सुब्रत रॉय के बाद अब सहारा समूह का क्या होगा?

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

एक वक़्त था जब सहारा समूह के पास लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक होटल थे, अपनी एयरलाइन थी और आईपीएल से लेकर फॉर्मूला 1 टीम थी. यही नहीं, सहारा समूह भारतीय क्रिकेट टीम को भी स्पॉन्सर करती थी.कंपनी की पहुंच भवन-निर्माण से लेकर वित्तीय सेवाएं, नगर विकास, म्युचुअल फंड और जीवन बीमा आदि सेक्टरों तक थी.इस कंपनी के पास एम्बे वैली टाउनशिप थी, लखनऊ समेत कई शहरों में ज़मीन की बड़ी होल्डिंग्स थीं.

देश भर में हज़ारों कर्मचारी इस कंपनी के लिए काम करते थे. कंपनी का अपना मीडिया साम्राज्य था.अपने शुरुआती दिनों में स्कूटर पर चलने वाले ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा की पार्टियों में राजनीति और क्रिकेट से लेकर बॉलीवुड समेत तमाम दूसरे क्षेत्रों की हस्तियां नज़र आती थीं. रॉय अख़बारों की सुर्खियों में बने रहते थे.एक रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2004 में उनके दो बेटों की शादी में 500 करोड़ से ज़्यादा रुपये ख़र्च हुए थे.

इनमें 11,000 से ज़्यादा मेहमान शामिल हुए. चार दिन तक चले शादी के कार्यक्रम में शामिल होने वाले मेहमानों को निजी जेट्स से लाया गया था.लेकिन जब 14 नवंबर को सुब्रत रॉय की मौत की ख़बर आई तब कंपनी की स्थिति पहले से काफ़ी अलग है. सहारा ग्रुप अपनी कई संपत्तियों को बेच चुका है. पहले वाले ग्लैमर का कोई नामोनिशां नहीं है.जानकारों के मुताबिक, कंपनी की आर्थिक हालत बहुत कमज़ोर है.

ये साफ़ नहीं कि सुब्रत रॉय के बाद कंपनी का भार किसके कंधों पर होगा. बताया जाता है कि उनके दोनो बेटे भारत में नहीं हैं, लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं कर पाए हैं.सुब्रत रॉय को जानने वाले उनको लेकर बहुत अलग-अलग विचार रखते हैं. अपना नाम न बताने की शर्त पर उनको जानने वाले एक शख्स ने उन्हें ‘डायनमिक, सेल्फ-मेड मैन’ और ‘करिश्माई’ इंसान बताया ‘जिससे जो मिलता था वो उसका मुरीद हो जाता था.

‘सुब्रत रॉय के करियर को लंबे समय से देख रहे वरिष्ठ खोजी पत्रकार शरत प्रधान उन्हें ‘फाइनेंशियल जगलर’ या ‘वित्तीय बाज़ीगर’ बताते हैं, जिसने गरीबों को सपने बेचे.शरत प्रधान के मुताबिक, ”सहारा का ज़्यादातर बिज़नेस ऑपरेशन पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के ग़रीब इलाकों में रहा, जहां ग़रीबी है और जहां लोग उम्मीदों पर जीते हैं, क्योंकि वहां लोगों की हालत सुधरती नहीं हैं.

“सहारा पर किताब ‘द अनटोल्ड स्टोरी’ के लेखक और पत्रकार तमल बंदोपाध्याय के मुताबिक अपने चरम पर सहारा के 4,799 दफ़्तर और 16 अलग अलग तरह के बिज़नेस थे, लेकिन नए माहौल में ग्रुप का बच पाना बहुत ही मुश्किल है.जानकारों के मुताबिक़, जेल से रिहा होने के बाद सुब्रत रॉय मीडिया से थोड़े अलग रहते थे.कंपनी के भविष्य पर हमारी कंपनी के किसी अधिकारी से बात नहीं हो पाई. सुब्रत रॉय के एक बेहद नज़दीकी व्यक्ति ने बताया कि परिवार का कोई सदस्य अभी बात करने की स्थिति में नहीं है.

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