहिष्कार के लिये स्थितियाँ उत्पन्न करता है और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत किसी भी प्रकार का व्यवसाय करने का अधिकार का उल्लंघन करता है।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत खाद्य मिलावट को रोकने के लिये सामान्य प्रावधान क्या हैं?
- खाद्य योज्यों का उपयोग- किसी खाद्य पदार्थ में कोई खाद्य योज्यक या प्रसंस्करण सहाय्य तब तक अंतर्विष्ट नहीं होगा, जब तक कि वह इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए विनियमों के उपबंधों के अनुसार न हो।
- विषैले पदार्थ और भारी धातुएँ- किसी खाद्य पदार्थ में ऐसी मात्रा से (जो विनियमों द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए) अधिक मात्रा में संदूषक, प्राकृतिक रूप से व्युत्पन्न होने वाले विषैले पदार्थ, टाक्सिन्स या हार्मोन या भारी धातु नहीं होगी।
- कीटनाशक, पशु चिकित्सीय औषधि अवशिष्ट- किसी खाद्य पदार्थ में उतनी सहाय्य सीमा से (जो विनियमों द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए) अधिक कीटनाशक, पशु चिकित्सीय औषध अवशिष्ट, प्रतिजैविक अवशिष्ट, विलय अवशिष्ट, भेषजीय रूप से सक्रिय पदार्थ और सूक्ष्मजीव काउंट अतंर्विष्ट नहीं होंगे।
- कीटनाशी अधिनियम, 1968 के अधीन रजिस्ट्रीकृत और अनुमोदित धूमकों को छोड़कर किसी कीटनाशी का प्रयोग किसी खाद्य पदार्थ पर प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जाएगा।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ -इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए विनियमों में जैसा उपंबधित है उसके सिवाय, कोई व्यक्ति कोई आदर्श खाद्य, आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ, विकिरणित खाद्य, जैविक खाद्य, विशेष आहार उपयोगों के खाद्य, फलीय कृतकारी खाद्य, पोषणीय, स्वास्थ्यपूरक तत्त्व, निजस्वमूलक खाद्य और इसी प्रकार के अन्य खाद्य पदार्थों का विनिर्माण, वितरण, विक्रय या आयात नहीं करेगा।
- पैकेजिंग और लेबलिंग: खाद्य उत्पादों की निर्दिष्ट विनियमों के अनुसार पैकेजिंग और लेबलिंग की जानी चाहिये।
- परंतु लेबलों पर ऐसा कोई कथन, दावा, डिज़ाइन या युक्ति अंतर्विष्ट नहीं होगी जो पैकेज में अंतर्विष्ट खाद्य उत्पाद के संबंध में किसी विशिष्टि में मिथ्या या भ्रामक हो।
- अनुचित व्यापार व्यवहार- किसी ऐसे खाद्य का कोई ऐसा विज्ञापन नहीं दिया जाएगा जो भ्रामक या प्रवंचनापूर्ण हो या इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों के उपबंधों का उल्लंघन करने वाला हो।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण क्या है?
- परिचय: FSSAI खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।
- वर्ष 2006 के अधिनियम में खाद्य पदार्थों से संबंधित विभिन्न कानून शामिल हैं, जैसे कि खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954, फल उत्पाद आदेश, 1955, मांस खाद्य उत्पाद आदेश, 1973 आदि।
- FSSAI के कार्य: FSSAI स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करते हुए भारत में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को विनियमित करके लोक स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्द्धन के लिये ज़िम्मेदार है।
- परिणामस्वरूप, FSSAI की स्थापना वर्ष 2008 में की गई लेकिन खाद्य प्राधिकरण के अंतर्गत इसका कार्य वर्ष 2011 से शुरू हुआ, जब इसके नियम और प्रमुख विनियमन अधिसूचित किये गए।
- FSSAI की शक्तियाँ:
- खाद्य उत्पादों और योजकों के लिये विनियमों तथा मानकों का निर्धारण।
- खाद्य व्यवसायों को लाइसेंस और रजिस्ट्रीकरण प्रदान करना।
- खाद्य सुरक्षा कानूनों और विनियमों का प्रवर्तन।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी तथा पर्यवेक्षण।
- खाद्य सुरक्षा मुद्दों पर जोखिम मूल्यांकन और वैज्ञानिक अनुसंधान का संचालन करना।
- खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता पर प्रशिक्षण तथा जागरूकता बढ़ाना।
- खाद्य सुदृढ़ीकरण और जैविक खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहन।
- खाद्य सुरक्षा मामलों पर अन्य एजेंसियों और हितधारकों के साथ समन्वय करना।
- FSSAI की संरचना: FSSAI में एक अध्यक्ष और 22 सदस्य होते हैं, जिनमें से एक तिहाई महिलाएँ होती हैं।
- FSSAI के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- इसके अध्यक्ष, भारत सरकार के सचिव के स्तर के होते हैं।
- FSSAI की पहल:
- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस
- ईट राइट इंडिया
- राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक
- RUCO (प्रयुक्त खाद्य तेल का पुन: उपयोग)
- खाद्य सुरक्षा मित्र
- 100 फूड स्ट्रीट्स
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSSA) के प्रावधान राज्य सरकारों को राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए खाद्य सुरक्षा को प्रभावी ढंग से विनियमित करने का अधिकार देते हैं। खाद्य योजकों, संदूषकों और विज्ञापन प्रथाओं पर नियम निर्धारित करके, FSSA का उद्देश्य उपभोक्ता स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ खाद्य उद्योग में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
- यह भी पढ़े…………….
- अपराधियों ने युवक की जांघ में मारी गोली,घायल युवक सीवान रेफर
- भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र क्या है?
- क्या मोदी मैजिक को हरियाणा में मिली संजीवनी?