भारत में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु क्या उपाय करने चाहिए?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने भारत में दलहन/दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिये अपनाई जा रही व्यापक रणनीतियों के विषय में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
- इन जानकारियों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission- NFSM)- दलहन के उद्देश्य, जिसमें उत्पादकता में वृद्धि करना तथा कृषि क्षेत्र में धारणीय प्रथाएँ सुनिश्चित करना है, पर प्रकाश डाला गया।
दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु भारत की पहलें:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-दलहन:
- परिचय:
- कृषि और किसान कल्याण विभाग के नेतृत्व में NFSM-दलहन पहल का संचालन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित 28 राज्यों तथा 2 केंद्रशासित प्रदेशों में किया जा रहा है।
- NFSM-दलहन के तहत प्रमुख उपाय:
- विभिन्न हस्तक्षेपों के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कृषक वर्गों को सहायता।
- बेहतर तकनीकों का समूहों में प्रदर्शन।
- फसल प्रणाली प्रदर्शन।
- बीज उत्पादन और HYVs/हाइब्रिड का वितरण।
- उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण।
- कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण।
- पादप संरक्षण के उपाय।
- पोषक तत्त्व प्रबंधन/मृदा में सुधार।
- प्रसंस्करण और फसल कटाई के बाद उपयोग किये जाने वाले उपकरण।
- फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण।
- दालों की नई किस्मों के बीज, मिनी-किट का वितरण।
- कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा तकनीकी प्रदर्शन।
- इसके अतिरिक्त दालों के लिये 150 बीज केंद्रों की स्थापना ने गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- वर्ष 2016-17 में स्थापना के बाद से इन केंद्रों द्वारा दालों हेतु सामूहिक रूप से 1 लाख क्विंटल से अधिक गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन किया गया है।
- परिचय:
- अनुसंधान और किस्मों के विकास में ICAR की भूमिका:
- अनुसंधान और किस्मों के विकास के प्रयासों के माध्यम से दलहनी फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) की अहम भूमिका है। इस संदर्भ में ICAR के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
- दलहन के क्षेत्र में बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोगात्मक अनुप्रयुक्त अनुसंधान।
- अवस्थिति-विशिष्ट उच्च उपज वाली किस्मों और उत्पादन पैकेजों का विकास।
- वर्ष 2014 से 2023 की अवधि के दौरान देश भर में व्यावसायिक खेती के लिये दालों की प्रभावशाली 343 उच्च उपज वाली किस्मों और संकर/हाइब्रिड को आधिकारिक मान्यता दी गई है।
- अनुसंधान और किस्मों के विकास के प्रयासों के माध्यम से दलहनी फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) की अहम भूमिका है। इस संदर्भ में ICAR के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना:
- इस व्यापक योजना (वर्ष 2018 में शुरुआत) में तीन घटक शामिल हैं:
- मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme- PSS): न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से खरीद।
- वर्ष 2021-22 में लगभग 30.31 लाख टन दालों की खरीद की गई, जिससे 13 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए।
- वर्ष 2022-23 (जुलाई 2023 तक) में लगभग 28.33 लाख टन दालों की खरीद से 12 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ।
- मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme- PDPS): इसके तहत मूल्य में अंतर अथवा भिन्नता को देखते हुए किसानों को मुआवज़ा प्रदान किया जाता है।
- निजी खरीद स्टॉकिस्ट योजना (Private Procurement Stockist Scheme- PPSS): यह योजना खरीद के संदर्भ में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
- मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme- PSS): न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से खरीद।
- इस व्यापक योजना (वर्ष 2018 में शुरुआत) में तीन घटक शामिल हैं:
भारत में दालों का उत्पादन:
- भारत विश्व भर में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (वैश्विक खपत का 27%) और आयातक (14%) है।
- खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दालों की हिस्सेदारी लगभग 20% है और देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है।
- हालाँकि दालें ख़रीफ और रबी दोनों सीज़न में उगाई जाती हैं, दालों के कुल उत्पादन में रबी सीज़न में उत्पादित दालों का योगदान 60% से अधिक है।
- शीर्ष पाँच दाल उत्पादक राज्य हैं– मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक।
- यह भी पढ़े………….
- मीडिया के प्रभावी स्व-नियमन की आवश्यकता क्यों है?
- 60 दिवसीय कालाजार की दवा छिड़काव कार्य शुरू
- क्या मीडिया की आजादी के नाम पर दुरुपयोग हो रहा है?