जम्मू-कश्मीर से Article 370 हटने से आखिर क्या मिला?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद पर रोक लग गयी। पत्थरबाजी पूरी तरह बंद हो गयी, धर्मस्थलों से धार्मिक तकरीरों की बजाय राजनीतिक और भड़काऊ भाषण दिये जाने बंद हो गये, कश्मीरियों के बच्चों को अलगाववादियों की ओर से बहका कर गलत राह पर ले जाना बंद हो गया, आतंकवाद के प्रति लोगों की सोच में ऐसा परिवर्तन आया है कि अब सुरक्षा बलों के ऑपरेशन की राह में बाधा नहीं पैदा की जाती बल्कि उनकी मदद की जाती है और कई उदाहरण तो ऐसे भी देखने में आये जब ग्रामीणों ने ही आतंकवादियों को दबोच कर उन्हें सुरक्षा बलों को सौंप दिया।

370 हटने से पुलिस, सेना और अन्य जांच एजेंसियों के बीच ऐसा अच्छा समन्वय बना कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था की नाकामी के चलते होने वाली आपराधिक घटनाओं में 97 प्रतिशत की गिरावट आ गयी और आतंकवाद संबंधी घटनाएं पहले से घटकर आधी से भी कम हो गयीं।

जम्मू-कश्मीर का सुरक्षा वातावरण सुधरने का लाभ यह हुआ कि यहां पर्यटकों की संख्या हर साल नये रिकॉर्ड बना रही है जिससे पर्यटन उद्योग के लिए स्वर्ण काल शुरू हो गया है। कश्मीर में पहले से प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के विकास और सौन्दर्यीकरण के अलावा उन क्षेत्रों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है जो खूबसूरत होने के बावजूद अभी तक पर्यटक केंद्र नहीं बन पाये थे। साथ ही डल झील अपने इतिहास में पहली बार सबसे ज्यादा साफ नजर आ रही है।

बदलते जम्मू-कश्मीर की नयी तस्वीर को देखेंगे तो पाएंगे कि इस केंद्र शासित प्रदेश को 73 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं। विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज चेनाब में बन रहा है जोकि कश्मीर में है। कश्मीर में ही चेनानी-नशारी में देश की सबसे बड़ी सुरंग बन रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों का तेजी से विकास हो रहा है, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे बन रहा है।

इसके अलावा, जम्मू और श्रीनगर को स्मार्ट सिटी अभियान के तहत नये सिरे से विकसित किया जा रहा है। यही नहीं, 370 हटने के बाद से 19096 किलोमीटर रोड़ का निर्माण जम्मू-कश्मीर में हो चुका है। इस केंद्र शासित प्रदेश में एम्स, आईआईएम और आईआईटी की स्थापना का कार्य चल रहा है। यहां अब तक 244 पुलों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और 39 सुरंगों के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है जिससे आने वाले दिनों में हर मौसम में जम्मू-कश्मीर में कहीं भी आवागमन सुनिश्चित हो सकेगा। इसके अलावा 58478 करोड़ रुपए के प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत जम्मू-कश्मीर को मिली परियोजनाओं ने यहां की तकदीर और तस्वीर, दोनों बदल कर रख दी है।

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में अब केंद्रीय योजनाओं का लाभ पूरी पारदर्शिता के साथ लोगों को मिल रहा है, भूमिहीनों को सरकार जमीन दे रही है, युवाओं को नौकरी मिल रही है, स्वरोजगार की चाह रखने वालों को कौशल प्रशिक्षण और कारोबार खड़ा करने के लिए आसानी से कर्ज मिल रहा है, सभी धर्मों के लोग अपने पर्वों को शांतिपूर्वक मना पा रहे हैं, अमरनाथ यात्रा सफलता के साथ चल रही है,

