इजरायल और ईरान के बीच विवाद की क्या वजह है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इजरायल ने एक बार फिर ईरान पर हवाई हमला किया है. यह हमला शनिवार सुबह तक जारी रहा. इजरायल का दावा है कि इस हवाई हमले में उसने ईरान की राजधानी तेहरान सहित अन्य शहरों के सैन्य स्थलों पर हमले किए हैं. इजरायल का दावा है कि उसने उन मिसाइल निर्माण संयत्रों पर हमले किए हैं, जहां मिसाइल बनाकर एक अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर मिसाइल बरसाए थे. इस हमले से ईरान बौखला गया है, हालांकि उसने दावा है कि उसे मामूली नुकसान हुआ है, लेकिन यह बात भी तय मानी जा रही है कि इजरायल के हमले से ईरान गुस्से में है और वह कुछ ही दिन में इजरायल से इस हमले का बदला लेगा.

इजरायल ने भी शुक्रवार रात को ईरान पर जो हमला किया, वह बदले की ही कार्रवाई थी. अब सवाल यह है कि आखिर इजरायल और ईरान के बीच जो यह युद्ध चल रहा है उसके मूल में क्या वजह है और इसका क्या असर पश्चिम एशिया पर पड़ेगा?

इजरायल की छवि मुस्लिम विरोधी देश की क्यों बनी?

इजरायल का फिलिस्तीनियों से विरोध तब से है जब वे शरणार्थी के रूप में फिलिस्तीन आए और धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाकर एक तरह से यहां की पूरी भूमि पर कब्जा कर लिया. जब फिलिस्तीन ने इसका विरोध किया तो उनके बीच विवाद शुरू हो गया, चूंकि इस क्षेत्र पर ब्रिटेन का कब्जा था इसलिए उसने फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए जगह मुहैया करा दी और उनके लिए अलग देश की घोषणा कर दी. जब 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो टुकडों में बांट दिया तो इजरायल ने इस बात को स्वीकार कर लिया, लेकिन फिलिस्तीन ने इसका विरोध किया और दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में इजरायल की जीत हुई और फिलिस्तीनी अपनी ही धरती पर शरणार्थी बन गए और गाजा पट्टी में रहने लगे.

अलजजीरा में छपी खबर के अनुसार इजरायल युद्ध में जीतकर एक स्वतंत्र राष्ट्र तो बन गया, जिसे विश्व ने स्वीकार भी कर लिया, लेकिन उसे फिलिस्तीन का डर सताता है. वह फिलस्तीनी एकता, उनकी दृढ़ता, फिलिस्तीनी लोकतंत्र, उनकी कविता और उनके प्रतीकों से भी डरता है. उसे डर है कि जिस दिन फिलिस्तीनों की संख्या ज्यादा हो जाएगी उनका अस्तित्व खतरे में आ जाएगा. इसी वजह से इजरायल फिलिस्तीनियों का विरोध करता है और जो भी फिलिस्तीनियों का समर्थन करते हैं उनका विरोध इजरायल करता है, अमूमन मुस्लिम देश फिलिस्तीन के समर्थक रहे हैं, यही वजह है कि इजरायल मुस्लिम विरोधी बन गया है.

 विवाद की क्या है वजह?

ईरान और इजरायल के बीच संबंध शुरुआत से ही बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. जब संयुक्त राष्ट्र ने 1947 में फिलिस्तीन के विभाजन की घोषणा की तो ईरान उन 13 देशों में शामिल था, जिसने इस फैसले का विरोध किया था. 1949 में ईरान ने उसे संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता देने का भी विरोध किया था. हालांकि पहलवी राजवंश के शासन में आने से ईरान और इजरायल के संबंधों में सुधार हुआ तुर्की के बाद ईरान दूसरा राष्ट्र बना जिसने इजरायल को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी.

हालांकि बाद में स्थिति बिगड़ गई और ईरान और इजरायल के संबंध खराब हो गए, खासकर 1979 के इस्लामी क्रांति के बाद स्थिति और भी खराब हो गई. ईरान को इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया और उसने इजरायल के साथ सभी तरह के संबंधों को तोड़ लिया. ईरान ने हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों को अपने यहां पनाह दी जो फिलिस्तीन के समर्थक हैं बस इन्हीं वजहों से ईरान और इजरायल के संबंध विवादों से परिपूर्ण रहे हैं.

2024 में क्यों बढ़ा ईरान और इजरायल विवाद?

सात अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर राॅकेट से हमले किए और उनके इलाके में घुसकर कई आम लोगों की हत्या की और सैकड़ों को उठाकर ले गए. इस हमले से बौखलाए इजरायल ने लगातार हमास पर हमले किए और 31 जुलाई को ईरान की राजधानी तेहरान में घुसकर मारा था, जिसकी वजह से ईरान ने खुलकर इजरायल को चुनौती दी और यह भी कहा था कि उसका अंत नजदीक है. हानिए की हत्या के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जारी है, जिसकी वजह से पश्चिम एशिया में अशांति का माहौल कायम है और स्थिति अगर इसी तरह की रही तो तनाव और बढ़ सकता है.

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