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ईद अल-अज़हा कब है? - श्रीनारद मीडिया

ईद अल-अज़हा कब है?

ईद अल-अज़हा कब है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने 14 जून से हज यात्रा शुरू होने की घोषणा कर दी है। गुरुवार शाम 6 जून को धू अल-हिज्जा का अर्धचंद्र देखा गया, जिसके बाद 7 जून यानी आज से इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने धू अल-हिज्जा की शुरुआत हुई। इस घटनाक्रम के बाद घोषणा की गयी कि 14 जून से हज यात्रा शुरू होगी और 16 जून को ईद उल अजहा यानी बकरीद मनाई जाएगी।

हज क्या है?

हज इस्लाम धर्म के पाँच स्तंभों में से एक है और हर मुस्लिम के लिए कम से कम एक बार इसे करना अनिवार्य है, यदि वह शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो। हज इस्लामी कैलेंडर के धू अल-हिज्जा महीने में मक्का, सऊदी अरब में आयोजित होता है और इसमें मिना, अराफात, और मुजदलिफा जैसे महत्वपूर्ण स्थान भी शामिल हैं। हज की रस्में इहराम की स्थिति से शुरू होती हैं, जिसमें हाजी सफेद वस्त्र पहनते हैं, तवाफ (काबा के चारों ओर सात बार घूमना), सई (सफा और मर्वा पहाड़ियों के बीच दौड़ना), अराफात पर्वत पर खड़ा होना, मुजदलिफा में रात बिताना, रमी अल-जमारात (शैतान पर पत्थर फेंकना), और कुर्बानी (जानवर की बलि देना) शामिल हैं।

हज का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इसे करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक शुद्धिकरण होता है और उसे एक नया जीवन मिलता है जहाँ उसके पिछले पाप माफ हो जाते हैं। हज अल-इफराद (केवल हज), हज अल-किरान (हज और उमरा साथ में), और हज अल-तमत्तु (पहले उमरा और फिर हज) हज के तीन प्रकार हैं।

ईद अल-अज़हा कब है?

सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि इस साल ईद अल-अज़हा 16 जून को मनाई जायेगी। सऊदी सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अराफ़ात दिवस शनिवार, 15 जून को पड़ता है, जबकि रविवार, 16 जून ईद अल-अज़हा का पहला दिन होगा।’

ईद अल-अज़हा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लामिक कैलेंडर के धू अल-हिज्जा महीने में मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। यह हज के समापन पर मनाया जाता है और पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति समर्पण और उनके पुत्र इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इस दिन, मुस्लिम परिवार सामूहिक नमाज अदा करते हैं और एक जानवर, आमतौर पर बकरी, भेड़, गाय या ऊंट, की बलि देते हैं। बलि किए गए जानवर का मांस परिवार, मित्रों, और गरीबों में बाँटा जाता है, ताकि सभी को त्योहार की खुशी में शामिल किया जा सके। ईद अल-अज़हा भाईचारे, उदारता, और अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

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