भारत में कॉफी उत्पादन की क्या स्थिति है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
स्टेटिस्टा साइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्राज़ील (कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक), वियतनाम, कोलंबिया, इंडोनेशिया, इथियोपिया और होंडुरास के बाद भारत दुनिया में कॉफी का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- हाल के दिनों में दक्षिण भारतीय कॉफी मिश्रण अपने स्वास्थ्य लाभों के चलते अधिक ध्यान आकृष्ट कर रहा है, यह विशेष रूप से दूध के साथ चिकोरी (Chicory) और कॉफी की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
दक्षिण भारतीय कॉफी मिश्रण:
- परिचय:
- इसमें कॉफी और कासनी पाउडर का मिश्रण शामिल होता है।
- यह मिश्रण अनूठे स्वाद और विशेषताओं से युक्त है।
- चिकोरी:
- यूरोप और एशिया मूल की स्थानिक जड़ी-बूटी।
- इसमें इंसुलिन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद एक स्टार्चयुक्त पदार्थ है, जो गेहूँ, प्याज़, केले, लीक, चुकंदर और शतावरी सहित विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों एवं जड़ी-बूटियों में पाया जाता है।
- इसमें हल्के रेचक गुण होते हैं और यह सूजन को कम करता है तथा बीटा-कैरोटीन से भरपूर होता है, जो ऑक्सीडेटिव क्षति के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।
- चिकोरी में कैफीन की अनुपस्थिति इसे कॉफी, जिसमें कैफीन होता है, का उपयुक्त पूरक बनाती है।
- कॉफी के स्वास्थ्य लाभ:
- ऑक्सीडेटिव क्षति से सुरक्षा।
- टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम होता है।
- उम्र से संबंधित बीमारियों का खतरा कम होता है।
- दूध के साथ कॉफी के संभावित स्वास्थ्य प्रभाव:
- हालाँकि सादा कॉफी दुनिया के कई हिस्सों में लोकप्रिय है, जबकि दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी आमतौर पर गर्म दूध के साथ पेश की जाती है।
- कॉफी में दूध मिलाने से कॉफी का स्वाद और सुगंध बढ़ जाता है।
- कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोध से पता चलता है कि दूध के साथ कॉफी का एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव हो सकता है, जो दूध में मौजूद प्रोटीन और एंटी-ऑक्सिडेंट के संयोजन का कारक है।
- दूध में मिलाई गई कॉफी के स्वास्थ्य प्रभावों का अध्ययन करने के लिये बड़े पैमाने पर मानव परीक्षण चल रहा है और भारतीय कॉफी प्रेमियों के बीच इसे लेकर रुचि बढ़ रही है।
कॉफी के विषय में:
- इतिहास और व्यावसायीकरण:
- सत्रहवीं शताब्दी के अंत में भारत में कॉफी की शुरुआत हुई थी।
- वर्ष 1670 में एक भारतीय तीर्थयात्री द्वारा यमन से भारत में सात कॉफी बीन्स की तस्करी से इसके प्रारंभिक आगमन को चिह्नित किया जा सकता है।
- 17वीं शताब्दी के दौरान भारत के कुछ भागों पर अधिकार करने वाले डचों ने कॉफी की खेती के प्रसार में भूमिका निभाई।
- हालाँकि उन्नीसवीं सदी के मध्य ब्रिटिश राज के दौरान यह विशेष रूप से मैसूर क्षेत्र में वाणिज्यिक कॉफी की खेती के रूप में विकसित हुई।
- खेती और जैवविविधता:
- भारत में कॉफी बागान प्रथाएँ:
- यह मुख्य रूप से प्राकृतिक छाया में उगाई जाती है।
- मुख्यतः पश्चिमी और पूर्वी घाट के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में।
- जैवविविधता हॉटस्पॉट:
- इन क्षेत्रों में स्थित कॉफी बागानों को जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- भारत की अनूठी जैवविविधता में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता।
- निर्यात एवं घरेलू खपत:
- भारत में उत्पादित कॉफी का लगभग 65% से 70% निर्यात किया जाता है और शेष कॉफी का घरेलू स्तर पर उपभोग किया जाता है।
- स्थिरता एवं सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका:
- कॉफी की खेती जैवविविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
- भारत में कॉफी बागान प्रथाएँ:
- जलवायु की स्थिति और मृदा के प्रकार:
- जलवायु की स्थिति:
- गर्म तथा आर्द्र जलवायु, तापमान 15°C से 28°C और वर्षा 150 से 250 सेमी.।
- हानिकारक परिस्थितियाँ:
- ठंढ, हिमपात, 30 डिग्री सेल्सियस से आधिक उच्च तापमान और तेज़ धूप।
- आदर्श मृदा की स्थिति:
- अच्छी जल निकासी वाली दोमट मृदा, ह्यूमस और खनिजों (लौह, कैल्शियम) की उपस्थिति, उपजाऊ ज्वालामुखी लाल मृदा तथा गहरी रेतीली दोमट मृदा।
- कम उपयुक्त मृदा की स्थिति:
- भारी चिकनी मृदा, रेतीली मृदा।
- जलवायु की स्थिति:
- भौगोलिक वितरण और किस्में:
- भारत में कॉफी बागान क्षेत्र:
- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश (अराकू घाटी), ओडिशा, मणिपुर, मिज़ोरम और अन्य पूर्वोत्तर राज्य।
- प्रमुख कॉफी उत्पादक:
- कर्नाटक में भारत के कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा उगाया जाता है।
- भारत में कॉफी की किस्में:
- अरेबिका और रोबस्टा।
- अरेबिका की विशेषताएँ:
- यह अधिक ऊँचाई पर उगाई जाती है और इसकी सुगंध के कारण इसका बाज़ार मूल्य अधिक होता है।
- रोबस्टा की विशेषताएँ:
- इसे इसकी क्षमता हेतु जाना जाता है, जिसका विभिन्न मिश्रणों में प्रयोग किया जाता है।
- भारत में कॉफी बागान क्षेत्र:
भारतीय कॉफी बोर्ड:
- कॉफी बोर्ड कॉफी अधिनियम, 1942 की धारा (4) के तहत गठित एक वैधानिक संगठन है और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। बोर्ड में अध्यक्ष सहित 33 सदस्य होते हैं।
- बोर्ड मुख्य रूप से अनुसंधान, विस्तार, विकास, बाज़ार आसूचना, बाहरी और आंतरिक संवर्द्धन तथा कल्याणकारी उपायों के माध्यम से अपनी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- इसका मुख्यालय बंगलूरू में है।
- बालेहोन्नूर (कर्नाटक) में भी कॉफी बोर्ड का एक केंद्रीय अनुसंधान संस्थान स्थित है।