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अग्निपथ योजना का महत्त्व एवं आलोचनाएँ क्या है? - श्रीनारद मीडिया

अग्निपथ योजना का महत्त्व एवं आलोचनाएँ क्या है?

अग्निपथ योजना का महत्त्व एवं आलोचनाएँ क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

घोषित सत्तारूढ़ पार्टी सरकार की महत्त्वाकांक्षी अग्निपथ योजना को विभिन्न राजनीतिक दलों और सशस्त्र बलों के दिग्गजों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

  • वर्तमान में चल रही चिंताएँ इस योजना के सैन्य भर्ती और सैनिकों के कल्याण पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर करती हैं।

अग्निपथ योजना क्या है?

  • परिचय:
    • “अग्निवीर” शब्द का अर्थ “अग्नि-योद्धा” है और यह एक नया सैन्य पद है।
    • यह अधिकारी रैंक से नीचे के सैन्य कार्मिकों जैसे सैनिकों, वायुसैनिकों और नाविकों की भर्ती की एक योजना है, जो भारतीय सशस्त्र बलों में कमीशन प्राप्त अधिकारी नहीं हैं।
    • उन्हें 4 वर्ष की अवधि के लिये भर्ती किया जाता है, जिसके बाद इनमें से 25% तक (जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है), योग्यता और संगठनात्मक आवश्यकताओं के अधीन, स्थायी कमीशन (अन्य 15 वर्ष) पर सेवाओं में शामिल हो सकते हैं।
    • वर्तमान में चिकित्सा शाखा के तकनीकी संवर्ग को छोड़कर सभी नाविकों, वायुसैनिकों और सैनिकों को इस योजना के तहत सेवाओं में भर्ती किया जाता है।
  • पात्रता मापदंड:
    • 17.5 वर्ष से 23 वर्ष की आयु के अभ्यर्थी आवेदन (ऊपरी आयु सीमा 21 वर्ष से बढ़ा दी गई है)  करने के पात्र हैं।
    • निर्धारित आयु सीमा से कम आयु की लड़कियाँ अग्निपथ में प्रवेश हेतु खुली हैं, जबकि इस योजना के तहत महिलाओं के लिये ऐसा कोई आरक्षण नहीं है।
  • वेतन एवं लाभ:
    • ड्यूटी पर मृत्यु: परिवार को संयुक्त रूप से 1 करोड़ रुपए मिलते हैं, जिसमें सेवा निधि पैकेज और सैनिक का वेतन दोनों शामिल होते हैं।
    • दिव्यांगता: दिव्यांगता की गंभीरता के आधार पर अग्निवीर को 44 लाख रुपए तक का मुआवजा मिल सकता है। यह राशि केवल तभी प्रदान की जाती है जब दिव्यांगता सैन्य सेवा के कारण हुई हो या और भी खराब हो गई हो।
    • पेंशन: अग्निवीरों को पारंपरिक प्रणाली के सैनिकों के विपरीत 4 वर्ष की सेवा के बाद नियमित पेंशन नहीं मिलेगी।
      • स्थायी कमीशन हेतु चयनित होने वाले केवल 25% लोग ही पेंशन के लिये पात्र होंगे।
  • अग्निपथ का लक्ष्य:
    • यह योजना सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने तथा सेना में स्थायी सैनिकों की संख्या में कमी लाने के लिये तैयार की गई है, जिससे रक्षा बलों पर सरकार के पेंशन व्यय में उल्लेखनीय कमी आएगी।

अग्निपथ योजना क्यों शुरू की गई?

  • युवा, अधिक स्वस्थ बल: सरकार का मानना ​​है कि अग्निपथ में युवा भर्तियों पर जोर दिये जाने के कारण यह अधिक चुस्त लड़ाकू बल तैयार करेगा, जिससे प्रतिक्रिया समय में तेज़ी आएगी और युद्ध के मैदान में बेहतर अनुकूलन होगा।
    • वर्तमान में सशस्त्र बलों में औसत आयु 32 वर्ष है, जो अग्निपथ के कार्यान्वयन से घटकर 26 वर्ष हो जाएगी।
  • पेंशन बिल को कम करना: इसका उद्देश्य लगातार देश के बढ़ते रक्षा पेंशन बिल के बोझ को कम करना भी है। रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की 2022 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारतीय सशस्त्र बलों का पेंशन बिल 2025 तक लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगा।
    • अग्निपथ, जिसमें अधिकांश भर्तियों के लिये सेवा की अवधि कम है, संभावित रूप से इस व्यय का प्रबंधन करने में सहायता कर सकता है।
  • तकनीकी एकीकरण: इस योजना का उद्देश्य सशस्त्र बलों में उभरती प्रौद्योगिकियों को बेहतर ढंग से एकीकृत करने के लिये युवा रंगरूटों की तकनीक-प्रियता का लाभ उठाना है।
  • नागरिक क्षेत्र के लिये कुशल कार्यबल: सरकार की परिकल्पना है कि अग्निवीर अपनी सेवा के दौरान अर्जित मूल्यवान कौशल और अनुशासन के साथ नागरिक कार्यबल में शामिल होंगे।
    • इससे संभावित रूप से अधिक कुशल राष्ट्रीय कार्यबल और आर्थिक विकास में योगदान मिल सकता है।
    • अधिक रोज़गार के अवसर: इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और चार साल की सेवा के दौरान अर्जित कौशल एवं अनुभव के कारण ऐसे सैनिकों को विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार मिल सकेगा।

अन्य देशों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम:

  • स्वैच्छिक ड्यूटी दौरा: सेना और सेवा शाखा की आवश्यकताओं के आधार पर, अमेरिका में स्वैच्छिक ड्यूटी दौरा 6 से 9 महीने से लेकर पूरे एक वर्ष तक चल सकता है।
  • आवश्यक सैन्य सेवा (अनिवार्य सैन्य सेवा): इज़रायल, नॉर्वे, उत्तर कोरिया, सिंगापुर और स्वीडन उन देशों में शामिल हैं जो इस पद्धति का उपयोग करते हैं।

अग्निपथ योजना से जुड़े मुद्दे क्या हैं?

