Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
राष्ट्रगान का सम्मान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय क्या है? - श्रीनारद मीडिया

राष्ट्रगान का सम्मान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय क्या है?

राष्ट्रगान का सम्मान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय क्या है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

श्रीनगर में कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने एक कार्यक्रम जहाँ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मौजूद थे ,में राष्ट्रगान के लिये खड़े नहीं होने के आरोप में 11 लोगों को हिरासत में लेने के बाद कारावास भेज दिया।

  • उन्होंने आदेश में कहा गया है कि “इस बात की पूरी संभावना है कि रिहा होने पर वे शांति भंग करने उल्लंघन करेंगे और सार्वजनिक शांति भी भंग कर सकते हैं”।
  • उन्हें CRPC की धारा 107/151 के अंतर्गत अच्छे व्यवहार के लिये बाध्य (“बाउंड डाउन”) किया गया था।

नोट: 

  • कानूनी शब्दों में, “बाउंड डाउन” का अर्थ है किसी निश्चित तारीख पर जाँच अधिकारी या न्यायालय के सामने उपस्थित होना आवश्यक है।
  • अभियुक्त न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिये ज़मानत या व्यक्तिगत गारंटी से बाध्य है।

कार्यकारी मजिस्ट्रेट 

  • CRPC, मजिस्ट्रेट को 2 प्रकारों में वर्गीकृत करता है- कार्यकारी मजिस्ट्रेट और न्यायिक मजिस्ट्रेट। CRPC की धारा 3(4) दोनों के बीच बेहतर संबंधों को लागू करती है।
  • एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट (EM), कार्यकारी शाखा का एक अधिकारी होता है जिसके पास भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) दोनों केअंतर्गत शक्तियाँ होती हैं।
  • EM की नियुक्ति राज्य सरकारों द्वारा की जाती है, और वे मुख्य रूप से कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने एवं पुलिस और प्रशासनिक कार्य करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • दूसरी ओर, न्यायिक मजिस्ट्रेट सज़ा/जुर्माना/हिरासत का फैसला सुनाते हैं और जाँच की प्रक्रिया में साक्ष्यों की जाँच करते हैं।
    • साथ ही, न्यायिक मजिस्ट्रेट उच्च न्यायालयों के सीधे नियंत्रण में होते हैं।
  • EM कभी-कभी न्यायालयों  के रूप में कार्य करते हैं जब वे शांति और व्यवस्था बनाए रखने (CRPC धारा.107) के संबंध में जाँच (CRPC धारा.116) करते समय न्यायिक प्रकृति के अनुरूप  कार्य करते हैं।

CRPC की धारा 107 और धारा 151 

  • धारा 107: धारा 107 के अनुसार, एक EM यह अनुरोध कर सकता है कि कोई व्यक्ति यह कारण प्रदर्शित करे कि उन्हें अधिकतम एक वर्ष के लिये शांति बनाए रखने के लिये बांड पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता क्यों नहीं होनी चाहिये, यदि EM को जानकारी है कि व्यक्ति ने अशांति फैलाई है (या इसकी संभावना है) या सार्वजनिक शांति को भंग किया है ।
    •  कोई भी EM ऐसी कार्रवाई कर सकता है, बशर्ते कोई एक (यदि दोनों नहीं) उसके अधिकार क्षेत्र से संबद्द हो:
      • वह स्थान जहाँ इस प्रकार की शांति भंग होने की संभावना हो
      • वह व्यक्ति जिससे शांति भंग होने की संभावना हो
  • धारा 151:  यह संज्ञेय अपराधों को घटित होने से रोकने के लिये गिरफ्तारी का प्रावधान करता है।
    • यह एक पुलिस अधिकारी को अधिकृत करता है जिसे ऐसे किसी अपराध को करने की योजना बना रहे कुछ व्यक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, तब उन्हें वारंट या मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना ही गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त है।
    • हालाँकि, उन्हें 24 घंटे से अधिक समय तक के लिये हिरासत में नहीं रखा जा सकता जब तक कि अगले आदेश (या किसी अन्य कानून) में ऐसा प्रावधान न किया गया हो।

भारत का राष्ट्रगान:

