शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 19 अक्टूबर को शाम 07 बजे से होगा, जो कि रात 08 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा के दिन पूजन चंद्रोदय के बाद किया जाता है। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 27 मिनट से चंद्रोदय के बाद रहेगा।
यूं तो हर पूर्णिमा का हिंदू धर्म में महत्व होता है, लेकिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर (मंगलवार) को है। हालांकि पंचांग भेद होने के कारण कुछ जगहों पर यह पर्व 20 अक्टूबर को भी मनाया जाएगा। इस व्रत को आश्विन पूर्णिमा, कोजगारी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन महालक्ष्मी का जन्म हुआ था। मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं।
पुराणों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आती हैं। इतना ही नहीं इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और वरदान देती हैं। कहते हैं कि जिस घर में अंधेरा या जो सोता रहता है, वहां माता लक्ष्मी दरवाजे से ही लौट जाती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूरी प्रकृति मां लक्ष्मी का स्वागत करती है। कहते हैं कि इस रात को देखने के लिए समस्त देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी आते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने की परांपरा काफी पुरानी है. रात 12 बजे के बाद इस खीर को सबके बीच प्रसाद की तरह बांट दिया जाता है. माना जाता है कि खीर के इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति को कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं में दिखाई देते हैं. इसके अलावा कुछ लोकगीतों में इस त्यौहार को भगवान कृष्ण, देवी लक्ष्मी और इंद्र देव के साथ भी जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि चांद से इसमें अमृत वर्षा होती है और सुबह इस खीर को खाने से मां लक्ष्मी का कृपा बरसती है
खीर का क्या है महत्व
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव से कुछ ऐसी किरणें पृथ्वी पर आती हैं जो हमारे सभी बिमारियों को दूर कर देती हैं. इसलिए, इस दिन लोग स्वादिष्ट मीठी खीर बनाकर एक चांदी के कटोरे में डालकर खुले आसमान के नीचे रात भर के लिए रख देते हैं. ऐसा माना जाता है कि सुबह उठकर इस खीर को खा लेने से शरीर की गंभीर से गंभीर बीमारी भी दूर हो जाती है.
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