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सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुआयामी गरीबी उन्मूलन का क्या महत्त्व है? - श्रीनारद मीडिया
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सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुआयामी गरीबी उन्मूलन का क्या महत्त्व है?

सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुआयामी गरीबी उन्मूलन का क्या महत्त्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नीति आयोग ने ‘वर्ष 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ शीर्षक से एक चर्चा पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबर गए हैं।

  • चर्चा पत्र में दीर्घकालिक गरीबी प्रवृत्तियों को समझने के लिये वर्ष 2005-06, 2015-16 और 2019-21 में आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Surveys- NFHS) के डेटा का प्रयोग किया गया है।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है?

  • राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव का आकलन करती है जो 12 सतत् विकास लक्ष्य-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
  • इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, भोजन पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, ऊर्जा, आवास, संपत्ति तथा बैंक खाते शामिल हैं।
  • MPI की वैश्विक कार्यप्रणाली मज़बूत अलकाईर और फोस्टर (Alkire and Foster- AF)) पद्धति पर आधारित है जो विकट गरीबी का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किये गए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मैट्रिक्स के आधार पर लोगों को गरीब के रूप में पहचान करती है, जो पारंपरिक मौद्रिक गरीबी उपायों के लिये एक पूरक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
    • हालाँकि, राष्ट्रीय MPI में 12 संकेतक शामिल हैं जबकि वैश्विक MPI में 10 संकेतक शामिल हैं।
वैश्विक MPI संकेतकराष्ट्रीय MPI संकेतक

वर्ष 2005-2006 के बाद से भारत में बहुआयामी निर्धनता सूचकांक की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • बहुआयामी निर्धनता में समग्र गिरावट: 
    • भारत में बहुआयामी निर्धनता में उल्लेखनीय कमी आई है जो वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई है जो 17.89% अंक की कमी दर्शाता है।
    • विगत नौ वर्षों (वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23) में लगभग 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता की स्थिति से बाहर आए हैं। इस सकारात्मक बदलाव का श्रेय सरकार की विभिन्न पहलों को दिया जाता है।

  • राज्यवार गिरावट:
    • उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में MPI के आधार पर निर्धन के रूप में वर्गीकृत लोगों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
      • उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जहाँ 5.94 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर आए, इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में लोग उक्त निर्धनता पर काबू कर पाए।

  • सभी संकेतकों में सुधार:
    • MPI के सभी 12 संकेतकों ने महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया जो स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर के आयामों में प्रगति को दर्शाता है।
  • अभाव की गंभीरता:
    • वर्ष 2005-06 तथा वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2015-16 एवं वर्ष 2019-21 के बीच अभाव की गंभीरता (Severity of Deprivation- SoD) में थोड़ी कम दर से गिरावट आई है।
      • SoD उन अभावों को मापता है जिनसे औसत बहुआयामी निर्धन व्यक्ति पीड़ित होता है।
    • इसके अतिरिक्त अल्प वर्षों की अवधि के कारण विगत दशक की तुलना में कुल जनसंख्या में MPI निर्धन व्यक्तियों की हिस्सेदारी में कमी के मामले में वर्ष 2015-16 के बाद अभाव में कमी तेज़ी से हुई
      • वर्ष 2005-06 में भारत की कुल जनसंख्या में MPI निर्धन व्यक्तियों की हिस्सेदारी 55.34% थी।
  • SDG लक्ष्य उपलब्धि:
    • भारत द्वारा सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals- SDG) लक्ष्य 1.2 प्राप्त करने की संभावना है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले “राष्ट्रीय परिभाषाओं के अनुसार सभी आयामों में निर्धनता में जीवन-यापन करने वाले सभी आयु के पुरुषों, महिलाओं एवं बच्चों के अनुपात को उनकी कुल संख्या से कम-से-कम से आधा” कम करना है। .
    • जीवन स्तर के आयाम से संबंधित संकेतकों में महत्त्वपूर्ण सुधार सामने आए, जैसे कि भोजन पकाने हेतु ईंधन, स्वच्छता सुविधाओं एवं बैंक खातों तक पहुँच में सुविधा विस्तारित हुई।
  • MPI में गिरावट में संचालकों की मदद:
    • पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी पहलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच में काफी वृद्धि की है, जिससे अभाव में काफी कमी आई है।
    • विश्व के सबसे बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में से एक का संचालन करते हुए, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 81.35 करोड़ लाभार्थियों को कवर करती है, जो ग्रामीण और शहरी आबादी को खाद्यान्न प्रदान करती है।
    • हाल के फैसले जैसे कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण को अगले पाँच वर्षों के लिये बढ़ाना, सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
    • मातृ स्वास्थ्य का समाधान करने वाले विभिन्न कार्यक्रम, उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन वितरण, सौभाग्य के माध्यम से बिजली कवरेज में सुधार, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तनकारी अभियानों ने सामूहिक रूप से लोगों की रहने की स्थिति तथा समग्र कल्याण की स्थिति में सुधार किया है।
    • इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जन धन योजना और PM आवास योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन तथा वंचितों के लिये सुरक्षित आवास प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नीति आयोग क्या है?

  • परिचय:
    • योजना आयोग को 1 जनवरी, 2015 को एक नए संस्थान नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, जिसमें सहकारी संघवाद’ की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार की परिकल्पना की परिकल्पना के लिये ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया था।
    • इसके दो हब हैं:
      • टीम इंडिया हब– राज्यों और केंद्र के बीच इंटरफेस का काम करता है।
      • ज्ञान और नवोन्मेष हब– नीति आयोग के थिंक-टैंक की भाँति कार्य करता है।
  • पहलें:
    • SDG  इंडिया इंडेक्स 
    • समग्र जल प्रबंधन सूचकांक 
    • अटल इनोवेशन मिशन 
    • साथ परियोजना
    • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम 
    • स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक 
    • ज़िला अस्पताल सूचकांक 
    • स्वास्थ्य सूचकांक 
    • कृषि विपणन और किसान हितैषी सुधार सूचकांक 
    • भारत नवाचार सूचकांक 
    • वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स 
    • सुशासन सूचकांक 
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