जहां सुमति तहां सम्पति नाना, जहां कुमति तहां विपति निधाना।।
श्रीनारद मीडिया, सिधवलिया, गोपालगंज (बिहार):
जहाँ सुमति रहती है वहाँ अनेको सम्पति यथा, हर सुख प्राप्त होता है। परंतु जहाँ कुमति रहती है वहाँ अनेकों तरह की विपत्तियाँ यथा, मार, झगड़े, मानसिक तनाव, समाजिक विखराव इत्यादि होते रहते हैं। वहाँ विवेक मर जाता है। अराजकता हर जगह फैल जाती है।
उक्त बातें सिधवलिया रेलवे स्टेशन के समीप आयोजित श्रीराम कथा महयज्ञ के अंतिम नॉवें दिन कथा वाचिका ममता पाठक ने कही। उन्होंने कहा कि रावण सीता हो हर लाया था। इसे पत्ता लगाने के लिए महाबली हनुमान जब लंका में जाकर सीता मईया का पता लगाकर लंका की सोने की नगरी को जला दिए तो, रावण की पत्नी ने उन्हें काफी समझाया कि परायी स्त्री को नही रखना चाहिए।
कुंभकर्ण और विभीषण ने भी खूब समझाया, रावण के सङ्गे संबंधी भी समझाने में पीछे नही रहे। परन्तु रावण पर कुमति का साया मंडराता रहा और अपनी जिद्द को नही छोड़ा। परिणाम यह हुआ कि भाई, पुत्रों,सङ्गे-संबंधियों से रावण को हाँथ धोना पड़ा। फिर भी वैदेही हो नही छोड़ा।
श्री राम ने रावण का बद्ध कर ही डाला। और लंका पर विजय प्राप्त कर सीता को लाये। उन्होंने कहा कि मन्थरा ने भी कैकेयी पर भी कुमति का साया डाल दिया था।जिसके कारण अयोध्या पर विपति का पहाड़ टूट गया था।
किष्किंधा नरेश बालि पर भी कुमति का साया था जिसके कारण भगवान श्रीराम को बालि पर बाण छोड़ना पड़ा।उन्होंने ने कहा कि इसी वजह से मनुष्य को सदैव सुमति के संगत में रहना चाहिए न कि सुमति के। क्योकि कुमति छाने पर मनुष्य की आर्थिक, पारिवारिक, समाजिक, शारीरिक सभी अवस्थाएँ नष्ट हो जाती हैं।
कथा का शुभारम्भ राजद विधायक प्रेमशंकर यादव ने ममता पाठक को अंग वस्त्र देकर किया। मौके पर, त्रिलोकी प्रसाद, हरेन्द्र प्रसाद,अरविंद सोनी, प्रेम यादव, रजनीश, राजन सहित हजारों श्रद्धालु कथा का श्रवण किये।
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