देश में बढ़ते आंतरिक व बाह्य सुरक्षा खतरों हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की क्या आवश्यकता है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वर्षों के विचार-विमर्श के बाद भारत ने हाल ही में एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिलाने की प्रक्रिया की शुरुआत की है तथा इसके लिये राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों से इनपुट एकत्र करना शुरू कर दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति:
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को समझना:
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) एक व्यापक दस्तावेज़ है जो किसी देश के सुरक्षा उद्देश्यों एवं उन्हें प्राप्त करने के उपायों को बताता है।
- NSS एक गतिशील दस्तावेज़ है जिसे बदलती परिस्थितियों एवं उभरती चुनौतियों के अनुकूल होने के लिये समय-समय पर अद्यतित किया जाता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का दायरा:
- यह आधुनिक चुनौतियों एवं खतरों की एक विस्तृत शृंखला का समाधान करता है। इसमें न केवल पूर्ववर्ती खतरों के समाधान शामिल हैं, अपितु नए, आधुनिक युद्ध संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं जो आज के परस्पर जुड़े विश्व में महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।
- इसमें न केवल सैन्य तथा रक्षा-संबंधी मुद्दों जैसे पारंपरिक खतरे शामिल हैं, अपितु वित्तीय व आर्थिक सुरक्षा, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, सूचना संबंधी खतरे, महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) में सुनम्यता, आपूर्ति शृंखला व्यवधान एवं पर्यावरणीय चुनौतियाँ जैसे गैर-पारंपरिक खतरे भी शामिल हैं।
- भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की भूमिका:
- भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य के समग्र दृष्टिकोण और उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने हेतु एक रोडमैप प्रदान करके, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति महत्त्वपूर्ण रक्षा एवं सुरक्षा सुधारों का मार्गदर्शन करेगी, जिससे यह देश के हितों की रक्षा के लिये एक आवश्यक विकल्प बन सकेगी।
भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता:
- भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता:
- भारत के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सैन्य चर्चाओं में बार-बार आने वाला विषय रही है। हालाँकि विभिन्न प्रयासों के बावजूद एक सामंजस्यपूर्ण, संपूर्ण सरकारी प्रयास की कमी के कारण इसे अभी तक तैयार एवं कार्यान्वित नहीं किया जा सका है, साथ ही सरकार ने जानबूझकर अपने राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों को सार्वजनिक नहीं किया है।
- गंभीर खतरों और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच तात्कालिकता:
- उभरते खतरों की बहुमुखी प्रकृति और वैश्विक भू-राजनीति में बढ़ती अनिश्चितताओं को देखते हुए भारत में एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- मौजूदा निर्देशों और सैन्य सुधारों की भूमिका को संशोधित करने का आह्वान:
- पूर्व सेना प्रमुख जनरल ने सशस्त्र बलों के लिये वर्तमान राजनीतिक दिशा की पुरानी प्रकृति और इसे संशोधित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
- रक्षा मंत्री का वर्ष 2009 का परिचालन निर्देश सशस्त्र बलों के लिये वर्तमान में लागू एकमात्र राजनीतिक निर्देश है।
- विशेषज्ञों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि सशस्त्र बलों का थिएटराइज़ेशन जैसे महत्त्वपूर्ण सैन्य सुधार एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति से उत्पन्न होने चाहिये।
- ऐसी रणनीति की अनुपस्थिति की तुलना स्पष्ट रोडमैप या योजना के बिना सैन्य सुधारों के प्रयास से की गई है।
- पूर्व सेना प्रमुख जनरल ने सशस्त्र बलों के लिये वर्तमान राजनीतिक दिशा की पुरानी प्रकृति और इसे संशोधित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति वाले देश:
- उन्नत सैन्य और सुरक्षा बुनियादी ढाँचे वाले अधिकांश विकसित देशों में एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति मौजूद है, जिसका समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
- अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियाँ प्रकाशित की हैं।
- चीन के पास भी ऐसी रणनीति है, जिसे व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कहा जाता है, जो इसकी शासन संरचना से गहनता से जुड़ी हुई है।
- पाकिस्तान ने भी अपने राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, 2022-2026 पेश की है।
- उन्नत सैन्य और सुरक्षा बुनियादी ढाँचे वाले अधिकांश विकसित देशों में एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति मौजूद है, जिसका समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
आगे की राह
- राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में परिवर्तन:
- उद्देश्यों को स्पष्ट करना: 21वीं सदी में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति यह परिभाषित करेगी कि किन परिसंपत्तियों की रक्षा और विरोधियों की पहचान की जानी चाहिये जो लोगों में भटकाव उत्पन्न करने के लिये अपरिचित कदमों से लक्षित राष्ट्रवासियों को भयभीत करना चाहते हैं।
- प्राथमिकताएँ निर्धारित करना: राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के लिये नवाचार और प्रौद्योगिकियों का कई मोर्चों पर समर्थन करने हेतु नए विभागों की आवश्यकता होगी, जैसे; हाइड्रोजन ईंधन सेल, समुद्री जल का अलवणीकरण, परमाणु प्रौद्योगिकी हेतु थोरियम, एंटी-कंप्यूटर वायरस और नई प्रतिरक्षा-निर्माण दवाएँ।
- रणनीति में बदलाव: नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के लिये आवश्यक रणनीति कई आयामों में शत्रुओं का पूर्वानुमान लगाना और उनको निरस्त करने की रणनीति विकसित करके प्रदर्शनात्मक लेकिन सीमित प्री-एम्प्टीव स्ट्राइक द्वारा होगी।
- चीन की साइबर क्षमता का कारक भारत के लिये एक नई चुनौती पेश करता है, जिसके लिये एक नई रणनीति के विकास की आवश्यकता है।
- नीति निर्माताओं की भूमिका:
- सरकार को साइबर सुरक्षा के लिये अलग से बजट निर्धारित करना चाहिये।
- राज्य प्रायोजित हैकरों का मुकाबला करने के लिये साइबर योद्धाओं का एक केंद्रीय निकाय बनाना चाहिये।
- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में कैरियर के अवसर प्रदान करके भारत के प्रतिभा आधार का उपयोग किया जाना चाहिये।
- केंद्रीय वित्त पोषण के माध्यम से राज्यों में साइबर सुरक्षा क्षमता कार्यक्रम को बूटस्ट्रैप करने की आवश्यकता है।
- सरकार को साइबर सुरक्षा के लिये अलग से बजट निर्धारित करना चाहिये।
- रक्षा, निवारण और शोषण:
- खतरों से निपटने के लिये किसी भी राष्ट्रीय रणनीति के ये तीन मुख्य घटक हैं:
- क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का बचाव किया जाना चाहिये और व्यक्तिगत मंत्रालयों एवं निजी कंपनियों को भी ईमानदारीपूर्वक उल्लंघनों की रिपोर्ट करने के लिये प्रक्रियाएँ तैयार करनी चाहिये।
- राष्ट्रीय सुरक्षा में प्रतिरोध एक अत्यंत जटिल मुद्दा है। उदाहरण के लिये- परमाणु निवारण सफल है क्योंकि विरोधियों की क्षमता पर स्पष्टता है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में ऐसी कोई स्पष्टता नहीं है।
- एक मज़बूत रणनीति की तैयारी भारतीय सेना को खुफिया जानकारी एकत्रित करने, लक्ष्यों का मूल्यांकन करने और लंबी अवधि में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये विशिष्ट उपकरण तक पहुँच से शुरू करनी होगी।
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