भारत में हल्के लड़ाकू विमान की क्या स्थिति है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व की सबसे बड़ी वायु सेना में से एक भारतीय वायु सेना (IAF) को अपने बेड़े के आधुनिकीकरण में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि खरीद में देरी के कारण इसके लड़ाकू स्क्वाड्रनों की कमी हो गई है।

  • IAF के एक प्रतिनिधि ने रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति को सूचित किया है कि IAF के पास 42 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले केवल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं।

लड़ाकू स्क्वाड्रन:

  • परिचय:
    • लड़ाकू स्क्वाड्रन एक सैन्य इकाई है जिसमें लड़ाकू विमान और उन्हें उड़ाने वाले पायलट शामिल होते हैं।
      • यह वायु सेना का एक मूलभूत घटक है और युद्ध क्षेत्र में हवाई संचालन करने के लिये ज़िम्मेदार है।
    • एक विशिष्ट लड़ाकू स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं।
    • ये किसी भी आधुनिक वायु सेना के आवश्यक घटक होते हैं और हवाई श्रेष्ठता और ज़मीनी हमले सहित कई प्रकार के मिशनों के रूप में कार्य करते हैं।
  • कमी का कारण:
    • खरीद में देरी इसका प्रमुख कारण है, क्योंकि भारतीय वायुसेना के कई लड़ाकू जेट पुराने हो चुके हैं और उन्हें बदलने की ज़रूरत है।
  • लड़ाकू विमानों की खरीद की स्थिति:
    • भारत के पास 500 से अधिक लड़ाकू विमान हासिल करने की महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिनमें से अधिकांश भारतीय वायुसेना के लिये हैं।
      • इनमें से कई जेट अभी भी विकास के विभिन्न चरणों में हैं और उनका निर्माण एवं समय पर डिलीवरी करना महत्त्वपूर्ण हैं।
    • IAF ने कुल मिलाकर 272 SU-30 के लिये अनुबंध किया है।
    • दुर्घटनाओं में खोए हुए विमानों की प्रतिपूर्ति हेतु 12 अतिरिक्त SU-30MKI विमान और रूस से 21 अतिरिक्त MIG-29 खरीदने का सौदा अभी अटका हुआ है, हालाँकि भारतीय एवं रूसी दोनों वायुसेना अधिकारियों का कहना है कि इसमें केवल देरी हुई है लेकिन यह ट्रैक पर है।

भारत के पास विभिन्न प्रकार के विमान:

