ऊर्जा संरक्षण सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय और वैश्विक प्रयास क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
‘ऊर्जा दक्षता ब्यूरो’ (BEE) द्वारा प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है।
यह दिवस लोगों को ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और जलवायु परिवर्तन के विषय में जागरूक करने पर केंद्रित है और ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देता है। यह ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डालता है।
विद्युत मंत्रालय ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत वर्ष 2021 में ऊर्जा संरक्षण सप्ताह (8-14 दिसंबर) मनाया जा रहा है। समारोह के हिस्से के रूप में, विद्युत मंत्रालय के तहत ‘ऊर्जा दक्षता ब्यूरो’ ने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा संरक्षण:
- ‘ऊर्जा संरक्षण’ ऐसे प्रयासों को संदर्भित करता है, जिनके माध्यम से किसी विशेष उद्देश्य के लिये कम ऊर्जा का उपयोग करके ऊर्जा का कुशलतापूर्वक संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है- जैसे बल्ब और पंखों का यथा संभव कम उपयोग करना- या किसी विशेष सेवा के उपयोग को कम किया जाता है- जैसे कम ड्राइविंग और इसके बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, ताकि ऊर्जा संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
- ऊर्जा संरक्षण एक सचेत, व्यक्तिगत प्रयास है और वृहद स्तर पर यह ऊर्जा दक्षता की ओर ले जाता है।
- ऊर्जा संरक्षण का अंतिम लक्ष्य स्थायी ऊर्जा उपयोग की ओर पहुँचना है।
- गौरतलब है कि यह ‘ऊर्जा दक्षता’ शब्द से अलग है, जिसके तहत ऐसी तकनीक का उपयोग किया जाता है जिसमें समान कार्य करने हेतु कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001:
- अधिनियम भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करने के लक्ष्य के साथ अधिनियमित किया गया था। यह निम्नलिखित के लिये विनियामक अधिदेश प्रदान करता है:
- उपकरणों की मानक और लेबलिंग;
- वाणिज्यिक भवनों हेतु ऊर्जा संरक्षण कोड तथा
- ऊर्जा गहन उद्योगों के लिये ऊर्जा खपत मानदंड।
- अधिनियम भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करने के लक्ष्य के साथ अधिनियमित किया गया था। यह निम्नलिखित के लिये विनियामक अधिदेश प्रदान करता है:
- ऊर्जा संरक्षण सप्ताह:
- विद्युत् मंत्रालय द्वारा 8 से 14 दिसंबर 2021 तक ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत ऊर्जा संरक्षण सप्ताह मनाया जा रहा है।
- BEE और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने मिलकर इस क्षेत्र के विकास को ऊर्जा-कुशल तथा पर्यावरण के अनुकूल तरीके से सुनिश्चित करने के लिये कई पहल की हैं।
- MSME क्षेत्र में विभिन्न संगठनों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिये बीईई और एमएसएमई मंत्रालय ने एक सहयोगी मंच – “समीक्षा” (लघु और मध्यम उद्यम ऊर्जा दक्षता ज्ञान साझाकरण) को भी बढ़ावा दिया है।
- मंच का उद्देश्य ज्ञान को एकत्र करना और स्वच्छ, ऊर्जा प्रौद्योगिकियों तथा प्रथाओं को बढ़ावा देने और अपनाने के लिये विभिन्न संगठनों के प्रयासों में तालमेल बिठाना है।
- बीईई ने एमएसएमई समूहों के ऊर्जा और संसाधन मानचित्रण के परिणामों पर एक इंटरएक्टिव कार्यशाला का आयोजन किया है।
- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार:
- ऊर्जा मंत्रालय ने अपने उत्पादन को बनाए रखते हुए ऊर्जा खपत को कम करने के लिये विशेष प्रयास करने वाले उद्योगों और प्रतिष्ठानों को पुरस्कार के माध्यम से राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने हेतु वर्ष 1991 में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार शुरू किया था।
- यह उद्योग, प्रतिष्ठानों और संस्थानों में 56 उप-क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता उपलब्धियों को मान्यता देता है।
- अन्य संबंधित पहलें:
- राष्ट्रीय:
- प्रदर्शन उपलब्धि और व्यापार योजना (PET): यह ऊर्जा बचत के प्रमाणीकरण के माध्यम से ऊर्जा गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिये लागत प्रभावशीलता को बढ़ाने हेतु एक बाज़ार आधारित तंत्र है जिसका व्यापार किया जा सकता है।
- मानक और लेबलिंग: यह योजना 2006 में शुरू की गई थी और वर्तमान में उपकरण/उपकरणों के लिये लागू की गई है।
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC): इसे 2007 में नए वाणिज्यिक भवनों के लिये विकसित किया गया था।
