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ईंधन में इथेनॉल सम्मिश्रण का भारत में क्या महत्त्व है? - श्रीनारद मीडिया

ईंधन में इथेनॉल सम्मिश्रण का भारत में क्या महत्त्व है?

ईंधन में इथेनॉल सम्मिश्रण का भारत में क्या महत्त्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दुबई में आयोजित COP28 में 100 से अधिक देशों द्वारा वर्ष 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प के बीच भारत को अपने इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य के संबंध में एक कठिन राह का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol- EBP) वर्ष 2013-14 में 1.6% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 11.8% हो गया, वर्ष 2022-23 में कम चीनी स्टॉक और इस वर्ष गन्ना उत्पादन में आसन्न कमी के कारण वर्ष 2025 तक 20% का लक्ष्य प्राप्त करना कठिन हो गया है। इस परिदृश्य में सरकार लक्ष्य को पूरा करने के लिये अनाज आधारित इथेनॉल की ओर एक वृहत संक्रमण पर विचार कर रही है।

इथेनॉल डिस्टिलरीज़ हेतु मक्का की खरीद के लिये हाल ही में राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) को सौंपी गई प्राधिकारिता इस संक्रमण पर बल देने का संकेत देती है और यह इथेनॉल के लिये एक संगठित मक्का फीड से समर्थित आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देगी। हालाँकि, इससे अर्थव्यवस्था के लिये और अधिक चुनौतियाँ उत्पन्न होने का जोखिम है।

  • इथेनॉल: इथेनॉल (Ethanol) एक कार्बनिक यौगिक है। यह पारदर्शी, रंगहीन द्रव है जो ज्वलनशील है और इसकी एक विशिष्ट गंध होती है।
    • उत्पादन: इसे खमीर द्वारा शर्करा के किण्वन (fermentation) के माध्यम से उत्पादित किया जा सकता है, जो एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग मादक पेय पदार्थों के उत्पादन में किया जाता है। इसे रासायनिक प्रक्रियाओं, जैसे एथिलीन के जलयोजन (hydration of ethylene) के माध्यम से भी संश्लेषित किया जा सकता है।
    • उपयोग: 
      • पेय पदार्थ: इथेनॉल अल्कोहल का एक प्रकार है जो मादक पेय पदार्थों में पाया जाता है। सामाजिक रूप से इसका सेवन बीयर, वाइन और स्पिरिट जैसे विभिन्न रूपों में किया जाता है।
      • ईंधन: इसका उपयोग जैव ईंधन के रूप में किया जाता है और इथेनॉल सम्मिश्रित ईंधन का उत्पादन करने के लिये इसे प्रायः गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है।
      • औद्योगिक विलायक: विभिन्न प्रकार के पदार्थों को घोल सकने की इसकी क्षमता के कारण इथेनॉल का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, इत्र और अन्य उत्पादों के निर्माण में विलायक (Solvent) के रूप में किया जाता है।
      • चिकित्सा और प्रयोगशाला उपयोग: इथेनॉल का उपयोग चिकित्सा और प्रयोगशाला में एंटीसेप्टिक, कीटाणुनाशक और परिरक्षक (preservative) के रूप में किया जाता है।
      • रासायनिक फीडस्टॉक: यह विभिन्न रसायनों के उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में कार्य करता है।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम 

