भारतीय सेना में समान वर्दी का क्या महत्त्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय सेना ने निर्णय लिया है कि 1 अगस्त, 2023 से ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के सभी अधिकारी सामान्य पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने तथा मज़बूत करने हेतु अपने कैडर एवं नियुक्ति के बावजूद समान वर्दी पहनेंगे।

वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारियों की वर्दी:

  • वर्तमान पद:
    • भारतीय सेना की विभिन्न शाखाएँ अपने रेजिमेंटल या कोर संबद्धता के आधार पर अलग-अलग वर्दी पहनती हैं, जैसे बेरेट, डोरी और रैंक के बैज।
      • अतिरिक्त पोशाक या उपकरण जो वर्दी या पोशाक को पूरा करने के लिये विशेष रूप से सैन्यकर्मियों द्वारा पहने जाते हैं।
    • इन्फैंट्री अधिकारी और सैन्य खुफिया अधिकारी गहरे हरे रंग की टोपी पहनते हैं, बख्तरबंद वाहिनी के अधिकारी काली टोपी पहनते हैं और अन्य वाहिनी अधिकारी गहरे नीले रंग की टोपी पहनते हैं। सैन्य पुलिस कोर के अधिकारी लाल रंग की टोपी पहनते हैं।
    • वर्तमान में लेफ्टिनेंट से जनरल रैंक तक के सभी अधिकारी अपने सैन्य- दल (रेजिमेंटल) या कोर संबद्धता के अनुसार वर्दी पहनते हैं।
  • नई वर्दी:
    • ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और जनरल रैंक के सभी अधिकारी अब एक ही रंग की टोपी, एक ही रैंक के सामान्य बैज, एक सामान्य बेल्ट बकल और एक समान प्रकार के जूते पहनेंगे।
      • सभी वरिष्ठ अधिकारियों के लिये शोल्डर रैंक बैज सुनहरे रंग का होगा।
        • वर्तमान में गोरखा राइफल्स, गढ़वाल राइफल्स और राजपूताना राइफल्स जैसे- राइफल रेजिमेंट के अधिकारी ब्लैक रैंक के बैज पहनते हैं।
    • ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों की टोपी, शोल्डर रैंक बैज, गोरगेट पैच, बेल्ट और जूते अब मानकीकृत और समान होंगे।
      • कर्नल और निम्न रैंक के अधिकारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
    • वे अब अपने कंधों पर रेजिमेंटल कॉर्ड्स (डोरी) नहीं पहनेंगे। वे ‘स्पेशल फोर्सेज़’, ‘अरुणाचल स्काउट्स’, ‘डोगरा स्काउट्स’ आदि जैसे शोल्डर फ्लैश भी नहीं पहनेंगे।
    • इस प्रकार वे कोई विशिष्ट वर्दी नहीं पहनेंगे जो उन्हें एक विशिष्ट रेजिमेंट या सैन्य-दल के सदस्य के रूप में नामित करे। इन वरिष्ठ रैंकों के सभी अधिकारियों हेतु एक समान डिज़ाइन होगा।

इस निर्णय का महत्त्व:

  • यह निर्णय भारतीय सेना में एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और एकीकृत संगठनात्मक संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
    • यह मानक वर्दी भारतीय सेना के सच्चे लोकाचार को दर्शाते हुए वरिष्ठ रैंक के सभी अधिकारियों हेतु सामान्य पहचान सुनिश्चित करेगी।
  • रेजिमेंटल संकीर्णता को समाप्त करके और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच सामान्य पहचान एवं उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देकर सेना आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना करने तथा बदलती रणनीतिक परिस्थितियों के अनुकूल हो सकती है।
    • किसी रेजिमेंट या सैन्य-दल के प्रति वफादारी या समर्पण को रेजिमेंटल संकीर्णता (Regimental Parochialism) कहा जाता है। किसी इकाई के प्रति गर्व और वफादारी अक्सर उसी संगठन के भीतर अन्य इकाइयों के साथ सहयोग या प्रतिस्पर्द्धा की कमी का कारण बन सकती है।
  • यह मिश्रित रेजिमेंटल समूह के सैनिकों को आदेश देने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों की क्षमता में भी सुधार कर सकता है।
    • रेजिमेंटल वर्दी के बजाय एक समान वर्दी के प्रावधान से वरिष्ठ कमांडर एक अधिक समावेशी और सहयोगी नेतृत्त्व शैली का निर्माण कर सकते हैं जो पारंपरिक वफादारी और संबद्धता प्रदर्शित करती हो।

अन्य सेनाओं में पैटर्न:

  • कर्नल और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी को ब्रिटिश सेना में कर्मी/स्टाफ की वर्दी कहा जाता है, भारतीय सेना की वर्दी पैटर्न और संबंधित प्रतीक इसी से प्रेरित है। यह इसे रेजिमेंटल वर्दी से भिन्न बनाता है।
    • रेजिमेंटल वर्दी के किसी भी आइटम, विशेष रूप से हेडड्रेस (सिर पर पहना जाने वाला), को स्टाफ की वर्दी के साथ पहनने की अनुमति नहीं है।
  • पड़ोसी देशों में पाकिस्तान और बांग्लादेश की सेनाएँ भी ब्रिटिश सेना के समान ही पैटर्न का पालन करती हैं।

 

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