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क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर विवाद, फिर चर्चा में क्यों आया? - श्रीनारद मीडिया

क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर विवाद, फिर चर्चा में क्यों आया?

क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर विवाद, फिर चर्चा में क्यों आया?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

असम-मेघालय सीमा पर बीते दिन हिंसा भड़कने से सीमा विवाद एक बार फिर से उठने लगा है। देश के कुल 10 राज्यों में इस समय सीमा विवाद चल रहा है। इस बीच, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चल रहा सीमा विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस समय दोनों राज्यों में भाजपा सरकार है, लेकिन दोनों जगह के सीएम आमने सामने हैं। कई क्षेत्रों को अपने राज्य की जगह बताने के चलते यह विवाद शुरू हुआ है।

Maharashtra-Karnataka सीमा विवाद का कारण

महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगाम जिला जिसे बेलगावी भी कहा जाता है, भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक है। इसके अलावा खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार के क्षेत्र को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद चला था। इन क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी मराठी और कन्नड़ भाषा बोलती है और लंबे समय से यह क्षेत्र विवाद का केंद्र रहा है।

यह क्षेत्र 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब कर्नाटक के अधीन आए। इससे पहले ये बॉम्बे के अधीन थे, जिसे अब महाराष्ट्र कहा जाता है। जब मामला बढ़ा तो केंद्र सरकार ने इसे सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया। मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

इसलिए तेज हुआ विवाद

दोनों राज्यों के बीच विवाद उस समय तेज हुआ जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेलगाम या बेलगावी को महाराष्ट्र राज्य में मिलाने की अनुशंसा नहीं की जा सकती है और बेलगाम पर कर्नाटक के दावे को हरी झंडी दे दी। हालांकि, महाराष्ट्र ने इसे भेदभावपूर्ण और अतार्किक बताते हुए खारिज कर दिया था। आयोग ने निप्पानी, खानापुर और नांदगाड सहित 262 गांव महाराष्ट्र को और 247 गांव कर्नाटक को दिया। हालांकि, महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

बता दें कि यह मामला 2006 में एक बार फिर तब उठा जब महाराष्ट्र की सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई और बेलगाम पर अपना दावा ठोका। सरकार ने यह दावा किया है कि कर्नाटक के बेलगाम में रह रहे माराठी भाषी लोगों में असुरक्षा की भावना है, इसलिए इसे महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए।

बसवराज बोम्मई और फडणवीस आमने-सामने

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मामला उस समय एक बार फिर चर्चा में आया जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के 40 गांवों पर अपना दावा ठोकने की बात कही। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि एक भी गांव महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि हम सीमा विवाद सुलझाना चाहते हैं न की बढ़ाना। उधर, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कर्नाटक में मराठी बोलने वाले क्षेत्र को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग करेंगे।

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