ड्रैगन की बौखलाहट की क्‍या वजह है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अपने सभी पड़ोसियों को धमकाने में जुटे चीन के निशाने पर इस बार भारत है। हाल के हफ्तों में चीन ने जापान, आस्ट्रेलिया, ताइवान के साथ और ज्यादा तनाव बढ़ा लिया है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने हाल ही में कहा है कि ताइवान का चीन में एकीकरण अनिवार्य है। जबकि सेनकाकु द्वीप को लेकर जापान के साथ विवाद और बढ़ता दिख रहा है। यह भी देखने में आ रहा है कि आस्ट्रेलिया के साथ चीन का ट्रेड विवाद भी दिनों दिन गहरा रहा है। लेकिन रविवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता में भारतीय पक्षकारों ने जिस तरह से चीनी पक्षकारों को वार्ता की मेज पर चित्त किया है, उससे वहां खलबली मची है।

गंभीर शक्‍ल अख्तियार कर सकता है गतिरोध

जानकारों का यह भी मानना है कि आने वाले दिनों में भारत व चीन में तनाव और गंभीर हो सकता है। देश के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने लिखा है कि समूचे हिंद-प्रशांत में हिमालय का क्षेत्र सबसे खतरनाक बन गया है। चीन की तरफ से सीमा में घुसपैठ करने के 17 महीनों बाद भारत का संयम भी कम होता जा रहा है, क्योंकि चीन बातचीत के बहाने जमीन कब्जा करने में जुटा हुआ है। चेलानी ने यह भी कहा है कि भारत ने पहली बार चीन की आक्रामकता को सही तरीके से पेश किया है।

वार्ता में साफ दिख रहा गतिरोध

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा है कि वार्ता में गतिरोध साफ तौर पर दिख रहा है। माहौल काफी खराब हो गया है। भारत को दलाई लामा और ताइवान को लेकर सोची समझी रणनीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। कई और विशेषज्ञों ने भी यह चिंता जताई है कि इस बार सर्दियों का मौसम भारत व चीन के संबंधों के हिसाब से पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा सर्द रह सकता है।

गीदड़भभकी पर उतारू हुआ चीन

उधर, चीनी सेना के बयान के बाद वहां के विदेश मंत्रालय और सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की तरफ से भी भारत को धमकाने का काम किया गया है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में यहां तक लिखा है कि भारत को यह समझ जाना चाहिए कि उसे वैसी सीमा नहीं मिल सकती, जैसा कि वह चाहता है। अगर युद्ध होता है तो निश्चित तौर पर उसकी हार होगी।

युद्ध की चेतावनी दे रहा ड्रैगन

ग्लोबल टाइम्स ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत के सुझावों को अनावश्यक और अनुचित करार देते हुए कहा है कि स्थिति खराब होने पर चीन को सैन्य संघर्ष के लिए भी तैयार रहना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स का यह संपादकीय भी चीन के बदलते रवैये को बता रहा है। मई 2020 में जब सीमा विवाद शुरू हुआ था, तब इस समाचार पत्र ने भारत के खिलाफ खूब बयानबाजी की थी। लेकिन हाल के महीनों में यह शांति की बात कर रहा था।

क्‍वाड गतिविधियां भी जिम्‍मेदार

जानकारों का कहना है कि भारत के साथ तल्खी दिखाने के पीछे कुछ हद तक क्वाड गठबंधन को लेकर बढ़ती गतिविधियां भी जिम्मेदार हो सकती हैं। पिछले महीने ही वाशिंगटन में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के प्रमुखों की क्वाड गठबंधन के तहत पहली आमने-सामने बैठक हुई, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकीकृत सैन्य नीति को लेकर भी चर्चा हुई है। आंतरिक राजनीति में अपनी छवि मजबूत दिखाने में जुटे राष्ट्रपति चिनफिंग अभी नहीं चाहेंगे कि भारत के साथ एलएसी पर तनाव के मुद्दे पर कोई सहमति बने। संभवत: ऊपर के निर्देश पर ही रविवार को वार्ता में चीनी पक्षकारों का रवैया सौहार्दपूर्ण नहीं था।

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