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सीवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी के क्या है मायने? - श्रीनारद मीडिया

सीवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी के क्या है मायने?

सीवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी के क्या है मायने?

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केंद्रीय भू जल आयोग की रिपोर्ट किन प्रयासों की आवश्यकता को कर रही है रेखांकित?

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक,  श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

हाल ही में मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय भू जल आयोग की एक रिपोर्ट ने सनसनी फैला दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सिवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी मिली है। यह मौजूदगी 30 पीपीबी से ज्यादा की बताई जाती है। यह सर्वज्ञात तथ्य रहा है कि भू जल में यूरेनियम के होने का सीधा मतलब है कि कैंसर, किडनी संबंधित व्याधियों की अनुकूलता का होना।

हाल के दिनों में सीवान में कैंसर और किडनी के रोगियों की संख्या बढ़ने की बाते भी मीडिया रिपोर्ट्स में आती रही है। ऐसे में इस खबर के प्रसारित होने के बाद लोगों का दहशत में आना भी स्वाभाविक ही है। लेकिन तथ्य यह भी है कि सिवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी प्रकृति प्रदत ही है। दहशत में आने की जरूरत नहीं है अपितु आवश्यकता इस बात की है कि इस समस्या की गंभीरता पर बात हो, इस बारे में जागरूकता का प्रसार हो और भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी के दुष्प्रभावों से बचाव के उपायों पर भी विचार मंथन हो। साथ ही, आवश्यक उपाय को संजोने के सार्थक और समन्वित प्रयास भी हो।

यह तथ्य पहले भी सामने आता रहा है कि गंगा घाटी के क्षेत्र के भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी है। केंद्रीय भू जल आयोग ने 2024 की रिपोर्ट जारी की है जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि सिवान के भूजल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी मिली है। यहां के जल में यूरेनियम की मात्रा 30 पीपीबी से ज्यादा की है। सीवान में इन दिनों कैंसर और किडनी के रोगियों की संख्या बढ़ी है इसलिए यह तथ्य विचारणीय हो जाता है कि कहीं भू जल में यूरेनियम की मात्रा तो कैंसर, किडनी के रोग के प्रसार का कारण तो नहीं है! इस तथ्य पर पर्याप्त शोध और अनुसंधान की आवश्यकता है।

डॉक्टर शाहनवाज आलम बताते हैं कि भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी के निहितार्थ बेहद नकारात्मक हैं। चिकित्सा जगत में यह सर्वविदित तथ्य है कि भू जल में यदि यूरेनियम की मात्रा है तो इसके सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, किडनी की समस्या बढ़ सकती है, हड्डियों को भी नुकसान पहुंच सकता है, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं मसलन मानसिक विकार और तंत्रिका तंत्र की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, त्वचा और आंखों की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। मानसिक स्वास्थ्य जैसे अवसाद चिंता आदि की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। लेकिन इन सब बातों से दहशत में आने की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं है। भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी एक प्रकृति प्रदत संकल्पना है। इसके संबंध में सतर्कता, सावधानी और जागरूकता की विशेष आवश्यकता है।

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए तमाम तरह के विकल्प मौजूद हैं। कई तरह के प्राकृतिक, तकनीकी, प्रबंधकीय उपाय मौजूद हैं। इन उपायों के व्यावहारिक आयाम पर काम करना आवश्यक है। प्राकृतिक उपाय में वाटर फिल्ट्रेशन यानी भू जल के फिल्टरेशन की व्यवस्था एक प्रमुख उपाय है। वाटर प्यूरीफिकेशन यानी भू जल को प्यूरिफाई कर यूरेनियम की मात्रा कम किया जा सकता है। प्लांट बेस्ड रिमेडिएशन भी संभव है, जिसमें कुछ पौधों की मदद से यूरेनियम को हटाया जा सकता है। तकनीकी उपायों में आयन एक्सचेंज, रिवर्स ऑस्मोसिस, एक्टिवेटेड कार्बन आदि शामिल है। इसमें देखना यह होगा कि कौन सा उपाय ज्यादा व्यावहारिक तौर पर लागू किया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ी आवश्यकता जागरूकता के प्रसार की है ताकि लोग भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी को समझें और सावधानियों को बरतें।

भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी की समस्या के निदान के लिए विशेषज्ञ भू जल प्रबंधन की योजना पर भी बल देते दिख रहे हैं। इसमें भू जल की नियमित निगरानी, भू जल का पुनर्चक्रण, भू जल का संरक्षण, भू जल प्रबंधन नीति का सख्ती से अनुपालन, भू जल की गुणवत्ता में सुधार लाने के उपाय अपनाना आदि भी महत्वपूर्ण हैं। भू जल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता अवश्य है।

