भारत में तंबाकू उपभोग का परिदृश्य क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व भर में बीमारी और मृत्यु का सबसे व्यापक कारण तंबाकू है।
- भारत में तंबाकू उपभोक्ताओं की संख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है (चीन के बाद), जिनकी संख्या लगभग 26 करोड़ है।
तंबाकू के उपयोग के संबंध में मुख्य तथ्य:
- आधे से अधिक तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।
- तंबाकू के कारण प्रतिवर्ष 8 मिलियन से अधिक लोग मरते हैं, जिनमें अनुमानतः 1.3 मिलियन वे लोग भी शामिल हैं जो धूम्रपान न करने वाले हैं तथा जो अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में आते हैं।
- भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.35 मिलियन लोग तंबाकू के सेवन के कारण मरते हैं।
- विश्व के 1.3 बिलियन तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं में से लगभग 80% निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
- वर्ष 2020 में विश्व की 22.3% आबादी ने तंबाकू का सेवन किया।
भारत में तंबाकू उपभोग के आँकड़े क्या हैं?
तंबाकू की खपत में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Surve- NFHS) के अनुसार, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme- NTCP) और गैर-NTCP ज़िलों के बीच बीड़ी या सिगरेट की खपत में कमी में कोई विशेष अंतर नहीं है।
- इसके संभावित कारण अपर्याप्त भर्ती, संसाधन आवंटन एवं उपयोग तथा प्रभावी निगरानी तंत्र का अभाव हो सकते हैं।
- सिगरेट और बीड़ी हुई सस्ती: पिछले 10 वर्षों में सिगरेट, बीड़ी और धुआँ रहित तंबाकू (Smokeless Tobacco) उत्पाद सस्ते हो गए हैं।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली ने एकीकृत कर प्रणाली के कारण इन्हें और भी अधिक किफायती बना दिया है, जिससे कीमतें कम हो गई हैं।
- महिलाओं में तंबाकू के उपयोग में वृद्धि: महिलाओं को छोड़कर सभी वर्गों में तंबाकू का उपयोग कम हुआ है, किंतु वर्ष 2015 और 2021 के बीच महिलाओं द्वारा तंबाकू के उपयोग में 2.1% की वृद्धि हुई है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस:
- विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाता है।
- विश्व तंबाकू निषेध दिवस की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में तंबाकू से होने वाली मृत्यु तथा बीमारियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से की गई।
- इस दिवस का उद्देश्य जनता को तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में जानकारी देना है।
- यह विश्व भर के लोगों को स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के अपने अधिकार का दावा करने तथा भावी पीढ़ियों की सुरक्षा करने के लिये भी प्रोत्साहित करता है।
- 2024 का थीम “Protecting Children from Tobacco Industry Interference” बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना” है।
- यह दिन तंबाकू के उपयोग से होने वाली रोकी जा सकने वाली मृत्यु और बीमारी की याद दिलाता है तथा तंबाकू नियंत्रण नीतियों एवं हस्तक्षेपों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
भारत तंबाकू के खिलाफ कैसे लड़ रहा है?
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता:
- तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (Framework Convention on Tobacco Control- FCTC):
- भारत इस कन्वेंशन के 182 हस्ताक्षरकर्त्ताओं में से एक है, जो वैश्विक तंबाकू नियंत्रण प्रयासों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इसका उद्देश्य देशों को मांग और आपूर्ति में कमी लाने की रणनीतियाँ एवं प्रभावी राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण नीतियाँ विकसित करने में सहायता देकर विश्व भर में तंबाकू के उपयोग को कम करना है।
- विश्व तंबाकू निषेध दिवस:
- तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (Framework Convention on Tobacco Control- FCTC):
- राष्ट्रीय कानून:
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध तथा व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम (COTPA) 2003: सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन प्रतिषेध तथा व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति व वितरण का विनियमन) अधिनियम (COTPA) 2003: यह तंबाकू के विभिन्न पहलुओं, जैसे उत्पादन और आपूर्ति, विज्ञापन एवं प्रचार, वितरण, बिक्री साथ ही पैकेजिंग और लेबलिंग को नियंत्रित करता है।
- राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) 2007: COTPA कार्यान्वयन और FCTC अनुपालन को मज़बूत करना। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- जन जागरूकता अभियान: जनसंचार माध्यमों द्वारा चलाए जाने वाले अभियान जनता को तंबाकू के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करते हैं।
- धूम्रपान बंद करने की पहल: धूम्रपान छोड़ने के लिये श्लोगन, परामर्श और व्यवहारिक हस्तक्षेप के माध्यम से।
- प्रवर्तन तंत्र: नामित प्राधिकारियों की सहायता से COTPA प्रावधानों का प्रवर्तन।
- इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA), 2019: इसने भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- राष्ट्रीय तंबाकू त्याग सेवा (NTQLS):
- एमसेसेशन कार्यक्रम: मोबाइल प्रौद्योगिकी द्वारा तंबाकू छोड़ने की पहल।
- सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में 2016 में लॉन्च किया गया।
- तंबाकू कराधान:
- भारत खुदरा मूल्य के 53% पर सिगरेट के साथ तंबाकू पर भारी कर लगाता है। एक सस्ता विकल्प, बीड़ी पर 16% की दर से बहुत कम कर लगाया जाता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ उपयोग को हतोत्साहित करने और सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिये अधिक बीड़ी कर चाहते हैं।
स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा तंबाकू के छिपे हुए नुकसान क्या हैं?
