भारत में हरित हाइड्रोजन की स्थिति का क्या महत्व है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2023) का आयोजन किया जा रहा है।

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना और वैश्विक डीकार्बोनाइज़ेशन लक्ष्यों के लिये एक प्रणालीगत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

प्रमुख बिंदु:

  • हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियाँ: यह हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के विभिन्न तरीकों जैसे- इलेक्ट्रोलिसिस, थर्मोकेमिकल, जैविक, फोटोकैटलिसिस आदि पर केंद्रित होगा।
    • इसमें इन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और उनकी लागत कम करने की चुनौतियों और अवसरों पर भी चर्चा की जाएगी।
  • हाइड्रोजन भंडारण और वितरण: यह विषय हरित हाइड्रोजन के भंडारण और परिवहन से संबंधित मुद्दों जैसे- संपीड़न, द्रवीकरण, धातु हाइड्राइड, अमोनिया का निपटान करेगा।
    • यह हाइड्रोजन पाइपलाइनों, ईंधन भरने वाले स्टेशनों आदि की क्षमता की भी जानकारी एकत्रित करेगा।
  • हाइड्रोजन अनुप्रयोग: यह थीम गतिशीलता, उद्योग, विद्युत उत्पादन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के विभिन्न अनुप्रयोगों पर केंद्रित होगी।
    • इसमें ईंधन अथवा फीडस्टॉक के रूप में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लाभों और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
  • हरित वित्तपोषण: यह थीम हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये कई तरीकों और संसाधनों की जाँच करेगी, जिनमें हरित बॉण्ड, कार्बन क्रेडिट, सब्सिडी आदि शामिल हैं।
    • इसमें हरित हाइड्रोजन पहल के समर्थन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, बहुपक्षीय एजेंसियों आदि की भूमिका पर भी चर्चा की जाएगी।
  • मानव संसाधन विकास: यह थीम हरित हाइड्रोजन क्षेत्रों जैसे- इंजीनियरों, तकनीशियनों, शोधकर्त्ताओं, उद्यमियों आदि के लिये कुशल जनशक्ति विकसित करने की आवश्यकता पर केंद्रित होगी।
    • इसमें कार्यबल के कौशल को बढ़ाने और मौजूदा कार्यबल को पुनः कुशल बनाने तथा हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने की रणनीतियों पर भी चर्चा की जाएगी।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम: यह थीम हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में नवाचार करने और उसे बाधित करने में स्टार्टअप्स की भूमिका पर प्रकाश डालेगी।
    • यह इस डोमेन में कुछ सफल स्टार्टअप और उनके उत्पादों या सेवाओं को भी प्रदर्शित करेगा।

हरित हाइड्रोजन: 

  • परिचय: 
    • हरित हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा का एक रूप है जिसे सौर, पवन, हाइड्रो या बायोमास जैसे नवीकरणीय स्रोतों से विद्युत का उपयोग करके जल के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है।
  • महत्त्व: 
    • यह हाइड्रोजन का एकमात्र प्रकार है जिसका उत्पादन जलवायु-तटस्थ तरीके से होता है, जिससे वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुँचना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • इसमें परिवहन, उद्योग, विद्युत एवं इमारतों जैसे विभिन्न क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज़ करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान करने की क्षमता है।
    • यह अतिरिक्त विद्युत का भंडारण और ज़रूरत पड़ने पर इसे जारी करके नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की आंतरायिकता को संतुलित करने में भी सहायता कर सकता है।
    • इसे अन्य प्रकार के ऊर्जा वाहक जैसे- अमोनिया, मेथनॉल या सिंथेटिक ईंधन में भी परिवर्तित किया जा सकता है, जिसका उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है।
  • भारत में हरित हाइड्रोजन की स्थिति:
    • देश ने 3.5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण क्षमता स्थापित करने हेतु कार्य  शुरू कर दिया है और वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष न्यूनतम 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य है।
    • देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की कम लागत के कारण भारत में हरित हाइड्रोजन की लागत विश्व स्तर पर सबसे कम होने की उम्मीद है।
    • भारत ने हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के अनुसंधान, विकास एवं परिनियोजन को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन लागू किया है।

हरित हाइड्रोजन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • उच्च उत्पादन लागत: हरित हाइड्रोजन उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जल का इलेक्ट्रोलिसिस करना शामिल होता है। हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना और इलेक्ट्रोलाइज़र की लागत अपेक्षाकृत अधिक बनी हुई है, जिससे जीवाश्म ईंधन-आधारित विकल्पों की तुलना में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन महँगा हो गया है।
  • सीमित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: सौर और पवन ऊर्जा की अनिश्चित प्रकृति के कारण इलेक्ट्रोलिसिस के लिये निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ऊर्जा भंडारण बुनियादी ढाँचे में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है।
  • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: भारत में मज़बूत हाइड्रोजन बुनियादी ढाँचे का निर्माण एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि पारंपरिक हाइड्रोजन के लिये वर्तमान बुनियादी ढांँचा और आपूर्ति शृंखला हरित हाइड्रोजन के लिये पर्याप्त या अनुकूल नहीं है।
  • जल उपलब्धता: हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के लिये अत्यधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। सीमित जल संसाधनों वाले या जल की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

आगे की राह  

  • अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देना: हरित हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और उपयोग प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान तथा विकास प्रयासों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
  • नीति और विनियामक समर्थन: स्पष्ट दिशा-निर्देश, सब्सिडी एवं टैक्स छूट कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश कराने तथा अनुकूल बाज़ार माहौल बनाने के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा विकास: भारत को विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन को व्यापक रूप से अपनाने में सक्षम बनाने के लिये हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन, पाइपलाइन और भंडारण सुविधाओं का निर्माण करने की आवश्यकता है।
  • निजी निवेश को आकर्षित करना: व्यापक स्तर पर परियोजनाएँ शुरू करने की आवश्यकता है जो विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन की व्यवहार्यता एवं लाभों को प्रदर्शित करें।

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