रावण का मृत्यु के समय आयु कितनी थी?
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
इसको समझने के लिए हमें अपना दिमाग थोड़ा खोलना होगा क्योंकि समय की जिस गणना की बात हम कर रहे हैं उसे आज का विज्ञान नही समझ सकता। पहली बात तो ये कि जब कोई कहता है कि रामायण 14000 वर्ष पहले की कथा है तो ये याद रखिये कि ये वैज्ञानिकों ने आधुनिक गणना के अनुसार माना है। अगर वैदिक गणना की बात करें तो रामायण का काल खंड बहुत पहले का है। आइये इसे समझते हैं।
पहले तो इस बात को जान लीजिए कि रावण की वास्तविक आयु के बारे में किसी ग्रंथ में कोई वर्णन नही दिया गया है। मैंने कोरा पर कई उत्तर देखे कि रावण तो 20 लाख वर्ष का था, किसी ने कहा वो 80 लाख वर्ष का था या कुछ और। एक बात समझ लें कि अगर कोई रावण की वास्तविक आयु बता रहा है तो वो झूठ बोल रहा है। रामायण में ना रावण की आयु और ना ही श्रीराम की आयु के बारे में कुछ कहा गया है। लेकिन इन दोनों के शासनकाल के विषय मे जानकारी दी गयी है जिससे हम इनकी आयु का केवल अंदाजा लगा सकते हैं।
पर इससे पहले कि हम उनकी आयु के विषय मे जाने, बस सरसरी तौर पर पौराणिक काल गणना समझ लेते हैं क्योंकि विस्तार से तो इस लेख में बताना संभव नही। काल गणना को समझने के लिए एक विस्तृत उत्तर[1] मैंने लिखा है जो आप पढ़ सकते हैं। संक्षेप में, त्रेतायुग 3600 दिव्य वर्षों का था। एक दिव्य वर्ष 360 मानव वर्षो के बराबर होता है। इस हिसाब से त्रेतायुग का कुल काल हमारे समय के हिसाब से 3600 × 360 = 1296000 (बारह लाख छियानवे हजार) मानव वर्षों का था। इस गणना को याद रखियेगा ताकि आगे की बात समझ सकें।
रावण त्रेतायुग के अंतिम चरण के मध्य में पैदा हुआ था और श्रीराम अंतिम चरण के अंत मे। त्रेता युग मे कुल तीन चरण थे। रामायण में ये वर्णन है कि रावण ने अपने भाइयों (कुम्भकर्ण एवं विभीषण) के साथ 11000 वर्षों तक ब्रह्माजी की तपस्या की थी। इसके पश्चात रावण और कुबेर का संघर्ष भी बहुत काल तक चला। इसके अतिरिक्त रावण के शासनकाल के विषय मे कहा गया है कि रावण ने कुल 72 चौकड़ी तक लंका पर शासन किया। एक चौकड़ी में कुल 400 वर्ष होते हैं। तो इस हिसाब से रावण ने कुल 72 × 400 = 28800 वर्षों तक लंका पर शासन किया।
इसके अतिरिक्त रामायण में ये वर्णित है कि जब रावण महादेव से उलझा और महादेव ने उसके हाथ कैलाश के नीचे दबा दिए तब रावण 1000 वर्षों तक उनसे क्षमा याचना (उनकी तपस्या) करता रहा और उसी समय उसने शिवस्त्रोत्रतांडव की रचना की। हालांकि ऐसा उसके लंका शासनकाल में ही हुआ इसीलिए इसे मैं अलग से नही जोड़ रहा।
तो रावण के शासनकाल और तपस्या के वर्ष मिला दें तो 11000 + 28800 = 39800 वर्ष तो कहीं नही गए। तो इस आधार पर हम ये कह सकते हैं कि रावण की आयु कम से कम 40000 वर्ष तो थी ही (उससे भी थोडी अधिक हो सकती है)। अर्थात वो करीब 112 दिव्य वर्षों तक जीवित रहा।