कुछ दिनों पहले वार्षिक खीर भवानी मेले में भी भारी भीड़ जुटी थी और अब 33 सालों से ज्यादा समय के बाद मुहर्रम का जुलूस निकाला गया था। इसके अलावा, कश्मीरी पंडितों के सुरक्षा हालात में बड़ा सुधार आया है, उनके लिए रोजगार से लेकर आवास तक की व्यवस्था की गयी है। आतंकवाद के दौर में तबाह कर दिये गये हिंदू मंदिरों का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, कश्मीरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कश्मीर में दूरदराज के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार हासिल करने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती क्योंकि प्रशासन खुद उनके पास चलकर जाता है।

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में खेल सुविधाओं के विकास और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं के आयोजन की वजह से यहां नये नये खिलाड़ी निकल रहे हैं। खेलो इंडिया आयोजन में केंद्र शासित प्रदेश के खिलाड़ियों ने अपने जोश, उत्साह और प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया। बदलते हुए माहौल में खेल आयोजनों से खिलाड़ियों के हौसले बुलंद हुए हैं और उनके मन में भी अपने देश का नेतृत्व करने का भाव जागा है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर के किसानों के अच्छे दिन आ गये हैं क्योंकि तकनीक का उपयोग सिखाकर उनकी लागत कम की गयी है और फसल व उत्पाद की गुणवत्ता सुधरने से उनका मुनाफा बढ़ा है।

जम्मू-कश्मीर में त्रि-स्तरीय पंचायत और डीडीसी के प्रतिनिधि जहां जनता की समस्याओं को सुलझा रहे हैं तो वहीं विधानसभा सीटों का भी नये सिरे से परिसीमन हो चुका है। इसके तहत कश्मीर क्षेत्र में विधानसभा सीटों की संख्या 47 जबकि जम्मू क्षेत्र में विधानसभा सीटों की संख्या 43 हो गयी है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 हो गयी है। इससे पहले विधानसभा सीटों की संख्या 86 थी जिनमें से 37 सीट जम्मू में जबकि 46 कश्मीर में थीं। जम्मू-कश्मीर की इस बदली तस्वीर की चर्चा और सराहना यहां के लोग भी खूब कर रहे हैं।

आज जब कश्मीर के हालात पर कोई बाहरी व्यक्ति सवाल उठाता है तो खुद कश्मीरी वीडियो बनाकर उसे सबूत के साथ जवाब देते हैं। बदले माहौल और विकास के यह सबूत देखकर ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी भारत के साथ जुड़ने की मांग होने लगी है। मोदी सरकार ने दिल्ली और कश्मीर के दिल के बीच की दूरी भी घटा दी है। पहले दिल्ली से कोई मंत्री कश्मीर जाता था तो वह एक बड़ी घटना होती थी क्योंकि महीनों या सालों बाद ऐसा होता था लेकिन अब आपको लगातार वहां केंद्र सरकार के मंत्री और प्रतिनिधि दौरा कर परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए दिख जाएंगे।

बहरहाल, जहां तक 370 हटने से अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को होने वाले दर्द की बात है तो यह स्वाभाविक ही है क्योंकि एक तो उनके हाथ से सत्ता गयी, भ्रष्टाचार के मामले खुलने से इज्जत गई और हाल ही में बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई हुई। साथ ही अपने पद का दुरुपयोग करके सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए कानून का उल्लंघन करने वाले प्रभावशाली तथा शक्तिशाली लोगों के खिलाफ बुलडोजर वाली कार्रवाई हुई और उनके कब्जे से सरकारी जमीन को छुड़ाया गया।

रसूखदारों की सारी हेकड़ी निकलने से जम्मू-कश्मीर के आम लोग बेहद खुश नजर आये। देखा जाये तो यह नया कश्मीर पूरे भारतवासियों के साथ ही कश्मीर के लोगों को भी खूब भा रहा है और हर दिल से यही दुआ निकल रही है कि हमारा जम्मू-कश्मीर और तरक्की करे। खैर… हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मोदी सरकार के सुरक्षित और समृद्ध जम्मू-कश्मीर के सपने को पूरा करने के लिए हमारे सुरक्षा बलों ने बड़ी कुर्बानी दी है। इसलिए सेना, पुलिस, अर्धसैनिक बलों समेत सभी सुरक्षा बलों का हम आभार प्रकट करते हैं।

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