- मृदा क्षरण: तंबाकू की खेती से मृदा के पोषक तत्व तेज़ी से नष्ट हो जाते हैं, उन्हें अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है, जिससे मृदा की गुणवत्ता को और अधिक हानि पहुँचती है।
- वनों की कटाईः तंबाकू उत्पादन वनों की कटाई में योगदान देता है, जिसके प्रसंस्करण के लिये लकड़ी की आवश्यकता होती है। 1 किलो तंबाकू को संसाधित करने के लिये 5.4 किलो लकड़ी की आवश्यकता होती है।
- अपशिष्ट उत्पादन: तंबाकू के उत्पादन और उपभोग से अत्यधिक मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न होता है (भारत में प्रतिवर्ष 1.7 लाख टन)।
- आर्थिक बोझ: तंबाकू के उपयोग से स्वास्थ्य देखभाल पर अत्यधिक व्यय आता है (वर्ष 2017-18 में भारत में अनुमानित 1.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान), जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बजट (48,000 करोड़ रुपए) से भी अधिक है।
- तंबाकू उद्योग में कार्यरत 6 मिलियन से अधिक लोगों को त्वचा के माध्यम से तंबाकू के अवशोषण के कारण संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा है।
- अपशिष्ट प्रबंधन लागत: तंबाकू अपशिष्ट की सफाई एक महत्त्वपूर्ण अतिरिक्त लागत है (भारत में अनुमानित 6,367 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष)।
भारत में तंबाकू के प्रभावी नियंत्रण हेतु क्या चुनौतियाँ हैं?
- गैर-अनुपालन उत्पाद: धूम्ररहित तंबाकू (जैसे गुटखा) और तस्करी वाले उत्पाद COTPA (सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम) विनियमों से बचते हैं, जिससे उनके उत्पादन, बिक्री एवं विपणन को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है।
- मामूली ज़ुर्माना: COTPA उल्लंघनों के लिये मामूली ज़ुर्माना (जैसे: पहली बार पैकेजिंग प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर अधिकतम ज़ुर्माना केवल 5,000 रुपए) (2003 से अद्यतन नहीं किया गया) उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये पर्याप्त निवारक के रूप में कार्य नहीं करता है।
- सरोगेट विज्ञापन: तंबाकू कंपनियाँ अपने ब्रांड को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने के लिये चालाकी से अन्य उत्पादों (जैसे इलायची) के विज्ञापनों का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी मार्केटिंग पहुँच को विनियमित करना कठिन हो जाता है। ये विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू के उपयोग को बढ़ावा देते हैं।
- ICC पुरुष क्रिकेट विश्व कप 2023 में कम से कम दो तंबाकू ब्रांडों के लिये सरोगेट विज्ञापन प्रदर्शित किये गए।
- अवरुद्ध संशोधन: भारत सरकार ने वर्ष 2015 और 2020 में COTPA को मज़बूत करने के लिये प्रस्तावित संशोधनों को पारित नहीं किया है, जो इन समस्याओं को दूर कर सकते थे।
- सीमित प्रवर्तन क्षमता: राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme- NTCP) में देश भर में COTPA को पूरी तरह से लागू करने के लिये कर्मचारियों, संसाधनों और उचित निगरानी प्रणालियों का अभाव है।
- तंबाकू उद्योग में प्रभावी लॉबिंग:
- हालाँकि, ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है और इस नीति (ई-सिगरेट पर प्रतिबंध) का पूरी तरह से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है।
- छोटी तंबाकू कंपनियों के लिये कर में छूट: सरकार सभी तंबाकू उत्पादों पर समान कर नहीं लगा रही है, जिससे कुछ लोगों के लिये हानिकारक उत्पादों को बेचना सरल हो रहा है।
- सरकार के साथ हितों का टकराव: यह तंबाकू नियंत्रण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के संबंध में चिंता उत्पन्न करता है।
- भारत की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी ITC Ltd. में केंद्र सरकार की 7.8% हिस्सेदारी है।
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