  • परिचय:
    • यह रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है। यह गान भारत की राष्ट्रीय विरासत के साथ देशभक्ति और निष्ठा को प्रदर्शित करता है
  •  मूल स्रोत: 
    • टैगोर ने 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में कांग्रेस के सत्र में पहली बार राष्ट्रगान प्रस्तुत किया।
    • वर्ष 1941 में इसे फिर से सुभाष चंद्र बोस द्वारा प्रस्तुत किया गया लेकिन उन्होंने मूल गीत से थोड़ा अलग संस्करण अपनाया, जिसे ‘शुभ सुख चैन’ कहा गया।
  • विकास और अंगीकरण: 
    • टैगोर ने पहला गान बंगाली में ‘भरोतो भाग्यो बिधाता’ लिखा था जिसे बाद में संपादित किया गया तथा ‘जन गण मन’ के रूप में अनुवादित किया गया।
    • 24 जनवरी, 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा इसे राष्ट्रगान के रूप में अपनाने की घोषणा की गई।

राष्ट्रगान के सम्मान की रक्षा के लिये सुरक्षा उपाय: 

  • अनुच्छेद 51 (A): 
    •  यह भारत के नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का भाग है।
    • संविधान के मूल्यों और संस्थानों के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी प्रत्येक भारतीय नागरिक की है
  • राष्ट्रीय गौरव के अपमान की रोकथाम (PINH) अधिनियम,1971: 
    • अधिनियम में प्रावधान किया गया कि राष्ट्रगान का अपमान करने और उसके प्रतिबंधों को तोड़ने पर कठोर सजा दी जाएगी।
    • आरोपी को 3 वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
  • राष्ट्रगान आचार संहिता: 
    • इसमें यह प्रावधान है कि जब भी राष्ट्रगान गाया या बजाया जाएगा, तो दर्शक सावधान मुद्रा खड़े रहेंगे
      • हालाँकि, जब किसी न्यूज़रील या वृत्तचित्र के दौरान फिल्म के एक भाग के रूप में राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो दर्शकों से खड़े होने की उम्मीद नहीं की जाती है।
    • इसमें उन अवसरों को भी सूचीबद्ध किया गया है जहाँ राष्ट्रगान का संक्षिप्त या पूर्ण संस्करण ही बजाया जाएगा।

राष्ट्रगान के सम्मान के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

  • बिजो इमैनुएल और अन्य बनाम केरल राज्य (1986):
    • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में राष्ट्रगान के कथित अनादर से संबंधित कानून निर्धारित किया गया था।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने ईसाई संप्रदाय के 3 बच्चों को सुरक्षा प्रदान की, न्यायालय का यह मानना था कि राष्ट्रगान गाने के लिये बच्चों को मज़बूर करना उनके धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन है।
      • उन बच्चों के माता-पिता ने केरल उच्च न्यायालय में अपील की कि ईसाई धर्म के यहोवा के साक्षी संप्रदाय में केवल यहोवा (ईश्वर का हिब्रू नाम) की आराधना की अनुमति है। उनका कहना था कि चूँकि राष्ट्रगान एक प्रार्थना है, वे सम्मान में खड़े तो हो सकते थे, लेकिन गा नहीं सकते थे।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सम्मानपूर्वक खड़ा होना और खुद न गाना न तो किसी को राष्ट्रगान गाने से रोकता है और न ही गाने के लिये एकत्रित हुए लोगों को किसी भी प्रकार की परेशान करता है। अतः यह राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम (Prevention of Insults to National Honour- PINH) अधिनियम 1971 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
  • श्याम नारायण चौकसी बनाम भारत संघ (2018): 
    • वर्ष 2016 में इसी मामले की सुनवाई करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें सभी भारतीय सिनेमाघरों को फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य था और हॉल में मौजूद सभी लोगों के लिये खड़े हो कर इसका सम्मान करना अनिवार्य था।
    • हालाँकि, जनवरी 2018 में मामले पर अपने अंतिम फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि सिनेमा हॉल में फीचर फिल्मों की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है, बल्कि वैकल्पिक है”
  • यह भी पढ़े………………
  • भारत-पकिस्तान जलविद्युत परियोजना को लेकर क्या मतभेद है?
  • विश्व ज़ूनोसिस दिवस क्या है?
  • भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये कौन-से अवसर मौजूद हैं?

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!