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कहाँ सज गया सलमान, शाहरुख और दीपिका के नाम से बाज़ार?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मुगल शासक औरंगजेब का शुरू कराया गधा मेला आज भी चित्रकूट में खास बना हुआ है। दीपावली के पांच दिवसीय मेला पर मंदाकिनी तट पर गधा मेला की शुरुआत हो चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक मेला में हर साल करीब दस हजार गधों की बिक्री होती है और इस बार भी करीब दो करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है। यहां बालीवुड सितारों के नाम से बिकने वाले सलमान, शाहरुख और दीपिका पर खरीदारों की खास नजर है। खरीदार अबतक करीब दस हजार की खरीद कर चुके हैं। गधे नए मालिकों के हो गये। कुल करीब दो करोड़ का कारोबार होना बताया जाता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक द्विवेदी की मानें तो चित्रकूट में गधा मेला की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने कराई थी। औरंगजेब के सैन्य बल ने घोड़ों की कमी होने पर गधा मेला लगवाया गया था, जिसमें अफगानिस्तान से अच्छी नस्ल के खच्चर लाए गए थे। तब से मेले की यह परंपरा चली आ रही है। इसमें गधा मेले में विक्रेता और खरीदार उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत नेपाल आदि से आते हैं। यहां गधों की बोली लगाई जाती है। एक बार फिर दीपावली मेले में गधा मेला शुरू हो चुका है और लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना है। कई प्रदेशों से हजारों की संख्या में आए विभिन्न नस्लों के गधे आकर्षण का केंद्र हैं।

मेला के संयोजक मुन्ना मिश्रा ने बताया कि मेले में सबसे ज्यादा डिमांड बॉलीवुड स्टार के नाम पर बिकने वाले गधों की होती है। अच्छी नस्ल के गधों का नाम शाहरुख , सलमान , करश्माि, दीपिका व रणवीर आदि रखा जाता है। जिनकी मुंह बोली कीमत मिलता है अभी तक तीन दिन से मेला में सबसे अधिक बोली सलमान की डेढ़ लाख लगी है जबकि शाहरुख सिर्फ 70 हजार में बिका है वैसे दीपिका नाम की गधा की बोली सवा लाख रुपये लगाई है। रितिक रोशन व रणबीर सिंह को 30 और 50 हजार में बेचे गए हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में करीब डेढ़ से दो करोड़ तक का हो चुका है।

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उन्होंने बताया कि बदामी और बाजरी खच्चर की भी काफी डिमांड रही। इनको ही फिल्मी स्टार के नाम पर एक लाख से डेढ़ लाख रुपये तक में बेचा गया है। इन खच्चरों की हर साल मांग रहती है। उन्होंने बताया कि चित्रकूट में पहला गधा मेला मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने सैन्य बल में पशुओं की ताकत बढ़ाने के लिए लगाया था। इस मेले से ही गधे और खच्चरों को खरीदारी कर सेना में शामिल किया गया था।

मेला से वसूलते टैक्स पर व्यवस्थाएं शून्य

मेला में गधों की बिक्री का टैक्स नगर पालिका नयागांव वसूल करती है। अब नदी के किनारे भीषण गंदगी के बीच व्यापारी गधों की खरीद फरोख्त करने को मजबूर रहते हैं। मेला में पीने का पानी तक नहीं मुहैया होता है और न ही छाया की व्यवस्था रहती है। सुरक्षा के भी इंतजाम नहीं रहते हैं। व्यापारियों का कहना है कि जानवर बिके या न बिके लेकिन ठेकेदार वसूली करते हैं। 30 रुपये प्रति खूंटा जानवर के बांधने का लिया जाता है और 500 रुपये प्रति जानवर इंट्री का वसूला जाता है।

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