भारत की आर्थिक वृद्धि के लिये MSME क्षेत्र का महत्त्व क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस के अवसर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने भारत में MSME क्षेत्र के विकास और प्रगति का जश्न मनाने और इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘उद्यमी भारत-MSME दिवस’ मनाया।
- इस कार्यक्रम में MSME मंत्रालय द्वारा MSME के विकास को समर्पित विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया गया। जैसे- ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’ एवं ‘क्लस्टर परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग हेतु मोबाइल एप’। इसके अतिरिक्त ‘MSME आइडिया हैकथॉन 2.0’ के परिणाम घोषित किये गए तथा महिला उद्यमियों के लिये ‘MSME आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस:
- परिचय:
- MSME के महत्त्व और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 27 जून को अंतर्राष्ट्रीय MSME दिवस मनाया जाता है।
- MSME को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी माना जाता है।
- MSME दिवस 2023 की थीम:
- “इंडिया@100 हेतु भविष्य के लिये तैयार MSME”।
- ग्लोबल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने “एकजुट होकर एक मज़बूत भविष्य का निर्माण” थीम के साथ जश्न मनाया और #Brand10000MSMEs नेटवर्क लॉन्च किया।
- ग्लोबल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एक वैश्विक संगठन है जिसके कार्यालय भारत, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम में हैं।
- इतिहास और महत्त्व:
- अप्रैल 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम दिवस के रूप में नामित किया।
- इसका उद्देश्य धारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में MSME की – क्षमता को अधिकतम करने के लिये राष्ट्रीय क्षमताओं में वृद्धि करना है।
कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:
- शुरू की गई पहलें:
- चैंपियन 2.0 पोर्टल:
- MSME को समर्थन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से संबद्ध मंत्रालय ने ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’ लॉन्च किया।
- इसकी सहायता से MSME को आवश्यक सलाह, क्षमता निर्माण, बाज़ारों तक पहुँच और शिकायत निवारण जैसी विभिन्न सेवाएँ प्रदान की जाएंगी।
- क्लस्टर परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग के लिये मोबाइल एप:
- दक्षता बढ़ाने और क्लस्टर परियोजनाओं तथा प्रौद्योगिकी केंद्रों की प्रगति के बारे में सूचित रहने के लिये मंत्रालय ने जियो-टैगिंग हेतु एक मोबाइल एप लॉन्च किया।
- यह एप मौजूदा परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी, मूल्यांकन और रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करेगा।
- महिला उद्यमियों के लिये MSME आइडिया हैकथॉन 3.0:
- पूर्व आइडिया हैकथॉन की सफलता के आधार पर मंत्रालय ने विशेष रूप से महिला उद्यमियों पर केंद्रित ‘MSME आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया।
- इस योजना का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, उद्यमशीलता के विचारों को प्रोत्साहित करना और महिलाओं को अपनी प्रतिभा दर्शाने तथा MSME क्षेत्र में योगदान देने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- चैंपियन 2.0 पोर्टल:
- समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर:
- MSME मंत्रालय और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI):
- सिडबी (SIDBI) द्वारा ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ (PMVIKAS) के लिये एक पोर्टल तैयार करना।
- उन स्थानीय पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान करना जो अब तक किसी भी लक्षित हस्तक्षेप का हिस्सा नहीं थे।
- MSME और GeM मंत्रालय:
- सार्वजनिक खरीद इको-सिस्टम में MSME के अंतिम पंजीकरण के लिये गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) के साथ उद्यम पंजीकरण डेटा साझा करना।
- MSME मंत्रालय और उद्योग विभाग, त्रिपुरा सरकार:
- एपीआई के माध्यम से उद्यम पंजीकरण डेटा साझा करना, नीति निर्माण को आसान बनाना और योजना के लाभों का लक्षित वितरण करना।
- MSME मंत्रालय और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises- CGTMSE)।
- MSME क्षेत्र के लाभार्थियों को गारंटी कवरेज प्रदान करना। (सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट CGTMSE)।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (NSFDC) एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (NSTFDC):
- राष्ट्रीय एससी-एसटी हब और विभिन्न योजनाओं के तहत एससी/एसटी उद्यमियों को समर्थन देने के लिये आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
- MSME मंत्रालय और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI):
MSME
- परिचय:
- MSME भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो रोज़गार सृजन, औद्योगिक उत्पादन और समग्र आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। ये उद्यम वस्तुओं के उत्पादन, विनिर्माण, प्रसंस्करण एवं संरक्षण में संलग्न हैं।