- मांग पक्ष प्रबंधन: यह विद्युत मीटर की मांग या ग्राहक-पक्ष पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से उपायों का चयन, योजना और कार्यान्वयन है।
- वैश्विक प्रयास:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: यह सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के लिये ऊर्जा नीतियों को आकार देने हेतु दुनिया भर के देशों के साथ कार्य करती है।
- भारत IEA का एक सदस्य देश नहीं बल्कि एक सहयोगी सदस्य (Association Country) है। हालांँकि IEA ने भारत को पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिये आमंत्रित किया है।
- IEA और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL – Ministry of Power) ने ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था के कई लाभों को प्रदर्शित करने के लिये भारत सरकार के घरेलू कुशल प्रकाश कार्यक्रम – ‘उजाला’ (UJALA) पर मिलकर केस स्टडी की।
- सस्टेनेबल एनर्जी फॉर आल (SEforALL)
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो जलवायु पर पेरिस समझौते के अनुरूप सतत् विकास लक्ष्य-7 (वर्ष 2030 तक सभी के सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा की पहुँच) की उपलब्धि की दिशा में तेज़ी से कार्रवाई करने के लिये संयुक्त राष्ट्र और सरकार के नेताओं, निजी क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी में काम करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी: यह सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य के लिये ऊर्जा नीतियों को आकार देने हेतु दुनिया भर के देशों के साथ कार्य करती है।
- पेरिस समझौता:
- यह जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका लक्ष्य पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से कम, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।
- पेरिस समझौते के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा तीव्रता (प्रति यूनिट जीडीपी के लिये खर्च ऊर्जा इकाई) को वर्ष 2005 की तुलना में 33-35% कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- मिशन इनोवेशन (MI):
- यह स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में तेज़ी लाने के लिये 24 देशों और यूरोपीय आयोग (यूरोपीय संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है।
- भारत इसके सदस्य देशों में से एक है।
- राष्ट्रीय:
- भारत में विद्युत क्षेत्र का परिदृश्य:
- कुल क्षमता: भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादक देश है। नवंबर 2021 तक, इसकी बिजली ग्रिड में लगभग 392 GW की कुल क्षमता जोड़ी गई है।
- भारत की बिजली उत्पन्न करने के लिये तापीय, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) प्रणालियाँ प्रमुख स्रोत हैं।
- तापीय, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिये स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता क्रमशः 60% (234.69 GW), 2% (6.78 GW) और 38% (150.54 GW) की हिस्सेदारी रखती है।
- भारत की बिजली उत्पन्न करने के लिये तापीय, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) प्रणालियाँ प्रमुख स्रोत हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विश्व स्तर पर चौथा सबसे आकर्षक नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार है।
- पवन ऊर्जा स्थापना क्षमता के मामले में भारत चौथे स्थान पर था जबकि सौर ऊर्जा स्थापना क्षमता में इसे पाँचवें स्थान पर रखा गया है।
- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा (RI) क्षमता के 150 गीगावाट को पार करके एक मील का पत्थर हासिल किया है।
- नवंबर 2021 में, वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट तथा वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट के महत्वाकाँक्षी लक्ष्य के मुकाबले कुल नवीकरणीय ऊर्जा (RI) स्थापित क्षमता 150.54 गीगावाट है।
- कुल क्षमता: भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादक देश है। नवंबर 2021 तक, इसकी बिजली ग्रिड में लगभग 392 GW की कुल क्षमता जोड़ी गई है।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE):
- BEE केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करता है।
- BEE अपने कार्यों को करने में मौज़ूदा संसाधनों और बुनियादी ढाँचे की पहचान तथा उपयोग करने के लिये नामित उपभोक्ताओं, एजेंसियों एवं अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।