कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संस्कृति मंत्रालय की पहल क्या है?

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असमिया गमछा संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संस्कृति मंत्रालय ने लोकगीत कलाकारों सहित कलाकारों की सभी विधाओं की सुरक्षा के लिये ‘कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु छात्रवृत्ति एवं फैलोशिप योजना’ शुरू की है।

  • इस योजना के तीन घटक हैं, जिनका उद्देश्य युवा कलाकारों, विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट व्यक्तियों और सांस्कृतिक अनुसंधान करने वालों का सहयोग करना है।

योजना के घटक:  

  • विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों को छात्रवृत्ति पुरस्कार (Scholarships to Young Artists- SYA):
    • इसके तहत 18-25 वर्ष आयु वर्ग के चयनित लाभार्थियों को 2 वर्ष की अवधि हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
    • उम्मीदवारों ने कम-से-कम 5 वर्षों तक किसी भी गुरु या संस्थान के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया होना चाहिये।
  • वरिष्ठ/कनिष्ठ अध्येतावृत्ति पुरस्कार:
    • सांस्कृतिक अनुसंधान के लिये 40 वर्ष एवं उससे अधिक आयु वर्ग के चयनित अध्येताओं को 2 वर्ष हेतु वरिष्ठ अध्येतावृत्ति प्रदान की जाती है।
    • कनिष्ठ अध्येतावृत्ति 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के चयनित अध्येताओं को 2 वर्ष के लिये प्रदान की जाती है।
    • एक वर्ष में 400 वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अध्येतावृत्ति प्रदान की जाती है।
  • सांस्कृतिक अनुसंधान हेतु टैगोर राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति पुरस्कार (TNFCR):
    • उम्मीदवारों को दो श्रेणियों टैगोर राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति एवं टैगोर अनुसंधान छात्रवृत्ति के तहत चयनित किया जाता है, ताकि 4 अलग-अलग समूहों में भाग लेने वाले विभिन्न संस्थानों के अंतर्गत संबद्धता द्वारा सांस्कृतिक अनुसंधान पर कार्य किया जा सके।
      • अध्येताओं एवं विद्वानों का चयन राष्ट्रीय चयन समिति (NSC) द्वारा किया जाता है
  • अतिरिक्त घटक:
    • “प्रदर्शन कला में अनुसंधान के लिये व्यक्तियों को परियोजना अनुदान की योजना” के तहत संगीत नाटक अकादमी सलाहकार समिति की सिफारिश पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • असमिया गमछा संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है।
    • बांग्ला साहित्य सभा, असम (BSSA) ने एक समारोह में मेहमानों को असमिया गमोचा और बंगाली गमछों से बने “हाइब्रिड गमोसा” से सम्मानित किया। इस पर विवाद बढ़ने के बाद संगठन ने माफीनामा जारी किया।
      • BSSA एक नवगठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सभा है जिसका उद्देश्य असम के बंगालियों को एक मंच प्रदान करना है।

      असमिया गमोचा:

      • परिचय:
        • असमिया गमोचा एक पारंपरिक हाथ से बुना हुआ सूती तौलिया है, जो असमिया संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है।
        • यह कपड़े का एक आयताकार टुकड़ा है। यह विभिन्न रंगों एवं डिज़ाइनों से बनता है जिसमें सबसे लोकप्रिय लाल एवं सफेद फुलम वाले तौलिया हैं जिन्हें ‘गमोचा डिज़ाइन’ के रूप में जाना जाता है।
        • ‘गमोचा’ शब्द असमिया शब्द ‘गा’ (शरीर) एवं ‘मोचा’ (पोंछ) से बना है, जिसका अर्थ है शरीर को पोंछने के लिये तौलिया। बुनकर तौलिया बुनने के लिये एक पारंपरिक करघे का इस्तेमाल करते हैं जिसे ‘टाट जाल’ (Taat Xaal) कहा जाता है।
      • मान्यता:
        • असमिया गमोचा ने अपने अद्वितीय डिज़ाइन तथा सांस्कृतिक महत्त्व के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है। इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया था, जो इसकी उत्पत्ति एवं अनूठी विशेषताओं की पहचान है।
        • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि गमोचा नकल से सुरक्षित है और स्थानीय बुनकरों तथा उनकी पारंपरिक बुनाई तकनीकों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
      • सांस्कृतिक महत्त्व:
        • असमिया गमोचा असमिया संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है। इस तौलिये का उपयोग दैनिक जीवन में विभिन्न तरीकों से किया जाता है और प्रत्येक उपयोग का एक विशिष्ट सांस्कृतिक महत्त्व होता है।
          • यह पारंपरिक समारोहों और कार्यों के दौरान महिलाओं द्वारा स्कार्फ के रूप में उपयोग किया जाता है, साथ ही यह सम्मान एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक है जिसे किसी को उपहार के रूप में दिया जाता है।
          • गमोचा का उपयोग बिहू उत्सव के दौरान भी किया जाता है, जो असम का सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार है। यह बिहू नर्तकियों  द्वारा गले में लपेटा जाता है जो उनकी पोशाक का एक अनिवार्य हिस्सा है। बिहू उत्सव के दौरान एकता एवं भाईचारे के प्रतीक के रूप में भी गमोचा का उपयोग किया जाता है।

      Asamia-gamachha

      बंगाली गमछा: 

      • बंगाली गमछा पारंपरिक रूप से हाथ से बुना हुआ सूती गमछा/तौलिया है जो असमिया संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। यह कपड़े का एक आयताकार टुकड़ा होता है। यह लाल एवं सफेद चौकोर प्रतिरूप में होता है।

      Bangali-gamachha

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