  • सेवानिवृत्ति लाभ का अभाव: यह योजना 4 वर्ष की अवधि पूरी होने पर एक अग्निवीर को लगभग 11.71 लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान प्रदान करती है, लेकिन निर्धारित कोई ग्रेच्युटी या पेंशन नहीं देती है।
    • इससे नौकरी की सुरक्षा और पेंशन लाभ चाहने वाले अभ्यर्थियों में व्यापक असंतोष उत्पन्न सकता है।
  • लघु सेवा अवधि: 4 वर्ष का कार्यकाल अपर्याप्त माना जाता है, क्योंकि इसमें यह चिंता है कि अग्निपथ के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों में स्थायी सैनिकों के समान प्रेरणा और प्रशिक्षण का अभाव हो सकता है।
    • इसके अलावा, यह दीर्घावधि में सैनिकों को प्रशिक्षित करने और कुशल बनाने के लिये अपर्याप्त है, क्योंकि इससे सशस्त्र बलों में कौशल एवं अनुभव की कमी हो सकती है।
  • आयु सीमा संबंधी मुद्दे: 23 वर्ष की वर्तमान अधिकतम आयु सीमा ने कई युवाओं को इसके दायरे से बाहर कर दिया है, जो महामारी के दौरान भर्ती की कमी के कारण इसके लिये आवेदन नहीं कर सके।
  • बेरोज़गारी संबंधी चिंताएँ: सीमित स्थायी समावेशन (केवल 25%) के कारण, इस योजना को देश में पहले से ही उच्च युवा बेरोज़गारी को और बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
    • यह स्थिति बढ़ती मुद्रास्फीति और असमानताओं जैसी व्यापक आर्थिक चुनौतियों के बीच उत्पन्न हुई है।
  • राजनीतिक उद्देश्य: विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस योजना को बिना परामर्श के जल्दबाजी में, संभवतः चुनावों से पहले एक राजनीतिक कदम के रूप में में लागू किया गया। रक्षा बलों के समर्थन की कमी भी संदेह उत्पन्न करती है।
  • पेंशन बिल में कमी: इस योजना को सरकार द्वारा अपने बढ़ते रक्षा पेंशन व्यय को कम करने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें दीर्घकालिक बल निर्माण की तुलना में वित्तीय बचत को प्राथमिकता दी जा रही है।

आगे की राह 

  • आयु सीमा और स्थायी प्रतिधारण कोटा में वृद्धि करना: अग्निवीरों के लिये सेवा अवधि 7-8 वर्ष तक बढ़ाई जानी चाहिये।
    • इसके अतिरिक्त, तकनीकी भूमिकाओं के लिये प्रवेश आयु को बढ़ाकर 23 वर्ष किया जाना चाहिये तथा अग्निवीरों के लिये नियमित सेवा प्रतिधारण दर को वर्तमान 25% से बढ़ाकर 60-70% किया जाना चाहिये।
  • पात्रताएँ और लाभ में वृद्धि करना: अग्निवीरों को अंशदायी पेंशन योजना, उदार ग्रेच्युटी और प्रशिक्षण के दौरान विकलांगता के लिये अनुग्रह राशि प्रदान की जानी चाहिये।
    • उन्हें अन्य सुरक्षा बलों में सेवा के अवसर प्रदान किये जाने चाहिये, अनुभवी का दर्ज़ा दिया जाना चाहिये तथा सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिये और अग्निवीरों को बनाए रखने के लिये पारदर्शी, योग्यता-आधारित प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये।
  • मज़बूत कौशल और पुनर्वास कार्यक्रम लागू करना: अग्निवीरों के लिये नागरिक जीवन में सुचारू संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिये निजी क्षेत्र और सरकारी एजेंसियों के सहयोग से एक व्यापक कौशल एवं पुनर्वास कार्यक्रमों का विकास किया जाना चाहिये।
    • कुछ ऐसे कानून भी बनाए जाने चाहिये जो निजी नियोक्ताओं और निगमों द्वारा अग्निवीरों को अनिवार्य रूप से अपने अधीन करने को अनिवार्य बनाएँ।
  • शैक्षिक मानकों को बढ़ाना: अग्निवीरों के लिये शैक्षिक आवश्यकताओं को 10वीं से बढ़ाकर 10+2 किया जाना चाहिये तथा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं को और अधिक कठिन बनाया जाना चाहिये।

भारत में अग्निपथ योजना रक्षा नीति में एक बड़ा सुधार है जो सशस्त्र बलों के लिये भर्ती प्रक्रिया को परिवर्तित करता है। प्रारंभिक कार्यान्वयन से इस योजना के तहत भर्ती किये गए अग्निवीरों की प्रेरणा, बुद्धिमत्ता और शारीरिक मानकों में सकारात्मक संकेत मिलते हैं। सैन्य अभियानों में तकनीकी प्रगति की तुलना में मानवीय तत्त्व को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, जो यूनिट के गौरव और सामंजस्य के साथ अग्निवीरों के चरित्र विकास एवं मनोवैज्ञानिक कल्याण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

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