गणतंत्र दिवस का इतिहास क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने 26 जनवरी, 2024 को अपना 75वाँ गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया। इस दिन भारत के संविधान को अपनाने और देश के किसी भी राष्ट्र के उपनिवेश या प्रभुत्व से मुक्त होकर एक गणतंत्र में परिवर्तित होने का जश्न मनाया जाता है।

गणतंत्र दिवस 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • फ्राँसीसी दल (French Contingent):
    • गणतंत्र दिवस परेड में फ्राँस के सैन्य दल ने हिस्सा लिया। यह दल कॉर्प्स ऑफ फ्रेंच फॉरेन लीजन का था।
      • फ्रेंच फॉरेन लीजन एक विशिष्ट सैन्य दल है जिसमें फ्राँसीसी सेना में सेवा की इच्छा रखने वाले विदेशी भी शामिल हो सकते हैं
    • यह दूसरी बार था जब फ्राँसीसी सशस्त्र बलों ने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया।
      • वर्ष 2016 में, फ्राँसीसी सैन्य दल भारत के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाला पहला विदेशी सैन्य दल बना।
  • संस्कृति मंत्रालय की झाँकी:
    • ‘भारत: लोकतंत्र की जननी’ (Bharat: Mother of Democracy) विषय पर बनी संस्कृति मंत्रालय की झाँकी ने गणतंत्र दिवस समारोह परेड 2024 में पहला पुरस्कार हासिल किया।
      • इसमें एनामॉर्फिक तकनीक का उपयोग करके प्राचीन भारत से आधुनिक काल तक लोकतंत्र के विकास को प्रदर्शित किया गया।
  • नारी शक्ति:
    • कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस परेड में महिला-केंद्रित विकास पर ज़ोर देते हुए ‘विकसित भारत‘ और ‘भारत-लोकतंत्र की मातृका‘ विषयवस्तु को प्रदर्शित किया गया।
    • गणतंत्र दिवस परेड में नारी शक्ति या महिला सशक्तीकरण पर विशेष फोकस के साथ भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन किया गया।
      • परेड में पहली बार तीनो सेनाओं में पूर्ण रूप से महिलाओं की भागीदारी वाली टुकड़ी की भागीदारी देखी गई।
  • एनसीसी दल:
    • राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) निदेशालय महाराष्ट्र के दल ने लगातार तीसरी बार गणतंत्र दिवस शिविर-2024 कार्यक्रम में प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री का बैनर (Prime Minister’s Banner) जीतने में सफलता प्राप्त की।
      • प्रधानमंत्री का बैनर गणतंत्र दिवस शिविर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले NCC राज्य दल को दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस शिविर एक वार्षिक कार्यक्रम है जहाँ पूरे भारत के NCC कैडेट अपने कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO):
    • DRDO की झाँकी का विषय “रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता” (Self-reliance in Defence Technology) था।
    • DRDO की झांकी में मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM), एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइलअग्नि -5सतह-से-सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलबहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS), नौसेना एंटी-शिप मिसाइल – शॉर्ट रेंज (NASM-SR), एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘हेलिना’क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM)अस्त्र, हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’, एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार (AESAR) ‘उत्तम’, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम ‘शक्ति’, साइबर सुरक्षा सिस्टम, कमांड कंट्रोल सिस्टम और सेमी कंडक्टर फैब्रिकेशन सुविधा को प्रदर्शन किया गया।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार:
    • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार बहादुरी, कला और संस्कृति, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नवाचार व सामाजिक सेवा के क्षेत्र में असाधारण क्षमताओं तथा उत्कृष्ट उपलब्धि वाले बच्चों को प्रदान किया जाता है।
  • वीर गाथा 3.0:
    • सशस्त्र बलों के वीरतापूर्ण कार्यों एवं बलिदानों के बारे में बच्चों को प्रेरित करने तथा जागरूकता फैलाने के लिये गणतंत्र दिवस समारोह 2024 के एक भाग के रूप में प्रोजेक्ट वीर गाथा का तीसरा संस्करण आयोजित किया गया था।
  • अनंत सूत्र:
    • 75वें गणतंत्र दिवस परेड में देश की बुनाई और कढ़ाई कला के साथ-साथ भारत की महिलाओं के प्रति सम्मान के रूप में “अनंत सूत्र – द एंडलेस थ्रेड” नामक एक अनूठी इंस्टालेशन प्रदर्शित की गई, जिसमें पूरे भारत से साड़ियों और पर्दों का प्रदर्शन किया गया।
  • बीटिंग रिट्रीट समारोह 2024:
    • 29 जनवरी, 2024 को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह एक सैन्य परंपरा है जो गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है।
    • समारोह में भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के संगीत बैंड ने 31 भारतीय धुनों को बजाते हुए प्रदर्शन किया।

गणतंत्र दिवस का इतिहास क्या है?

