दुनिया में ड्रोन हमलों से निपटने की क्‍या है तैयारी?

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क

जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 से हटने के बाद प्रदेश में आतंकी गतिविधियों पर विराम लगा है। बता दें कि 5 अगस्‍त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को हटाकर राज्‍य का विशेष दर्जा खत्‍म कर दिया। इस अनुच्‍छेद के हटने के बाद प्रदेश में अमन और शांति के साथ विकास की राह का आसान बनाया है। राज्‍य की यह अमन शांति आतंकियों को रास नहीं आ रही है। राज्‍य में अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद से पाकिस्‍तान और उसके पोषित आतंकी समूहों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब है। अब आतंकियों ने अब प्रदेश की अमन और शांति को भंग करने की नई रणनीति बना रहे हैं। उनकी इस रणनीति पर भारत सरकार और सीमा सुरक्षा बल पूरी तरह से चौकस हैं।

दुनिया में ड्रोन हमलों से निपटने की क्‍या है तैयारी

  • सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट जनरल दुष्यंत सिंह का कहना है कि ड्रोन हमलों को नाकाम करने के लिए हम जैमर्स सरीखे इलेक्ट्रानिक सिस्टम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया में एक आधुनिक जैमिंग सिस्टम का टेस्ट किया जा रहा है, जो छोटे ड्रोन हमले को नाकाम कर सकता है।
  • इसी तरह ब्रिटेन के ब्राइटस्टार सर्विलांस सिस्टम ने पिछले साल सितंबर में एक नया रडार ए 800 3डी नाम से लांच किया है। यह छोटे ड्रोन को डिटेक्ट कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसे बॉर्डर मैनेजमेंट और मिलिट्री सिस्टम में आसानी से सम्मिलित कर सकते हैं।
  • अमेरिका भी एक हाई एनर्जी लेजर सिस्टम पर काम कर रहा है, जिससे छोटे ड्रोन को नाकाम किया जा सकता है। इसी तरह जब ड्रोन एकदम नजदीक आ जाए, तब एक अन्य ड्रोन द्वारा ही उसे नष्ट करने के लिए इजरायल और अमेरिका ने मिलकर एक तकनीक विकसित की है। स्काईलार्ड नामक इस तकनीक में ड्रोन में एक जाल होता है, जो दुश्मन के ड्रोन को उसमें फंसाकर नाकाम कर देता है।

3323 किमी लंबी नियंत्रण पर सुरक्षा बलों की बड़ी चुनौती

  • प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच 3323 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस रेखा पर घुसपैठ को रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्‍तैद रहती हैं। अगस्‍त, 2019 के बाद सुरक्षा बलों ने सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर पूरी तरह से लगाम लगा दी है। इतना ही नहीं सुरंग के माध्‍यम से सीमा पार से देश में आतंकियों के घुसने पर ब्रेक लगा है।
  • उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख में हो रहा विकास कार्य इन आतंकियों को फूटी आंख भी नहीं सुहा रहे हैं। आतंकी विवश हैं। सीमा पर कड़ी चौकसी के कारण उनके हौसले पूरी तरह से टूट चुके हैं। सीमा पर जवान पूरी तरह से मुस्‍तैद हैं। इसके चलते आतंकवादी ड्रोन का सहारा ले रहे हैं। वह ड्रोन के जरिए आतंकी हमले के फ‍िराक में हैं।
  • प्रो. पंत ने कहा कि सुरक्षा बलों के मुताबिक अगस्त 2019 के बाद अब तक करीब 300 ड्रोन देखे जा चुके हैं। आसमान में उड़ता ये खतरा नया तो है ही, गंभीर भी है। इन आसमानी खतरों की काट खोजने में भारतीय विज्ञानी और सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुई हैं। जल्द ही हमारे पास आतंकी ड्रोनों को मार गिराने या काबू करने की तकनीक होगी, जो इनके नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूद करेगी।

क्‍या है ड्रोन की खासियत

आतंकवादियों को यह ड्रोन खुब रास आ रहा है। यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकते हैं। इसकी एक खास बात यह है कि इसे रडार की पहुंच से बाहर होते हैं। यानी इन ड्रोन को रडार की मदद से पकड़ पाना बेहद मुश्किल है। यह काफी किफायती है। दूसरे अन्‍य साधनों की अपेक्षा ड्रोन हमला आतंकवादियों के लिए बेहद सस्‍ता है। ड्रोन हमले से आतंकवादियों को यह लाभ है कि उनके पकड़े या माने जाने का कतई रिस्‍क नहीं है।

 

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