Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और नवमी कब है? - श्रीनारद मीडिया

चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और नवमी कब है?

चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और नवमी कब है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नवरात्रि पर्व को भारत में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अगल स्वरुपों की उपासना की जाती है। चैत्र नवरात्रि शुरु हो चुकी हैं अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन हवन आदि करने के बाद कन्या पूजन किया जाता है। बता दें कि, इस बार नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हुआ है और 17 अप्रैल को इसका समापन होगा।

कब है महाअष्टमी

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, नवरात्रि अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अप्रैल को दोपहर में 12 बजकर 12 मिनट से होगा और इसका समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदया तिथि में अष्टमी की तिथि 16 अप्रैल को होने के कारण महाअष्टमी को कन्या पूजन 16 अप्रैल को किया जाएगा। जबकि नवमी तिथि 17 अप्रैल को है।

कन्या पूजन के साथ बटुक की भी पूजा होती है

शास्त्रो के अनुसार, कन्या पूजन के दौरान बटुक की पूजा की जाती है। कन्या को खाना खिलाने के साथ-साथ उन्हें उपहार आदि भी दिया जाता है। साथ ही बटुक की पूजा भी जाती है। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को लाल कपड़े में थोड़े से चावलों के साथ एक रुपए का सिक्का जरुर दें। अगर आप इस विधि को अपने घर में करेगी तो मां लक्ष्मी का वास आपके घर में हमेशा रहेगा।

2 से 10 वर्ष की कन्याओं का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन में 2 से 10 साल की कन्याओं का विशेष महत्व होता है। 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को माता कालिका, सात वर्ष की कन्या को चंडिका, आठ वर्ष की कन्या को शांभवी और 9 वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा और दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है। वहीं 9 कन्याओं के साथ एक बटुक को जरुर बिठाएं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!