  • EBP पेट्रोल में इथेनॉल—जो नवीकरणीय एवं पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है, के सम्मिश्रण को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की एक पहल है।
  • यह कार्यक्रम अन्य देशों से ईंधन के आयात को कम करने, विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण करने और चीनी उद्योग में मूल्यवर्द्धन की वृद्धि करने का लक्ष्य रखता है।
  • इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (Ethanol Supply Year- ESY) 2021-22 के लिये ‘भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के लिये रोडमैप 2020-25’ में निर्धारित 10% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया गया है और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (Oil Marketing Companies- OMCs) ने देश भर में E20 पेट्रोल (20% इथेनॉल सम्मिश्रित) की बिक्री शुरू कर दी है।
    • इसके अलावा, राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति (National Policy on Biofuels) 2018 में ESY 2025-26 तक पेट्रोल में इथेनॉल के 20% सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
  • इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से चीनी उद्योग के एक सह-उत्पाद शीरा (molasses) से किया जाता है, लेकिन इसके उत्पादन के लिये गन्ने का रस, चीनी, चीनी सिरप और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न जैसे अन्य कच्चे माल का भी उपयोग किया जा सकता है।
    • सरकार ने EBP के तहत इथेनॉल की खरीद एवं आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिये कई कदम उठाए हैं, जैसे लाभकारी मूल्य तय करना, प्रक्रिया को सरल बनाना, उत्पाद शुल्क से छूट और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • प्रभावी सरकारी नीतियों के कारण ESY 2013-14 से ESY 2022-23 तक OMCs को इथेनॉल की आपूर्ति में 13 गुना वृद्धि हुई।
    • सम्मिश्रण प्रतिशत भी ESY 2013-14 में 1.53% से बढ़कर ESY 2022-23 में लक्षित 12% तक पहुँच गया।
  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना: भारत अपना अधिकांश तेल आयात करता है जो इसे वैश्विक बाज़ारों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाता है। इथेनॉल का उपयोग कर भारत अपने तेल आयात को कम कर सकता है और अपनी ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ा सकता है।
  • पर्यावरण की रक्षा: इथेनॉल गैसोलीन की तुलना में अधिक स्वच्छ रूप से दहन करता है, जिसका अर्थ है कि यह वायु प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन में योगदान करने वाले हानिकारक उत्सर्जन का कम उत्पादन करता है। इथेनॉल का उपयोग कर भारत अपनी वायु गुणवत्ता में सुधार कर सकता है और अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा कर सकता है।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के एक अध्ययन के अनुसार पेट्रोल में इथेनॉल के सम्मिश्रण से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन 30-50% और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन 20% तक कम हो सकता है।
  • किसानों को सहायता: इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ना या मक्के जैसे कृषि आदानों की आवश्यकता होती है। इथेनॉल का उपयोग कर भारत इन फसलों के लिये एक नई मांग पैदा कर सकता है, जिससे किसानों और ग्रामीण समुदायों की आय एवं आजीविका को बढ़ावा मिल सकता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाना: इथेनॉल ऊर्जा का एक घरेलू और विविध स्रोत है, जो ऊर्जा के एकल एवं विदेशी स्रोत पर भारत की निर्भरता को कम कर सकता है। इथेनॉल का उपयोग कर भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और प्रत्यास्थता की वृद्धि कर सकता है।
  • आर्थिक लाभ उत्पन्न करना: इथेनॉल सम्मिश्रण इथेनॉल उद्योग के विकास को प्रोत्साहित कर सकता है, जो नए रोज़गार, निवेश एवं नवाचार पैदा कर सकता है। यह भारत को अधिक सतत एवं और आधुनिक ऊर्जा प्रणाली विकसित करने में भी मदद कर सकता है।
    • इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को प्रति वर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (30,000 करोड़ रुपए) की बचत हो सकती है।
  • उन्नत वाहन प्रदर्शन: इथेनॉल की गैसोलीन की तुलना में अधिक ऑक्टेन रेटिंग (octane rating) है, जिसका अर्थ है कि यह इंजन के प्रदर्शन में सुधार कर सकता है और वाहनों की नॉकिंग टेंडेंसी को कम कर सकता है।
  •   इथेनॉल सम्मिश्रण को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा कौन-से कदम उठाये गए हैं? 
  • विभेदक इथेनॉल मूल्य निर्धारण (Differential Ethanol Pricing): सरकार ने सी-हैवी शीरा, बी-हैवी शीरा, गन्ने का रस/चीनी/चीनी सिरप और खराब खाद्यान्न या चावल से प्राप्त इथेनॉल के लिये अलग-अलग कीमतें तय की हैं।
    • आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा उत्पादन लागत, उपलब्धता और मांग जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर वार्षिक रूप से कीमतें संशोधित की जाती हैं।
    • विभेदक मूल्य निर्धारण नीति के परिणामस्वरूप इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के लिये इथेनॉल की आपूर्ति में वृद्धि हुई है और वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त कर सकने में मदद मिली है।
  • ब्याज छूट योजनाएँ (Interest Subvention Schemes): EBP कार्यक्रम के तहत निर्धारित सम्मिश्रण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये देश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दृष्टि से सरकार ने जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न इथेनॉल ब्याज छूट योजनाएँ अधिसूचित की।
    • इन इथेनॉल ब्याज छूट योजनाओं के तहत, सरकार उद्यमियों को देश भर में नई डिस्टिलरीज़ (गुड़ आधारित, अनाज आधारित और दोहरे फ़ीड आधारित) स्थापित करने या मौजूदा डिस्टिलरीज (शीरा आधारित, अनाज आधारित और दोहरे फीड आधारित) का विस्तार करने की सुविधा दे रही है।
      • बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज छूट या बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा वसूल किये जाने वाले ब्याज दर का 50% (इनमें जो भी कम हो) का वहन पाँच वर्षों के लिये (एक वर्ष के मोरेटोरियम के साथ) केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
  • कर राहत: अमिश्रित पेट्रोल की तुलना में E10 और E20 सम्मिश्रण पर कम कर लगाया जाता है, जिससे वे उपभोक्ताओं के लिये अधिक लागत-प्रतिस्पर्द्धी बन जाते हैं।
    • पेट्रोल की तुलना में इथेनॉल के लिये निम्न उत्पाद शुल्क और GST दरें लागू की गई हैं।
  • E20-अनुकूल वाहनों के लिये प्रोत्साहन: उच्च इथेनॉल सम्मिश्रण के अनुकूल वाहनों के निर्माताओं और खरीदारों के लिये कर लाभ एवं अन्य प्रोत्साहनों पर विचार किया जा रहा है।

भारत ने अपने इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले 8-10 वर्षों के दौरान इस उपलब्धि ने न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया है, बल्कि 41,500 करोड़ रुपए से अधिक के विदेशी मुद्रा प्रभाव, ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में 27 लाख मीट्रिक टन (MT) की कमी और किसानों को 40,600 करोड़ रुपए से अधिक के त्वरित भुगतान के रूप में भी प्रकट हुआ है।

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