चीन के तीसरे विमानवाहक पोत फ़ुज़ियान का क्या महत्व है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
चीन ने अपना फुजियान अब पानी में उतार दिया है। समुद्र में इसकी टेस्टिंग हो रही है कि आखिर ये कितना बलशाली और कितना ताकतवर है। शंघाई के समुद्री सुरक्षा प्रशासन के अनुसार, इसका मूल्यांकन जियांगन शिपयार्ड से लगभग 130 किलोमीटर दूर पूर्वी चीन सागर में होने की उम्मीद है, जहां वाहक छह साल से अधिक समय से निर्माणाधीन है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापोल्ट्स से लैस चीन का पहला सुपरकैरियर माना जाने वाला यह युद्धपोत चांगक्सिंग द्वीप पर जियांगनान में अपनी बर्थ से रवाना हुआ था। इस चीनी युद्धपोत को अमेरिकी नौसेना के गेराल्ड आरफोर्ड के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में सैन्य विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा गया है कि परीक्षणों में कम से कम एक साल और लगेगा, पहले चरण में बिजली, नेविगेशन और संचार प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
चीन के इस कदम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या फुजियान दुनिया के सबसे बेहतरीन युद्धपोतों में से एक है। दुनिया के महासागरों पर फ़ुज़ियान के आगमन का नौसैनिक शक्ति संतुलन के लिए क्या मतलब है? इसकी तुलना भारत के विमानवाहक पोत से कैसे की जाती है?
फ़ुज़ियान के बारे में
फ़ुज़ियान का नाम ताइवान के सामने चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित फ़ुज़ियान प्रांत के नाम पर रखा गया है। यह तीसरा वाहक लियाओनिंग और शेडोंग प्रांतों के नाम पर चीन की पुरानी परंपरा का पालन करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फ़ुज़ियान के नाम पर तीसरे विमानवाहक पोत का नामकरण रणनीतिक है और इसे ताइवान के स्व-शासित द्वीप के लिए एक सीधा संदेश और चीन की ब्लू वॉटर नेवल क्षमताओं के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की योजना 2035 तक कुल छह वाहक बनाने की है, जो इसे अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ब्लू-वॉटर नेवी बना देगी। फ़ुज़ियान चीन का सबसे उन्नत विमानवाहक पोत है और इसे चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा बनाया गया। फ़ुज़ियान को चीन का सुपरकैरियर कहा जाता है, जो पिछले दो की तुलना में अधिक उन्नत है। यह लगभग 1,035 फीट लंबा है, और लगभग 80,000 टन भार को विस्थापित करता है।
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत
विक्रांत की सबसे बड़ी खासियत इसका स्वदेशी होना है। विक्रांत के 70% से भी ज्यादा मटेरियल और इक्विपमेंट भारत में ही बनाए गए हैं। इसी के साथ भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है। कैरियर की डिजाइनिंग से लेकर असेंबलिंग तक का सारा काम कोच्चि के शिपयार्ड में किया गया है। इसका पूरा जिम्मा डायरेक्ट्रेट ऑफ नेवल डिजाइन (डीएनडी) के पास है। साथ ही कैरियर का निर्माण आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत हुआ है। इस वजह से इसकी कुल लागत (23 हजार करोड़) का 80-85% हिस्सा भारतीय मार्केट में ही खर्च हुआ है।
कौन कितना बड़ा
विक्रांत- 262 मीटर लंबा
फुजियान- 320 मीटर लंबा
विक्रांत- 62 मीटर चौड़ा
फुजियान- 72 मीटर चौड़ा
कितना भार लेकर चलने में सक्षम
विक्रांत का फुल डिस्प्लेसमेंट 45 हजार टन है। जबकि फुजियान के बारे में दावा किया जा रहा है कि वो 80 से 82 हजार टन के आस पास भार ले जाने में सक्षम है। आईएनएस विक्रांत में लगभग 160 अधिकारी और 1,400 नाविक हैं और यह चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है जो 88 मेगावाट बिजली पैदा करने और इसे 28 समुद्री मील की शीर्ष गति तक पहुंचाने में सक्षम है।
यह लगभग 30 जेट और हेलीकॉप्टर ले जा सकता है, और आईएनएस विक्रमादित्य की तरह, यह स्की-जंप रैंप के साथ STOBAR प्रणाली का उपयोग करता है। बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, विक्रांत का शुरुआती एयर विंग मिग-29K से बने होने की उम्मीद है, जो रूसी निर्मित मिग-29 का वाहक संस्करण है। दूसरी ओर, फ़ुज़ियान के एयर विंग में J-35 और अधिक शामिल होंगे। अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएनएस विक्रांत प्रभावशाली है, फिर भी यह चीन के फ़ुज़ियान के डिजाइन से एक जेनरेशन पीछे है।
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