सस्टेनेबल कूलिंग हेतु UNEP की प्रस्तावित कार्य योजना क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) ने अपनी हालिया रिपोर्ट “कीपिंग इट चिल: हाउ टू मीट कूलिंग डिमांड्स व्हाइल कटिंग एमिशन्स ” में वैश्विक कूलिंग सेक्टर से उत्सर्जन को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करने के उद्देश्य से एक कार्य योजना प्रस्तावित की है।

  • यह पहल अनुमानित 2050 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर पर्याप्त प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, जिससे उन्हें 60% तक कम किया जा सकता है।
  • यह रिपोर्ट ग्लोबल कूलिंग प्लेज (Global Cooling Pledge) के समर्थन में जारी की गई है, जो कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP28) तथा कूल कोएलिशन (Cool Coalition) के मेज़बान के रूप में संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक संयुक्त पहल है।

नोट:

  • कूल कोएलिशन साझेदारों का एक वैश्विक नेटवर्क है जो सभी के लिये कुशल, जलवायु-अनुकूल शीतलन सुनिश्चित करने के लिये कार्य कर रहा है।
  • UNEP ने सतत् विकास लक्ष्यों के लिये 2030 एजेंडा तथा पेरिस समझौते के बीच तालमेल से पहले वैश्विक सम्मेलन में कूल कोएलिशन का शुभारंभ किया।
    • भारत कूल कोएलिशन का सदस्य है।

सस्टेनेबल कूलिंग हेतु UNEP की प्रस्तावित कार्य योजना क्या है?

  • प्रकृति-आधारित समाधान:
    • सिफारिशों में निष्क्रिय शीतलन उपाय जैसे- छायांकन, वेंटिलेशन, इन्सुलेशन, ग्रीन रूफ और परावर्तक सतहें तथा शहरी क्षेत्रों में प्राकृतिक स्थिति का पुनः निर्माण करना शामिल है।
    • निष्क्रिय शीतलन यांत्रिक शीतलन की आवश्यकता को कम कर सकता है और ऊर्जा तथा उत्सर्जन को बचा सकता है।
  • दक्षता मानक:
    • एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और पंखे जैसे कूलिंग उपकरणों के लिये उच्च ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।
      • उच्च-ऊर्जा दक्षता वाले कूलिंग उपकरणों की ऊर्जा खपत और उत्सर्जन कम हो सकता है तथा उपयोगकर्त्ताओं और उपयोगिताओं के लिये लागत कम हो सकती है।
  • रेफ्रिजरेंट्स को चरणबद्ध तरीके से बंद करना:
    • इसका तात्पर्य हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) के बजाय हाइड्रोकार्बनअमोनिया या कार्बन डाइऑक्साइड जैसे शीतलन उपकरणों में वैकल्पिक पदार्थों के उपयोग से है, जो शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं।
      • HFC सिंथेटिक गैसों का एक समूह है जिसका उपयोग मुख्य रूप से शीतलन और प्रशीतन के लिये किया जाता है। “सुपर-प्रदूषक” के रूप में वर्गीकृत HFC में शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के गुण होते हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में सैकड़ों से हज़ारों गुना अधिक गर्मी को रोकने में सक्षम होते हैं।
      • अपने महत्त्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद वे अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक हैं, जिनका औसत वायुमंडलीय जीवनकाल 15 वर्ष है।
    • कम-ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले रेफ्रिजरेंट कूलिंग उपकरणों के प्रत्यक्ष उत्सर्जन को कम कर सकते हैं और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन के तहत HFC को चरणबद्ध तरीके से कम करने में योगदान कर सकते हैं।
    • जलवायु को गर्म करने वाले रेफ्रिजरेंट और एयर कंडीशनिंग को तेज़ी से चरणबद्ध तरीके से बंद करने का आग्रह किया गया है।

कूलिंग सेक्टर पर ध्यान क्यों दें?

  • कूलिंग सेक्टर बढ़ते तापमान से निपटने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, औद्योगिक शीतलन प्रक्रियाओं और उत्पादक अर्थव्यवस्थाओं के परिचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • हालाँकि हस्तक्षेप के बिना शीतलन उपकरणों की बढ़ती मांग से बिजली की खपत और उत्सर्जन में पर्याप्त वृद्धि हो सकती है।
    • वैश्विक बिजली खपत में कूलिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी 20% है।
  • यदि वर्तमान नीतियाँ जारी रहती हैं, तो वैश्विक स्तर पर कूलिंग उपकरणों की स्थापित क्षमता तीन गुना हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक बिजली की खपत दोगुनी से अधिक हो जाएगी।
    • इससे वर्ष 2050 में 4.4 बिलियन से 6.1 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष (CO2e) का उत्सर्जन हो सकता है, जो उस वर्ष वैश्विक अनुमानित उत्सर्जन का 10% से अधिक होगा।

सतत् शीतलन/कूलिंग के क्या लाभ हैं?

  • निष्क्रिय शीतलन तकनीक और कुशल शीतलन उपकरण उपभोक्ताओं को वर्ष 2022 से 2050 के दौरान 17 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत करवा सकते हैं।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि अधिकतम बिजली आवश्यकताओं को 1.5-2 टेरावाट (TW) तक कम कर दिया जाएगा, जिससे बिजली उत्पादन में पर्याप्त निवेश से बचा जा सकेगा।
  • नए उपकरणों में कम-ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने और रेफ्रिजरेंट जीवन चक्र को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने से वर्ष 2050 में HFC उत्सर्जन को 50% तक कम किया जा सकता है।
    • पावर ग्रिड को डीकार्बोनाइज़ करने से क्षेत्रीय उत्सर्जन को 96% तक कम किया जा सकता है।

सतत् शीतलन से संबंधित पहलें क्या हैं?

  • वैश्विक:
    • नेशनल कूलिंग एक्शन प्लान  (NCAPs):
      • वर्तमान में भारत सहित 40 से अधिक देशों ने NCAP तैयार किये हैं और 25 अन्य देश तैयारी के विभिन्न चरणों में हैं।
      • हालाँकि भारत और चीन द्वारा अपने NCAP में कार्यान्वयन तंत्र को शामिल किये जाने के बावजूद कार्यान्वयन धीमा रहा है।
    • वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा:
      • 60 से अधिक देशों ने कूलिंग सेक्टर के जलवायु प्रभाव को कम करने की वचनबद्धता के साथ प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किये।
        • 28वें पार्टियों के सम्मेलन (COP28) में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय, मेज़बान देश संयुक्त अरब अमीरात एवं कूल कोएलिशन ने वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा की शुरुआत की।
    • किगाली संशोधन को गति: 
      • किगाली संशोधन HFC के उत्पादन और खपत को कम करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक HFC के उत्पादन एवं खपत को 80-85% तक कम करना है।
      • यह संशोधन ओज़ोन परत का क्षय करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
        • इससे 105 बिलियन टन CO2 (एक ग्रीनहाउस गैस) के उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है, जिससे 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से सुरक्षा प्राप्त की जा सकेगी।
  • भारत:

 

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