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आखिरकार इस देश का नाम क्या होगा? - श्रीनारद मीडिया

आखिरकार इस देश का नाम क्या होगा?

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इस देश का नाम भारत या इंडिया?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


एक बात सत्य है की भारत नाम को लेकर देश में एक हिकारत भरी नजर अवश्य है। इंडिया शब्द में गुलामी की गंध है। इंडिया शब्द के समर्थन में भी आवाज उठ रहे है, दरअसल यह शब्द ग्रीक भाषा से आया है।यह शब्द ईसापूर्व पांचवी सदी में ग्रीक लोगों ने सिंधु नदी के लिए और इस क्षेत्र के लोगों को इंडी या इंदोई कहा।

यूनानी विद्वान हेरोडोटस ने इदी शब्द का ही इस रूप में प्रयोग किया है। यही इडी शब्द दूसरी सदी में लैटिन भाषा में इंडिया बना। इस शब्द का अर्थ भौगोलिक क्षेत्र न होकर यहां के निवासी थे। नौवी सदी में यह अंग्रेजी और अन्य यूरोपीय भाषाओं में प्रचलित हुआ। धीरे-धीरे इंडिया शब्द का प्रयोग भौगोलिक भूभाग के लिए भी किया जाने लगा। इतिहासकार यान जे वैरव अपने लेख “फॉर्म हिंदुस्तान टू इंडिया नमिंग चेंज इन चेंजिंग” में लिखते हैं कि 18वीं शताब्दी से अंग्रेजों ने इंडिया शब्द का प्रयोग करना शुरू कर दिया था।

इंडिया शब्द का प्रयोग दरअसल भारत की मनोवैज्ञानिक सांस्कृतिक रूप से पराधीनता बताने का एक प्रयास भी था। इस प्रकार अंग्रेजी औपनिवेशिक साम्राज्यवादी शासन की देन इंडिया शब्द में ब्रिटिश गुलामी की गंध अवश्य छिपी हुई है। इंडिया शब्द में कुलीनता का भाव भी झलकता है। इंडिया और भारत शब्द को देखें तो यह भारत शब्द ज्यादा प्राचीन है। भारत का मूल शब्द भरत का उल्लेख कम से कम 3500 हजार वर्ष पहले ऋग्वेद में मिलता है।

भौगोलिक भूभाग के रूप में भरत या भारतवर्ष ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण में भी मिल जाता है जिसे अधिकांश विद्वान ईसा पूर्व छठी शताब्दी का ग्रंथ मानते हैं। वायु पुराण और महाभारत में इस क्षेत्र का नाम भारत या भारतवर्ष ही है। हमारे राष्ट्रगान में भी केवल भारत शब्द का उल्लेख है।भारत शब्द संस्कृत के ‘भ्रा’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है उत्पन्न करना, वहन करना, निर्वहन करना, आगे चलकर भारत शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ जो निर्वाह,उत्पन्न या वहन करता है।

इस रूप में भारत शब्द अत्यंत अर्थवान है। भारत का एक और अर्थ है ज्ञान की खोज में संकलन। अब लाख टके का प्रश्न यह है कि इस इंडिया को भारत कैसे किया जाए?केंद्र सरकार भारत शब्द को लेकर संजीदा है लेकिन केंद्र सरकार को इस देश का नाम भारत लाने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

जैसे की इस समय संसद के लोकसभा में 539 सांसद हैं तो संशोधन बिल को पास करने के लिए 356 सांसदों की आवश्यकता होगी, वहीं 238 सदस्यों के राज्यसभा में 157 सदस्यों का समर्थन चाहिए। ऐसे में यह बिल संसद से पास हो जाएगा लेकिन इसके बाद 28 राज्यों में से कम से कम आधे से अधिक राज्यों के विधानसभाओं से यह बिल पास होना चाहिए तब जाकर इंडिया नाम हटकर भारत आएगा।

बरहाल अगर आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय जनता पार्टी को गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर,असम, सिक्किम, नागालैंड, और पुडुचेरी में समर्थन है तो वहीं हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली,राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु,तेलंगाना, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और मिजोरम में उसे समर्थन नहीं मिलेगा। ऐसे में इस देश का नाम भारत कैसे होगा? बहरहाल केंद्र सरकार ने एक आवश्यक विमर्श तो प्रारंभ ही कर दिया है।

 

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