सर्वे से जब कोई नुकसान नहीं होना तो दिक्कत नहीं होनी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

सर्वे से जब कोई नुकसान नहीं होना तो दिक्कत नहीं होनी चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

Supreme Court on Gyanvapi ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिका में ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग की थी। शीर्ष न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सर्वे से परिसर को कोई नुकसान नहीं होने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

  • मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने एएसआई के हलफनामे पर ध्यान दिया है कि वह अपने सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई नहीं कर रहा है और दीवार आदि के किसी भी हिस्से को नहीं छुआ जाएगा।
  • कोर्ट ने कहा कि जब परिसर को कोई नुकसान नहीं होने वाला है, तो दिक्कत क्या है।
  •  सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसे इस स्तर पर वैज्ञानिक सर्वेक्षण में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।
  • पीठ ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि आप एक ही आधार पर हर आदेश का विरोध नहीं कर सकते।
    • मस्जिद समिति ने कहा कि एएसआई सर्वेक्षण अतीत के घावों को फिर से खोल देगा।
    • मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास में जाने का है और यह “अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा।
    • मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की यह कवायद इतिहास को खोदना, पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करना, धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे को प्रभावित करना है।

      ?

    • इलाहाबाद कोर्ट ने दिया था यह फैसला

  • बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी समिति द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एएसआई सर्वे करने को कहा गया था। जिला अदालत ने यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी।
  • स्थानीय कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक हुई अपील

    • 21 जुलाई को वाराणसी की स्थानीय कोर्ट ने ASI को सर्वे करके 4 अगस्त को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था।
    • 24 जुलाई को सुबह 7 बजे सर्वे शुरू हुआ। मुस्लिम पक्ष रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई की शाम तक सर्वे पर रोक लगा दी और हाईकोर्ट जाने को कहा।
    • 25, 26, 27 जुलाई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। 27 जुलाई को कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया और 3 अगस्त को आदेश देने की बात कही।
    • 3 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘न्यायहित में सर्वे जरूरी है। मुझे इस तर्क में कोई दम नहीं दिखता कि बिना दीवार खोदे ASI नतीजे पर नहीं पहुंच सकता।’
    • 3 अगस्त को इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला गया। 4 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज हो गई।
    • हिंदू पक्ष के 7, मुस्लिम पक्ष के 9 लोगों को अनुमति
      अपर जिला मजिस्ट्रेट (नगर) आलोक कुमार वर्मा ने हिंदू पक्ष के 7 और मुस्लिम पक्ष के 9 लोगों को सर्वे टीम के साथ अंदर जाने की अनुमति दी है। इसमें हिंदू पक्ष में रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, सोहन लाल आर्य, अनुपम द्विवेदी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, विक्रम व्यास परिसर में अंदर पहुंच चुके हैं।

      वहीं, मुस्लिम पक्ष में मौलाना अब्दुल बांकी, अब्दुल बातीन नोमानी, एमएम यासिन, मुमताज अहमद, अखलाक अहमद, मोहम्मद एजाज अहमद, शमशेर अली, फुजैल अहमद, हाजी नेसार को बुलाया गया था, लेकिन वो ज्ञानवापी परिसर में नहीं पहुंचे।

    • अब खुदाई नहीं, GPR तकनीक का इस्तेमाल करेगी ASI
      वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश पर ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया था। उस वक्त ASI की 20 सदस्यीय टीम थी। हालांकि, कुछ घंटे बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी। ASI टीम के जो फुटेज सामने आए थे, उसमें वह फावड़ा अंदर लेकर जाते हुए नजर आए थे। हालांकि, हाईकोर्ट ने अब खुदाई नहीं करने की बात कही है, ताकि परिसर को क्षति न हो।

Leave a Reply

error: Content is protected !!