श्रीराम और माता सीता के विषय मे वाल्मीकि रामायण मे कहा गया है कि देवी सीता श्रीराम से 7 वर्ष 1 माह छोटी थी। श्रीराम विवाह के समय 25 वर्षों के थे तो इस हिसाब से माता सीता की आयु उस समय 18 वर्षों की थी। विवाह के पश्चात 12 वर्षों तक वे दोनों अयोध्या में रहे उसके बाद उन्हें वनवास प्राप्त हुआ। इस हिसाब से वनवास के समय श्रीराम 37 और माता सीता 30 वर्ष की थी। तत्पश्चात 14 वर्षों तक वे वन में रहे और वनवास के अंतिम मास में श्रीराम ने रावण का वध किया। अर्थात 51 वर्ष की आयु में श्रीराम ने 40000 वर्ष के रावण का वध किया। तत्पश्चात श्रीराम ने 11000 वर्षों तक अयोध्या पर राज्य किया। तो उनकी आयु भी हम तकरीबन 11100 वर्ष (30 दिव्य वर्ष) के आस पास मान सकते हैं।
रावण का गोत्र उनके पितामह का गोत्र ही था अर्थात पुलत्स्य गोत्र।
इस गणना के हिसाब से रावण के अतिरिक्त कुम्भकर्ण, मेघनाद, मंदोदरी इत्यादि की आयु भी बहुत होगी। विभीषण तो चिरंजीवी हैं तो आज भी जीवित होंगे। जाम्बवन्त तो सतयुग के व्यक्ति थे जो द्वापर के अंत तक जीवित रहे, तो उनकी आयु का केवल अनुमान ही लगा सकते हैं। महावीर हनुमान रावण से आयु में छोटे और श्रीराम से आयु में बहुत बड़े थे। वे भी चिरंजीवी हैं तो आज भी जीवित होंगे। परशुराम रावण से आयु में थोड़े छोटे और हनुमान से बड़े थे और वे भी चिरंजीवी हैं। कर्त्यवीर्य अर्जुन आयु में रावण से भी बड़े थे किंतु परशुराम ने अपनी युवावस्था में ही उनका वध कर दिया था।
कुछ लोग ये सोच रहे होंगे कि किसी व्यक्ति की आयु इतनी अधिक कैसे हो सकती है। किंतु हमारे पुराणों में चारो युग के मनुष्यों की औसत आयु और कद का वर्णन है। और ये सभी मनुष्यों के लिए है, ना कि केवल रावण और श्रीराम जैसे विशिष्ट लोगों के लिए। हालांकि रावण जैसे तपस्वी और श्रीराम जैसे अवतारी पुरुष की आयु वर्णित आयु से अधिक होने का विवरण है।
जैसे जैसे युग अपने अंतिम चरम में पहुंचता है, वैसे वैसे ही मनुष्यों की आयु और ऊंचाई घटती जाती है। अर्थात सतयुग के अंतिम चरण में जन्में लोगों की आयु और ऊंचाई सतयुग के ही प्रथम चरण में जन्में लोगों से कम होगी। आइये इसपर भी एक दृष्टि डाल लेते हैं:
- सतयुग: आयु – 100000 वर्ष, ऊंचाई – 21 हाथ
- त्रेतायुग: आयु – 10000 वर्ष, ऊंचाई – 14 हाथ
- द्वापरयुग: आयु – 1000 वर्ष, ऊंचाई – 7 हाथ
- कलियुग: आयु – 100 वर्ष, ऊंचाई – 4 हाथ
महाभारत में वर्णित है कि रेवती के पिता कुकुद्भि, जो सतयुग से थे, ब्रह्माजी के आदेश पर अपनी पुत्री का विवाह करवाने द्वापर आये। उन्होंने रेवती का विवाह बलराम से कर दिया किन्तु सतयुग की होने के कारण रेवती बलराम से 3–4 गुणा अधिक ऊंची थी। तब बलराम ने अपने हल के दवाब से रेवती की ऊंचाई स्वयं जितनी कर ली।
मैंने, जितना हो सकता था, इस उत्तर को सारगर्भित बनाने का प्रयास किया है। आशा है आपको पसंद आएगा। जय श्रीराम।
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