Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
अचानक तापमान में बढ़ोतरी से गेहूं की फसल को हो सकता है नुकसान, अपनाएं ये पांच खास उपाय - श्रीनारद मीडिया

अचानक तापमान में बढ़ोतरी से गेहूं की फसल को हो सकता है नुकसान, अपनाएं ये पांच खास उपाय

अचानक तापमान में बढ़ोतरी से गेहूं की फसल को हो सकता है नुकसान, अपनाएं ये पांच खास उपाय

पढ़े देश में कहां-कितना होता है गेहूं का उत्पादन

 

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

देश के कई राज्यों में गेहूं की खेती होती है। इस बार भी किसानों ने रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुबाई की है और इस साल गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में किसानों को गेहूं की फसल की उचित देखभाल की जरूरत है ताकि उनकी फसल को नुकसान नहीं हो और उन्हें गेहूं की बंपर पैदावार मिल सके। फरवरी का महीना गेहूं की फसल की देखरेख के लिए खास हाेता है। इस महीने में तापमान में बढ़ोतरी होती है और बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में किसानों को फरवरी के महीने में बढ़ने वाले तापमान से गेहूं की फसल सुरक्षा के उपाय करने बेहद जरूरी हो जाता है।

आज हम  आपको फरवरी माह में अचानक बढ़े तापमान से गेहूं की फसल की सुरक्षा कैसे करें, इस विषय पर जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं गेहूं की फसल को बढ़े हुए तापमान से सुरक्षित रखने के 5 खास उपाय।

फरवरी का महीना गेहूं की फसल के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय गेहूं में बालियां आने लगती है। फरवरी में तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने लगती है जो गेहूं की फसल के लिए ठीक नहीं होती है। अधिक तापमान से गेहूं की फसल के खराब होने का खतरा बना रहता है। समय के साथ तापमान का संतुलन ठीक नहीं होने पर गेहूं की पैदावार प्रभावित होती है। साथ ही गेहूं की फसल में दाना बनने में समस्या आती है। गेहूं की फसल के लिए फरवरी में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम और अधिकतम तापमान 25 डिग्री तक होना सही रहता है। इससे ऊपर बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल में नुकसान होने की संभावना बनी रहती है जिसका प्रभाव सीधा इसके उत्पादन पर पड़ता है।

गेहूं की फसल को नुकसान से बचाने के लिए फरवरी माह में क्या करें

गेहूं की फसल को अधिक तापमान से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसान कुछ उपाय कर सकते हैं जिससे उनकी फसल सुरक्षित रहेगी और उनकी पैदावार में बढ़ोतरी होगी। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की फसल को फरवरी में अचानक बढ़ते तापमान को बचाने के बताए गए उपाय इस प्रकार से है

गेहूं की फसल को बढ़ते तापमान से बचाने के लिए किसानों को फसलों की सिंचाई करनी चाहिए ताकि भूमि के तापमान को सही रखा जा सके और भूमि में नमी बनी रहे। सिंचाई हमेशा शाम के समय करनी चाहिए।

गेहूं की फसल में गोभ या नई कोपलें आने के समय किसानों को बहुत ध्यान रखना चाहिए। यदि इस समय फसल पर कोई बुरा प्रभाव दिखाई देता है तो उसका नियंत्रण करना चाहिए। इसके लिए आप दो फीसदी पोटेशियम नाइट्रेड का छिड़काव कर सकते हैं।

इस मौसम में गेहूं की फसल पर मोहू कीट का प्रकोप होने की संभावना भी बनी रहती है। यदि आपको फसल पवर मोहू कीट का प्रकोप नजर आता है तो आपको इसके नियंत्रण के लिए 20 ग्राम तायो का प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

यदि गेहूं फसल पर पीले रतुए का प्रकोप दिखाई दे तो 200 मिली लीटर प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. दवाई प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद 15 दिन का अंतर देकर दुबारा छिड़काव किया जा सकता है। हालांकि शुष्क मौसम में गेहूं की फसल पर पीले रतुए रोग का प्रकोप कम ही होता है।

देश में कहां-कितना होता है गेहूं का उत्पादन

भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और बिहार में प्रमुख रूप से गेहूं का उत्पादन किया जाता है। देश में सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। इसके बाद मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा का नंबर आता है। यदि देश के कुल गेहूं उत्पादन में अलग-अलग राज्यों की हिस्सेदारी की बात की जाए तो उत्तरप्रदेश का देश के कुल गेहूं उत्पादन में करीब 32 प्रतिशत योगदान है जो अन्य राज्यों तुलना में सर्वाधिक है।

इसके बाद मध्यप्रदेश का दूसरा नंबर आता है। यहां देश का करीब 19 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन किया जाता है। पंजाब गेहूं उत्पादन में तीसरे नंबर पर आता है। यहां करीब 15 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है।

चौथे नंबर पर हरियाणा है जो देश के कुल गेहूं उत्पादन का 11 प्रतिशत गेहूं उत्पादित करता है। राजस्थान पांचवें नंबर पर है, यहां गेहूं का 10 प्रतिशत उत्पादन होता है।

इसके अलावा बिहार में 5.4 प्रतिशत, गुजरात में देश का 3.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में गेहूं का 1.9 प्रतिशत, उत्तराखंड में 0.8 प्रतिशत तथा पश्चिम बंगाल में देश के कुल उत्पादन का 0.5 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन होता है। इस तरह देश में सबसे कम गेहूं का उत्पादन पश्चिम बंगाल और सबसे अधिक उत्पादन उत्तरप्रदेश में होता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!