विशेषज्ञ इस बात पर बल दे रहे हैं कि जब सीवान के भू जल सैंपल में यूरेनियम मिलने की बात भू गर्भ जल आयोग बता रहा है तो आम जनता को शुद्ध जल उपलब्ध कराने की आवश्यक बुनियादी संरचना को उपलब्ध कराना सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी बन जाती है। क्योंकि भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी के दुष्प्रभावों का आम जनता पर कम से कम पड़े इसके लिए व्यवस्थाओं को संजोना तो होगा ही। देश के तमाम शहरों में नगरीय निकाय आम जनता के लिए शुद्ध जल की उपलब्धता को सुनिश्चित कर रहे हैं। हो सकता है इसके लिए बड़े स्तर पर संसाधन की आवश्यकता हो। इसके लिए भारत सरकार, बिहार सरकार, स्थानीय निकाय के स्तर पर समन्वय, सामंजस्य की आवश्यकता अवश्य होगी। आम जनता के सेहत और जिंदगी की रक्षा के लिए सरकार को उपाय तो करना ही चाहिए। सख्त नियामकीय उपायों के संधारण में भी सरकार की ही महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

कुछ विशेषज्ञ यह भी बता रहे हैं कि भू जल में यूरेनियम के दुष्प्रभाव को कम करने के संदर्भ में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तकनीक भी बेहद कारगर भूमिका निभा सकती है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के तकनीक में वर्षा जल के एकत्रीकरण का प्रयास किया जाता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग से वर्षा जल को इकट्ठा करके भू जल की मांग को कम किया जा सकता है जैसे पीने, सिंचाई, उद्योगों, कृषि कार्यों के लिए एकत्रित वर्षा जल का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही इसके तहत एकत्रित वर्षा जल से भू जल में पुनर्चक्रित किया जा सकता है। जब वर्षा जल को भू जल से मिलाया जाएगा तो भू जल की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग से प्राप्त और संग्रहित जल से आयन एक्सचेंज और रिवर्स ऑस्मोसिस जैसे उपायों को करके भू जल में यूरेनियम की मात्रा को भी कम किया जा सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग से भू जल की निगरानी करना भी संभव हो सकता है। हर भवन में स्तरीय रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

कुछ चिकित्सा विशेषज्ञ इस बात की तरफ भी संकेत करते हैं कि कैल्शियम और मैग्नीशियम से युक्त फूड के सेवन से मानव शरीर में हैवी मेटल के अवशोषण को कम किया जा सकता है। इस बात का फायदा भू जल में मौजूद यूरेनियम के संदर्भ में भी मिल सकता है। भोजन में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम हैवी मेटल के साथ प्रतिस्पर्धा करता है और उनके अवशोषण को कम करने में मदद करता है और उसके विषाक्त प्रभाव को कम करता है। कैल्शियम और मैग्नीशियम से युक्त खाद्य पदार्थों में दूध, दही, पनीर, अन्य डेयरी उत्पाद, हरि सब्जियां, बादाम, अखरोट आदि, साबुत अनाज आदि शामिल होते हैं इनका नियमित आहार का उपयोग शरीर के सुरक्षा कवच को बढ़ा सकता है।

साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञ इस बात की तरफ भी संकेत करते हैं कि सिवान के भू जल के सैंपल में यूरेनियम की मौजूदगी और कैंसर, किडनी जैसे बीमारियों से उसके संबंध पर और शोध अनुसंधान की आवश्यकता है। लेकिन सत्य यह भी है कि ऐसी चुनौतियों से मुकाबला के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी एक सबल रक्षोपाय हो सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, पर्याप्त नींद, तंबाकू से परहेज, स्वच्छता, योग, प्राणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा, मेडिटेशन आदि तथ्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

सीवान के भू जल के सैंपल में केंद्रीय भूगर्भ जल आयोग को यूरेनियम की मौजूदगी मिलना एक गंभीर तथ्य है। इस पर बेहद गंभीरता से विचार मंथन की आवश्यकता है। सबसे बड़ी जरूरत भू गर्भ जल में यूरेनियम की मौजूदगी से कैंसर और किडनी रोग के संबंध पर अनुसंधान की है। यदि भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी खतरनाक तथ्य है तो इस समस्या का सामना करने के लिए बहुस्तरीय उपायों और प्रयासों में समन्वय और सामंजस्य की महती आवश्यकता है।

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