टि्वन टावर के भ्रष्ट अधिकारियों पर कब होगी कार्रवाई !

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े टि्वन टावर रविवार दोपहर 2.30 बजे ताश के पत्तों की तरह ढह गए। मगर यह अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की एक बानगीभर है। प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार रुपी रावण जैसे खड़ा हुआ है, उस रावण को पैदा करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का इंतजार अब सभी को है।

अधिकारियों ने बिल्डरों को दिया बढ़ावा

भ्रष्टाचार को सींचने और पुष्पित-पल्लवित करने वाले अधिकारी अपने रसूख और सत्ता के गलियारों में अपनी पहुंच के चलते अब भी कार्रवाई से दूर हैं। दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर की बेशकीमती जमीनों ने विकास को जो बुलंदी दी है, उसकी आड़ में भ्रष्टाचार की जड़ें भी उतनी गहरी होती गईं। नतीजा सुपरटेक जैसे बिल्डर कंपनियां अधिकारियों को अपने पैसे के बूते जेब में लेकर घूमते रहे।

मनमाने तरीके से जमीन का हुआ सौदा

जो प्राधिकरण आम आदमी को छोटे से काम के लिए नाकों चने चबवा देता है, उसके अधिकारी-कर्मचारी बिल्डरों के आगे फाइलों पर ऐसे दस्तखत करते रहे, मानो वे सरकार के नहीं, बिल्डरों के कर्मचारी हों। अधिकारियों को पैसे खिलाकर बिल्डरों ने जमकर मनमानी की। देखते ही देखते नियोजित शहर के रूप में विकसित होने वाले नोएडा में भ्रष्टाचार की बहुमंजिला इमारतें खड़ी होती गई।

इन बहुमंजिला इमारतों की नींव में प्राधिकरण के नियम, कानून और आम लोगों की सुरक्षा को भी दफन कर दिया गया। नोएडा से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का यह खेल ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण तक भी पहुंचा। इन प्राधिकरणों में बैठे अधिकारियों ने भी करोड़ों-अरबों रुपये के लालच में बिल्डरों को लूट की खुली छूट दे दी।

भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई जरूरी

सिर्फ 10 प्रतिशत राशि लेकर भूखंड आवंटित कर प्राधिकरण की लुटिया डुबोने में बिल्डरों के साथ प्राधिकरण के अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार हैं। शाहबेरी जैसी अवैध इमारतें भी अधिकारियों की लालच की देन हैं। आश्चर्य तो यह है कि सरकारें बदलती रही, लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर आज तक किसी ने सख्त कार्रवाई नहीं की है।

शासन को मामले में आरोपित अधिकारियों के खिलाफ जारी विजिलेंस जांच की रिपोर्ट का इंतजार है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाये जाने पर अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी।

सीएम योगी ने गठ‍ित की थी एसआईटी

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुपरटेक मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित की थी। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआइटी की जांच में नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन 26 अधिकारी दोषी पाए गए थे।
  • बाद में शासन ने जांच में दोषी प्राधिकरण अधिकारियों के साथ ही सुपरटेक के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट के विरुद्ध विजिलेंस जांच का आदेश दिया था। विजिलेंस मामले में आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर जांच कर रहा है।
  • सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस ने बीते दिनों आरोपित अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज कब्जे में लिए थे। उनकी संपत्तियों का भी ब्योरा जुटाया है।
  • भ्रष्टाचार की काली कमाई से जुटाई गई संपत्तियों के बारे में भी गहन छानबीन की गई है। डिप्टी एसपी स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में यह जांच चल रही है। माना जा रहा है कि विजिलेंस जल्द अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने के साथ ही दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति मांगेगा।
  • अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि मामले की विजिलेंस जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
  • उल्लेखनीय है कि एसआइटी की जांच रिपोर्ट में 26 अधिकारी दोषी पाए गए थे, उनमें 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि दो अधिकारियों की मृत्यु हो चुकी है। प्रकरण में वर्ष 2004 से 2017 तक प्राधिकरण में तैनात रहे अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई थी।

इन सबकी थी मिलीभगत

सेवारत अधिकारी

मुकेश गोयल- तत्कालीन नियोजन सहायक

ऋतुराज व्यास- तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक

अनीता- तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट

विमला सिंह- सहयुक्त नगर नियोजक

सेवानिवृत्त अधिकारी

मोहिंदर सिंह- तत्कालीन सीईओ नोएडा

एसके द्विवेदी- तत्कालीन सीईओ नोएडा

आरपी अरोड़ा- तत्कालीन अपर सीईओ नोएडा

यशपाल सिंह- तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी

एके मिश्रा- तत्कालीन नगर नियोजक

राजपाल कौशिक- तत्कालीन वरिष्ठ नगर नियोजक

त्रिभुवन सिंह- तत्कालीन मुख्य वास्तुविद नियोजक

शैलेंद्र कैरे- तत्कालीन उप महाप्रबंधक (ग्रुप हाउसिंग)

बाबूराम- तत्कालीन परियोजना अभियंता

टीएन पटेल- तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट

वीए देवपुजारी- तत्कालीन मुख्य वास्तुविद नियोजक

एनके कपूर- तत्कालीन एसोसिएट आर्किटेक्ट

प्रवीण श्रीवास्तव- तत्कालीन सहायक वास्तुविद

ज्ञान चंद- तत्कालीन विधि अधिकारी

राजेश कुमार- तत्कालीन विधि सलाहकार

विपिन गौड़- तत्कालीन महाप्रबंधक

एमसी त्यागी- तत्कालीन परियोजना अभियंता

केके पांडेय- तत्कालीन मुख्य परियोजना अभियंता

पीएन बाथम- तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी

एसी सिंह- तत्कालीन वित्त नियंत्रक

सुपरटेक के निदेशक

आरके अरोड़ा

संगीता अरोड़ा

अनिल शर्मा

विकास कंसल

आर्किटेक्ट और उनकी फर्म

दीपक मेहता

दीपक मेहता एंड एसोसिएट्स

नवदीप

मोदार्क आर्किटेक्ट

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