  • परिचय:
    • गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को अपनाने और देश के गणतंत्र में परिवर्तन की याद दिलाता है जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
      • भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया एवं 26 जनवरी 1950 को क्रियान्वित हुआ। 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
    • भारत के संविधान ने 26 जनवरी 1950 को प्रभावी होने पर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया। भारत ब्रिटिश क्राउन का प्रभुत्व समाप्त हो गया और एक संविधान के साथ एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
  • इतिहास:
    • 1920 के दशक का संदर्भ में :
      • फरवरी 1922 में चौरी-चौरा घटना के बाद असहयोग आंदोलन पूर्ण रूप से समाप्त हो गया।
        • 1920 के दशक में असहयोग आंदोलन और रौलट-विरोधी सत्याग्रह के पैमाने पर लामबंदी नहीं देखी गई।
      • हालाँकि, 1920 का दशक भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों के उदय तथा जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, वल्लभभाई पटेल एवं सी. राजगोपालाचारी जैसे नए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) नेताओं के उद्भव के लिये महत्त्वपूर्ण था।
      • वर्ष 1927 में, अंग्रेज़ों ने भारत में राजनीतिक सुधारों पर विचार-विमर्श करने के लिये साइमन कमीशन नियुक्त किया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया और “साइमन गो बैक” के नारे के साथ विरोध प्रदर्शन हुआ।
      • बदले में, कॉन्ग्रेस ने मोतीलाल नेहरू के अधीन अपना स्वयं का आयोग नियुक्त किया। नेहरू रिपोर्ट में माँग की गई कि भारत को डोमिनियन स्टेटस दिया जाए।
        • वर्ष 1926 की बाल्फोर घोषणा में, डोमेनियन को “ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत स्वायत्त समुदायों के रूप में परिभाषित किया गया था, जो किसी भी तरह से अपने घरेलू क्षेत्र के किसी भी पहलू में एक दूसरे के अधीन नहीं थे या बाहरी मामले, हालाँकि क्राउन के प्रति एक आम निष्ठा से एकजुट हैं और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल राष्ट्रों के सदस्यों के रूप में स्वतंत्र रूप से जुड़े हुए हैं।”
    • डोमिनियन या गणतंत्र:
      • नेहरू रिपोर्ट को कॉन्ग्रेस के भीतर सार्वभौमिक समर्थन नहीं मिला क्योंकि बोस और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने डोमिनियन स्टेटस के बजाय ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत की थी।
      • उन्होंने तर्क दिया कि डोमिनियन स्टेटस स्व-शासन या स्वराज के लक्ष्य के विरुद्ध था।
        • वर्ष 1906 में कलकत्ता में दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में कॉन्ग्रेस (INC) सत्र में, अपना लक्ष्य “स्वशासन या स्वराज” घोषित किया।
    • वायसराय इरविन की घोषणा:
      • वर्ष 1929 में, वायसराय इरविन ने घोषणा की कि भविष्य में भारत को “डोमेनियन स्टेटस” का दर्जा दिया जाएगा, जिसे इरविन घोषणा या दीपावली (Deepawali) घोषणा के रूप में जाना जाता है।
        • हालाँकि डोमिनियन स्टेटस को लागू करने के लिये कोई समय सीमा नहीं थी।
        • इसके परिणामस्वरूप कॉन्ग्रेस की ओर से अधिक कट्टरपंथी लक्ष्यों की माँग की गई, जिसमें पूर्ण स्वतंत्र गणराज्य की माँग भी शामिल थी।
    • पूर्ण स्वराज की घोषणा:
      • दिसंबर 1929 में कॉन्ग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ऐतिहासिक “पूर्ण स्वराज” प्रस्ताव पारित किया, जिसमें पूर्ण स्व-शासन/संप्रभुता और ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता का नारा दिया गया।
        • स्वतंत्रता की घोषणा आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1930 को घोषित की गई थी और कॉन्ग्रेस ने भारतीयों से उस दिन “स्वतंत्रता” का जश्न मनाने का आग्रह किया था।
    • स्वतंत्रता के बाद के भारत में गणतंत्र दिवस:
      • वर्ष 1930 से 1947 तक 26 जनवरी को “स्वतंत्रता दिवस” या “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाता था।
      • 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी मिली, जिससे गणतंत्र दिवस के महत्त्व का पुनर्मूल्यांकन हुआ।
      • भारत के नए संविधान की घोषणा के लिये 26 जनवरी का चयन इसके मौजूदा राष्ट्रवादी महत्त्व और “पूर्ण स्वराज” घोषणा के अनुरूप था।

नोट:

  • प्रत्यके वर्ष गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति, जो राष्ट्र का प्रमुख होता है, द्वारा तिरंगा ‘फहराया’ जाता है जबकि स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर प्रधानमंत्री, जो केंद्र सरकार का प्रमुख होता है, द्वारा ‘ध्वजारोहण’ किया जाता है।
    • हालाँकि ये दोनों शब्द अमूमन एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किये जाते हैं किंतु ये तिरंगे को प्रस्तुत करने की विभिन्न तरीकों को संदर्भित करते हैं।
    • 26 जनवरी को ध्वज को मोड़कर अथवा घुमाकर एक स्तंभ के शीर्ष पर लगा दिया जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा इसका अनावरण (‘फहराना’) किया जाता है जिसमें ध्वज को ऊपर की ओर खींचने के आवश्यकता नहीं होती।
      • ध्वज को ‘फहराना’ संविधान में निर्धारित सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक प्रतीकात्मक संकेत है जो भारत के ब्रिटिश उपनिवेश से एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की ओर परिवर्तन को उजागर करता है।
    • जबकि 15 अगस्त पर स्तंभ के नीचे स्थित ध्वज को प्रधानमंत्री द्वारा नीचे से ऊपर की ओर खींचा (‘रोहण’) जाता है।
      • ध्वजारोहण एक नए राष्ट्र के उदय, देशभक्ति तथा औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता का प्रतीक है।

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