  • हल्के लड़ाकू विमान (LCA):
    • इन्हें पुराने मिग 21 लड़ाकू विमानों को प्रतिस्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के अधीन वैमानिकी विकास अभिकरण (Aeronautical Development Agency- ADA) द्वारा विकसित।
    • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित।
    • अपनी श्रेणी का सबसे हल्का, सबसे छोटा और बिना पूँछ वाला (Tailless) बहुपयोगी सुपरसोनिक लड़ाकू विमान।
    • हवा-से-हवा, हवा-से-सतह, सटीक निर्देशित हथियारों को वहन करने में सक्षम।
    • हवा-से-हवा में ईंधन भरने की क्षमता, 4000 किलोग्राम की अधिकतम पेलोड क्षमता, 1.8 मैक की अधिकतम गति और 3000 किमी. की रेंज।
  • बहुपयोगी लड़ाकू विमान (MRFA):
    • हवा-से-हवा में युद्ध, हवा-से-सतह पर हमला और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे विभिन्न मिशनों को करने के लिये अभिकल्पित।
    • IAF सोवियत काल के मिग-21 के पुराने बेड़े को प्रतिस्थापित करने हेतु 114 MRFA की खरीद योजना पर काम कर रहा है।
    • यह खरीद मेक इन इंडिया पहल के तहत की जाएगी।
    • चयनित विक्रेता को भारत में एक उत्पादन लाइन स्थापित कर स्थानीय भागीदारों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करनी होगी।
  • मिग-21:
    • 1950 के दशक में तत्कालीन USSR द्वारा डिज़ाइन किये गए सुपरसोनिक जेट लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान।
      • इतिहास में अब तक का सर्वाधिक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला लड़ाकू विमान, जिसकी 11,000 से अधिक यूनिट्स तैयार की गई हैं और 60 से अधिक देशों द्वारा इनका संचालन किया जा रहा है।
    • IAF ने वर्ष 1963 में अपना पहला मिग-21 हासिल किया और तब से विमान के 874 वेरिएन्ट्स को IAF में शामिल किया है।
    • भारत से जुड़े कई युद्धों और संघर्षों में इसने भाग लिया है। कई दुर्घटनाओं में शामिल होने कारण इसे “फ्लाइंग कॉफिन” उपनाम दिया गया।
    • IAF की योजना वर्ष 2024 तक मिग -21 को चरणबद्ध तरीके से हटाने और इनके स्थान पर अधिक आधुनिक लड़ाकू विमानों को शामिल करने की है।
  • उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA):
    • IAF और भारतीय नौसेना के लिये 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ, बहुपयोगी लड़ाकू विमान विकसित करने हेतु एक भारतीय कार्यक्रम।
    • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) तथा अन्य सार्वजनिक एवं निजी भागीदारों के सहयोग से DRDO के अधीन ADA द्वारा इसे अभिकल्पित और विकसित किया गया।
    • इसके स्टील्थ एयरफ्रेम, आंतरिक हथियार बेड़ा, उन्नत सेंसर, डेटा फ्यूज़न, सुपरक्रूज़ क्षमता और स्विंग-रोल प्रदर्शन जैसी सुविधाओं से सुसज्जित होने की उम्मीद है।
    • इसकी शुरुआत सुखोई Su-30MKI के उत्तराधिकारी के रूप में वर्ष 2008 में हुई।
      • इसकी पहली उड़ान वर्ष 2025 में होने की योजना है और उत्पादन वर्ष 2030 के बाद शुरू होने की आशा की जा रही है।
  • सुखोई Su-30MKI:
    • दोहरे इंजन और दो सीटों वाला बहुपयोगी लड़ाकू विमान जिसे रूस के सुखोई द्वारा विकसित किया गया है तथा IAF के लिये भारत के HAL को प्राप्त लाइसेंस के तहत बनाया गया है।
    • वर्ष 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया और कई संघर्षों एवं अभ्यासों में तैनात किया गया।
  • दोहरे इंजन वाले डेक-आधारित फाइटर (TEDBF):
    • नौसेना के मिग-29K को प्रतिस्थापित करने के लिये निर्मित।
    • समर्पित वाहक-आधारित संचालन के लिये भारत में पहली दोहरे इंजन वाली विमान परियोजना।
    • मुख्य रूप से स्वदेशी हथियारों से युक्त।
    • अधिकतम गति 1.6 मैक, सर्विस सीलिंग 60,000 फीट, अधिकतम टेकऑफ वज़न 26 टन, अनफोल्डेड विंग।
  • राफेल:
    • यह फ्रेंच जुड़वाँ इंजन और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है।
    • भारत ने वर्ष 2016 में 59,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट खरीदे।
    • हवाई वर्चस्व, अंतर्विरोध, हवाई टोही, ज़मीनी समर्थन, सटीक हमले, जहाज़-रोधी हमले और परमाणु प्रतिरोध मिशन हेतु सुसज्जित।
    • राफेल जेट के हथियारों के पैकेज में Meteor मिसाइल, स्कैल्प क्रूज़ मिसाइल और MICA मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
      • Meteor मिसाइल, दृश्य क्षमता से परे हवा-से-हवा मिसाइल की अगली पीढ़ी है, जिसे हवा-से-हवा में मार करने वाली युद्ध में क्रांति लाने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो 150 किमी. दूर से दुश्मन के विमानों को लक्षित करने में सक्षम है।
      • SCALP क्रूज़ मिसाइलें 300 किमी. दूर के लक्ष्यों को मार सकती हैं, जबकि MICA मिसाइल प्रणाली एक बहुमुखी वायु-से-वायु में मार करने वाली मिसाइल है, जो 100 किमी. दूर तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
    • इसके संचालन में 30,000 घंटे की उड़ान की क्षमता है।
  • हालिया पहल में भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, INS विक्रांत, सितंबर 2022 में कमीशन किया गया था जो वर्तमान में शुरू होने की प्रक्रिया में है।
  • हाल ही में भारत के स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft- LCA) के नौसैनिक संस्करण ने INS विक्रांत पर अपनी पहली लैंडिंग की।
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