भारत निर्वाचन आयोग को सशक्त करने के लिये कौन-से कदम उठाये जाने चाहिये?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

  • स्वतंत्र चयन समिति का गठन:
    • एक स्वतंत्र चयन समिति का गठन किया जाए जिसमें सरकारी अधिकारियों के अलावा विभिन्न हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल हों। इस समिति को नियुक्ति प्रक्रिया की निगरानी करनी चाहिये और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिये।
    • अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ, 2023  मामले में  सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया कि  मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जानी चाहिये जिसमें प्रधानमंत्री,  लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल हों।
  • निर्वाचन आयुक्तों को सांविधिक सुरक्षा प्रदान करना:
    • ऐसा विधान लाया जाए जो उन शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करे जिनके तहत निर्वाचन आयुक्तों को पद से हटाया जा सकता है।
    • इस विधान में मनमाने ढंग से बर्खास्तगी को रोकने के लिये कड़े मानदंड और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय शामिल होने चाहिये।
  • पारदर्शी वित्तपोषण तंत्र:
    • ECI को धन आवंटित करने के लिये पारदर्शी तंत्र लागू किया जाए, जैसे कि संसदीय विनियोग प्रक्रिया या एक स्वतंत्र बजटीय निरीक्षण समिति के माध्यम से।
    • इससे जवाबदेही बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि वित्तपोषण संबंधी निर्णय उचित एवं निष्पक्ष तरीके से लिये गए हैं।
  • आनुपातिक दंड की शक्ति:
    • उल्लंघन के दोषी पाए जाने वाले राजनीतिक दलों के विरुद्ध विभिन्न तरह के प्रतिबंध एवं दंड लागू कर सकने के लिये (जैसे उनके विशेषाधिकारों का निलंबन और अस्थायी या स्थायी रूप से उनका पंजीकरण रद्द करना) ECI को सशक्त बनाया जाए।
    • दंड की गंभीरता उल्लंघन की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिये।
  • चुनावी अखंडता बढ़ाना:
    • चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने के लिये तंत्र को सुदृढ़ करना सर्वोपरि महत्त्व रखता है।
    • इसमें चुनावी धोखाधड़ी, मतदाता भयादोहन और कदाचार को रोकने के उपायों को बढ़ावा देने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम, मतदाता पंजीकरण डेटाबेस और मतपत्र गिनती प्रक्रियाओं की सुरक्षा एवं विश्वसनीयता में सुधार लाना शामिल है।
  • आयोग को अधिक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल सिस्टम (VVPATS) स्थापित कर लोगों के बीच अपना विश्वास स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • प्रौद्योगिकीय एकीकरण:
  • प्रौद्योगिकीय प्रगति को अपनाने और चुनावी अवसंरचना के आधुनिकीकरण में निवेश करने से चुनावी प्रक्रिया की दक्षता, पारदर्शिता एवं अखंडता में सुधार हो सकता है।
  • इसमें सुरक्षा बढ़ाने और छेड़छाड़ या धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिये ब्लॉकचेन-आधारित वोटिंग सिस्टम जैसी उन्नत वोटिंग तकनीकों को अपनाना शामिल है।
  • समावेशी भागीदारी:
  • चुनावी प्रक्रिया में समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये मतदाता दमन, भेदभाव एवं मताधिकार से वंचना जैसे मुद्दों के समाधान हेतु सक्रिय उपाय करने के साथ ही चुनाव संबंधी निर्णयकारी निकायों में विविध समुदायों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • सुनिश्चित किया जाए कि मतदान केंद्र दिव्यांगजनों सहित सभी मतदाताओं के लिये अभिगम्य हों। इसमें रैंप, व्हीलचेयर अनुरूप प्रवेश द्वार, ब्रेल संकेत और स्पर्शनीय वोटिंग मशीनें प्रदान करना शामिल हो सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
  • अंतर्राष्ट्रीय चुनावी प्रबंधन निकायों एवं संगठनों के साथ सहकार्यता एवं सहयोग को सुदृढ़ करने से ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता-निर्माण पहलों और चुनावी प्रशासन में सर्वोत्तम अभ्यासों के अंगीकरण की सुविधा मिल सकती है।
  • इससे वैश्विक मंच पर ECI की विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।

निष्कर्ष:

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का भविष्य प्रौद्योगिकीय प्रगति को अपनाने, नियामक ढाँचे को सुदृढ़ करने, समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने की इसकी क्षमता में निहित है। निर्वाचन आयोग को सशक्त बनाकर और चुनावों को प्रभावी ढंग से विनियमित करने एवं निगरानी करने की उसकी क्षमता को बढ़ाकर, भारत लोकतांत्रिक शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि कर सकता है तथा चुनावी प्रणाली में अपने नागरिकों के बीच भरोसे एवं आत्मविश्वास को बढ़ावा दे सकता है।

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