- MSME का वर्गीकरण:
- भारत में MSME को उनके वार्षिक राजस्व के साथ-साथ संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में उनके निवेश के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वर्तमान वर्गीकरण इस प्रकार है:
- सूक्ष्म उद्यम: 1 करोड़ रुपए तक का निवेश और 5 करोड़ रुपए तक का टर्नओवर।
- लघु उद्यम: 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपए के बीच निवेश और 5 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक का टर्नओवर।
- मध्यम उद्यम: 10 करोड़ से 50 करोड़ रुपए के बीच निवेश और 50 करोड़ से 250 करोड़ रुपए तक का टर्नओवर।
- भारत में MSME को उनके वार्षिक राजस्व के साथ-साथ संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में उनके निवेश के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वर्तमान वर्गीकरण इस प्रकार है:
MSME क्षेत्र का महत्त्व:
- वैश्विक:
- संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, MSME का योगदान वैश्विक व्यवसायों में 90%, नौकरियों में 60% से 70% से अधिक तथा वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में आधा हिस्सा है।
- भारत:
- ग्रामीण विकास के लिये वरदान: बड़े स्तर की कंपनियों की तुलना में MSME ने न्यूनतम पूंजी लागत के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण में अहम भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र ने देश के ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है तथा प्रमुख उद्योगों को भी पूरक बनाया है।
- रोज़गार: MSME लगभग 63 मिलियन उद्यमों में 110 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
- मेक इन इंडिया मिशन में अग्रणी: भारत का लक्ष्य ‘मेक इन इंडिया’ उत्पादों को गुणवत्ता के वैश्विक मानकों का पालन करते हुए ‘मेड फॉर द वर्ल्ड’ बनाना है। इस मिशन में MSME का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण होगा।
- यह क्षेत्र भारत के 45% विनिर्मित सामानों का उत्पादन करता है तथा कुल निर्यात में 50% से अधिक का योगदान देता है। पारंपरिक से लेकर उन्नत तकनीकी वस्तुओं के उत्पादन के अतिरिक्त 8,000 से अधिक मूल्यवान उत्पादों का निर्माण भी करता है।
- उद्यमों के लिये सरल प्रबंधन संरचना: भारत की मध्यमवर्गीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए MSME एक सरल विकल्प प्रदान करता है। इसे उद्योग स्वामी के नियंत्रण में सीमित संसाधनों के साथ शुरू किया जा सकता है। इससे निर्णय लेना आसान एवं कुशल हो जाता है।
- इसके विपरीत जटिल संगठनात्मक संरचना के कारण एक बड़े निगम को प्रत्येक विभागीय कामकाज़ के लिये एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है।
- आर्थिक विकास और निर्यात में लाभ: यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% योगदान देने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण चालक है।
MSME से संबंधित सरकारी पहल:
- MSME के प्रदर्शन को बेहतर और तेज़ करना
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (CGTMSE)
- इंटरेस्ट सब्सिडी पात्रता सर्टिफिकेट (ISEC)
- नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु योजना (ASPIRE)
- प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिये क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी (CLCSS)
- ज़ीरो डिफेक्ट एवं ज़ीरो इफेक्ट (ZED)
MSME के समक्ष चुनौतियाँ:
- औपचारिक वित्त और ऋण सुविधाओं तक सीमित पहुँच।
- तकनीकी प्रगति का अभाव और सीमित डिजिटल बुनियादी ढाँचा।
- जटिल विनियामक और नौकरशाही प्रक्रियाओं के अनुपालन में कठिनाई।
- सीमित बाज़ार पहुँच तथा बड़े स्तर के उद्यमों से प्रतिस्पर्द्धा।
- कुशल श्रम की कमी और प्रतिभा अधिग्रहण में चुनौतियाँ।
- आर्थिक मंदी तथा बाज़ार में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशीलता।
- सरकारी योजनाओं और सहायता कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता की कमी।
आगे की राह:
- वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ बनाना तथा MSMEs के लिये औपचारिक ऋण तक पहुँच में सुधार करना।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना तथा प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना तथा नौकरशाही संबंधी बाधाओं को कम करना।
- बाज़ार संपर्क को सुगम बनाना तथा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना।
- कौशल विकास पहल को बढ़ाने के साथ उद्यमिता शिक्षा को भी बढ़ावा देना।
- बुनियादी ढाँचे के विकास तथा कनेक्टिविटी में सुधार में निवेश करना।
- जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियाँ विकसित करना तथा उत्पादों के साथ बाज़ारों के विविधीकरण को बढ़ावा देना।
- जागरूकता अभियान संचालित करना तथा सरकारी योजनाओं और सहायता कार्यक्रमों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करना।
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