भारत में 6G प्रौद्योगिकी का संभावित प्रभाव क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग (DoT) ने वायरलेस संचार की अगली सीमा 6G प्रौद्योगिकी में नवाचार और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिये भारत 6G एलायंस (B6GA) लॉन्च किया है।
- इसके अलावा दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) के तहत 240.51 करोड़ रुपए के अनुदान के साथ परियोजनाओं के लिये दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
भारत 6G एलायंस (B6GA):
- परिचय:
- B6GA एक सहयोगी मंच है जिसमें सार्वजनिक एवं निजी कंपनियाँ, शिक्षाविद्, अनुसंधान संस्थान और मानक विकास संगठन शामिल हैं।
- यह एलायंस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिये 6G प्रौद्योगिकी युक्त अन्य वैश्विक गठबंधनों के साथ साझेदारी तथा तालमेल स्थापित करेगा।
- उद्देश्य:
- इसका प्राथमिक उद्देश्य 6G प्रौद्योगिकी की व्यावसायिक और सामाजिक ज़रूरतों को समझना, आम सहमति को बढ़ावा देना तथा उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान एवं विकास योजना को आगे बढ़ाना है।
- महत्त्व:
- इससे भारत को 6G प्रौद्योगिकी का विकास करने और उसे अपनाने में सहायता मिलेगी, जिसका अर्थव्यवस्था, समाज तथा पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
- इससे भारत को सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और विनिर्माण क्षेत्र में अपनी शक्ति का लाभ उठाने में भी सहायता मिलेगी।
6G प्रौद्योगिकी:
- 6G प्रौद्योगिकी, 5G प्रौद्योगिकी की उत्तराधिकारी है, जिसे वर्तमान में भारत सहित विभिन्न देशों में शुरू किया जा रहा है।
- उम्मीद है कि 5G प्रौद्योगिकी की तुलना में 6G प्रौद्योगिकी 100 गुना तेज़ गति, अत्यंत कम विलंबता, उच्च विश्वसनीयता और व्यापक कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
- होलोग्राफिक संचार, मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस, क्वांटम इंटरनेट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे नए अनुप्रयोगों तथा सेवाओं को सक्षम बनाने के लिये 6G प्रौद्योगिकी की कल्पना की गई है।
- 6G में होलोग्राफिक संचार वास्तविक समय में 3D होलोग्राफिक छवियों के प्रसारण और प्रदर्शन को संदर्भित करता है, जो गहनता के साथ-साथ जीवंत संचार अनुभवों को सक्षम बनाता है।
- 6G में ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस भविष्य की एक तकनीक है जो उपयोगकर्ताओं को अपने विचारों से कंप्यूटर और उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाएगी।
- इसका उद्देश्य आवृत्ति के टेराहर्ट्ज़ बैंड का उपयोग करना है जो वर्तमान में अप्रयुक्त है
- ये तरंगें अत्यधिक छोटी और कमज़ोर होती हैं, लेकिन यह अधिक मात्रा में मुफ्त स्पेक्ट्रम के साथ शानदार डेटा दरों की अनुमति प्रदान करेगी।
हाल के वर्षों में भारत के दूरसंचार क्षेत्र का विकास:
- दिसंबर 2022 में 1,170.38 मिलियन ग्राहक आधार के साथ भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार है।
- डेटा लागत में महत्त्वपूर्ण कटौती के साथ इसे वर्ष 2014 के 300 रुपए प्रति GB से घटाकर वर्ष 2023 में 10 रुपए प्रति GB कर दिया गया।
- विनियामक प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार हुए जिसमें आगे के अधिकारिक अनुमति की अवधि को 230 दिन से घटाकर 9 दिन करना शामिल है।
- बेस ट्रांसीवर स्टेशन (BTS) साइट्स की संख्या चार गुना बढ़कर 25 लाख इंस्टाॅलेशन हो गई है।
- दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर अब 24 अरब डॉलर हो गया है।
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) को 24 घंटे के भीतर स्पेक्ट्रम का सुव्यवस्थित आवंटन।
- जापान और भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली के बीच गठबंधन।
- बाज़ार स्थिरीकरण और परिचालन लाभ अर्जित करने में बीएसएनएल की उपलब्धियाँ।
- संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 12 देशों को भारत द्वारा सफल प्रौद्योगिकी निर्यात/हस्तांतरण।
दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (Telecom Technology Development Fund- TTDF):
- इसे DoT/यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) द्वारा वर्ष 2022 में शुरू किया गया था।
- इसके तहत प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं के अनुसंधान व विकास के वित्तपोषण के लिये USOF के वार्षिक संग्रह का 5% हिस्सा TTDF योजना के लिये उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है।
- इस योजना की परिकल्पना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास और निर्माण द्वारा डिजिटल अंतर को कम करने तथा दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण व विकास के लिये शिक्षाविदों, स्टार्टअप, अनुसंधान संस्थानों एवं उद्योग के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।
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