आकाशीय बिजली गिरने की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे क्या कारण है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आकाशीय बिजली/तड़ित (Lightning) भारत में चिंता का विषय रही है, जिससे प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से आकाशीय बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा घोषित करने की मांग उठने पर केंद्र सरकार ने सतर्क रुख अपनाया है।
- यदि मंज़ूरी मिल जाती है, तो पीड़ित राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund- SDRF) से मुआवज़े के हकदार होंगे, जिसमें 75% का योगदान केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
नोट:
वर्तमान में चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीटों का हमला, ठंढ और शीत लहर को आपदा माना जाता है जो SDRF के अंतर्गत आते हैं। इसमें अभी तक आकाशीय बिजली शामिल नहीं है।
भारत में आकाशीय बिजली गिरने का वर्तमान परिदृश्य:
- परिचय:
- आकाशीय बिजली एक शक्तिशाली और दृश्यमान विद्युत घटना है जो तब घटित होती है जब बादलों के अंदर एवं बादलों तथा ज़मीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है।
- इस विद्युत ऊर्जा के निर्वहन के परिणामस्वरूप प्रकाश की एक अत्यधिक तेज़ चमक और हवा का तेज़ी से विस्तार होता है, जिससे बिजली के साथ होने वाली विशिष्ट गड़गड़ाहट की आवाज़ पैदा होती है।
- क्लाउड टू ग्राउंड (Cloud to Ground) बिजली हानिकारक होती है क्योंकि उच्च विद्युत वोल्टेज और करंट के कारण लोगों को नुकसान हो सकता है।
- भारत विश्व में आकाशीय बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी प्रणाली वाले पाँच देशों में से एक है।
- यह प्रणाली आकाशीय बिजली गिरने से पाँच दिन पहले से लेकर तीन घंटे पहले तक का पूर्वानुमान प्रदान करती है।
- आकाशीय बिजली एक शक्तिशाली और दृश्यमान विद्युत घटना है जो तब घटित होती है जब बादलों के अंदर एवं बादलों तथा ज़मीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है।
- बिजली गिरने से होने वाली मौतें: सांख्यिकी और रुझान:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा: वर्ष 2021 में आकाशीय बिजली गिरने से 2,880 मौतें हुईं, जिसमें “फोर्स ऑफ नेचर” के कारण हुई सभी आकस्मिक मौतों के 40% आँकड़े शामिल हैं।
- यह प्रवृत्ति अन्य प्राकृतिक घटनाओं की तुलना में आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मृत्यु में वृद्धि का संकेत देती है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा: वर्ष 2021 में आकाशीय बिजली गिरने से 2,880 मौतें हुईं, जिसमें “फोर्स ऑफ नेचर” के कारण हुई सभी आकस्मिक मौतों के 40% आँकड़े शामिल हैं।
- भारत में भौगोलिक वितरण:
- पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, ओडिसा तथा बिहार में आकाशीय बिजली की आवृत्ति सबसे अधिक है।
- हालाँकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिसा जैसे मध्य भारतीय राज्यों में आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या अधिक है।
- बिहार आकाशीय बिजली गिरने के मामले में सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है, जहाँ हर वर्ष इसके कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
- वर्ष 2023 में 6 जुलाई तक बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से 107 मौतें दर्ज की गईं।
- पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, ओडिसा तथा बिहार में आकाशीय बिजली की आवृत्ति सबसे अधिक है।
- आकाशीय बिजली के संदर्भ में केंद्र सरकार का दृष्टिकोण:
- केंद्र सरकार आकाशीय बिजली को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का विरोध करती है। सरकार का मानना है कि जानकारी और जागरूकता आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों को प्रभावी ढंग से रोकने में सहायता कर सकती है।
आकाशीय बिजली गिरने की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे संभावित कारक:
- जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन संभावित रूप से वायुमंडलीय स्थितियों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे आँधी और आकाशीय बिजली की गतिविधि में वृद्धि हो सकती है।
- जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, नमी के वितरण, अस्थिरता और संवहनी प्रक्रियाओं में परिवर्तन हो सकता है जो अधिक बार आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
- कालबैसाखी एक स्थानीय तूफान की घटना है जो आकाशीय बिजली के साथ घटित होती है, यह आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्री-मॉनसून सीज़न के दौरान देखी जाती है।
- शहरीकरण: शहरी क्षेत्रों का विस्तार “शहरी ताप द्वीप प्रभाव” के रूप में जाना जाता है।
- बढ़ती मानवीय गतिविधियों, ऊर्जा खपत और अभेद्य सतहों के कारण शहर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं।
- इन स्थानीय ताप द्वीपों के कारण अधिक गरज के साथ वर्षा हो सकती है और परिणामस्वरूप, आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
- भूमि उपयोग परिवर्तन: निर्वनीकरण, कृषि पद्धतियों में परिवर्तन और प्राकृतिक परिदृश्य में परिवर्तन स्थानीय वायुमंडलीय स्थितियों को बाधित कर सकते हैं।
- इस तरह के परिवर्तन तूफानों के विकास में योगदान दे सकते हैं और परिणामस्वरूप आकाशीय बिजली गिरने की अधिक घटनाएँ हो सकती हैं।
- प्रदूषण और एयरोसोल: एयरोसोल और पार्टिकुलेट मैटर सहित वायु प्रदूषण, तूफानों के भीतर बादल निर्माण और विद्युत गतिविधि को प्रभावित कर सकता है।
- मानवजनित उत्सर्जन तूफान की आवृत्ति और तीव्रता को प्रभावित कर सकता है, जिससे संभवतः आकाशीय बिज़ली गिरने की अधिक संभावना हो सकती है।
आगे की राह
- शैक्षणिक अभियान: आकाशीय बिजली से सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये व्यापक शैक्षिक अभियान चलाना।
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आकाशीय बिजली गिरने के खतरों और सुरक्षित रहने के लिये बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- आकाशीय बिजली भविष्य1वाणी तथा चेतावनी प्रणाली: आकाशीय बिजली एवं तूफान की उन्नत सूचना प्रदान करने के लिये आकाशीय बिजली की भविष्यवाणी और चेतावनी प्रणाली को विकसित एवं कार्यान्वित करना। इससे लोगों को आवश्यक सावधानी बरतने और समय पर आश्रय लेने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
- आकाशीय बिजली प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचा: विशेष रूप से स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक भवनों जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आकाशीय बिजली प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
- इसमें ऊँची संरचनाओं, इमारतों एवं घरों पर आकाशीय बिजली की छड़ें स्थापित करना शामिल हो सकता है ताकि आकाशीय बिजली को ज़मीन तक पहुँचने के लिये एक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया जा सके, जिससे प्रत्यक्ष रूप से होने वाली हानि के जोखिम को कम किया जा सके।
- इसके अतिरिक्त विद्युत उपकरणों और उपकरणों के लिये सर्ज प्रोटेक्टर्स का उपयोग करना। आकाशीय बिजली गिरने से विद्युत की वृद्धि हो सकती है जो संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स को हानि पहुँचा सकती है। सर्ज प्रोटेक्टर अतिरिक्त वोल्टेज को डायवर्ट कर सकते हैं और उपकरण की सुरक्षा कर सकते हैं।
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