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तूफान के नाम, कौन तय करता है? - श्रीनारद मीडिया

तूफान के नाम, कौन तय करता है?

तूफान के नाम, कौन तय करता है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

तूफान ‘यास’ ने देश के पूर्वी तटीय इलाकों में दस्‍तक दी। इस चक्रवाती तूफान का असर अंडमान निकोबार द्वीप समूह, ओडिशा और पश्चिम बंगाल पर सबसे ज्यादा हुआ है। इसका नाम ओमान ने रखा है। यास का मतलब निराशा है। इससे पहले ताऊ ते ने भारत में तबाही मचाई थी, उसका नाम म्यांमार ने रखा था। इसका अर्थ ‘गेको’ था यानी तेज आवाज निकालने वाली छिपकली।

ये नाम कौन तय करता है? इसका जवाब दिलचस्प है। अभी से आने वाले 164 तूफानों के नाम तय हैं। यास के बाद गुल-आब, शाहीन, जवाद और असानी आएंगे।

इसकी शुरुआत अमेरिका ने की, केवल महिलाओं के नाम देता था
साल 1953 से पहले तूफानों के नाम रखने की कोई प्रणाली नहीं थी, लेकिन चक्रवाती तूफान कई देशों को अपनी जद में लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों में एक ही तूफान के अलग-अलग नामों से उलझन होती थी। इसलिए अटलांटिक महासागर क्षेत्र में एक समझौता हुआ और नाम तय किए जाने लगे।

लेकिन इसमें एक खास बात देखी गई। अमेरिका को जब कभी नाम रखने का मौका मिलता तो वो किसी न किसी महिला के नाम पर तूफान का नाम रख देता। जैसे शुरुआती नाम एलिस, बारबरा, डॉली, रीटा, एडना, फ्लोरेंस, गैल और हेजल। इसका महिला कार्यकर्ता रॉक्सी बॉल्टन ने विरोध भी किया था।

उधर ऑस्ट्रेलिया भ्रष्ट नेताओं और उनकी पत्नियों, गर्लफ्रेंड के नाम का करने लगा था इस्तेमाल
ऑस्ट्रेलिया ने तूफानों के नाम को अपने देश के भ्रष्ट नेताओं के नाम पर रखना शुरू कर दिया। इनमें ऑड्रे, दिनाह, ड्रैक एंड डीकिन जैसे नाम चर्चा में आए। साल 1973 में यह नियम बदलकर एक पुरुष और एक महिला के नाम पर रखे जाने लगे। तब भ्रष्ट नेताओं की पत्नियों और गर्लफ्रेंड के नाम भी रखे गए।

2004 में अंतरराष्ट्रीय पैनल भंग, भारत ने की अपने नाम रखने की पहल
अमेरिका के प्रभाव वाले विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की अगुवाई वाला अंतरराष्ट्रीय पैनल 2004 में भंग कर दिया गया। भारत की अगुआई में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ तटीय देशों भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड में एक समझौता हुआ। सभी आठ देशों ने अपनी ओर से 8-8 नाम दिए। देशों के नामों में आने वाले पहले अक्षर के अनुसार अल्फाबेटिकल सभी को अपने नाम रखने की अनुमति मिली। तब साल 2004 में 64 तूफानों की लिस्ट जारी की गई। ये लिस्ट 2018 में अम्फान तूफान के साथ समाप्त हो गई थी। यानी 8 देशों में 64 तूफान आने में 14 साल लगे।

अब 13 देशों ने बनाई है 169 तूफानों के नाम की लिस्ट, 5 आ चुके हैं
अप्रैल 2020 में पुराने समझौते के तहत ही 169 तूफानों की लिस्ट जारी की गई। इस बार पहले के 8 देश के अलावा पांच अन्य देश ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी इसमें शामिल किया गया है। नई सूची में से अब तक निसर्गा, गति, निवार, बुरेवी और ताऊ ते आ चुके हैं। इनमें नाम क्रमशः बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव और म्यांमार ने रखे थे। अगला नाम ओमान का यास दस्तक देने वाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये लिस्ट पूरी होने में 50 साल लग सकते हैं। यानी आने वाले 50 सालों के तूफानों के नाम पहले से तय हैं।

आने वाले दिनों में भारत जिन तूफानों के नाम देगा, वो क्या हैं
भारत के नाम में गत‌ि, तेज, मुरासु, आग, व्योम, झार, प्रोबाहो, नीर, प्रबंजन, घुन्नी, अंबुद, जलधि और वेगा शामिल हैं। इसमें गति आ चुका है।

तूफानों के अजीबो-गरीब नाम; शांति दूत राजा का नाम था ‘महासेन’, श्रीलंका को वापस लेना पड़ा था

​​​​इरमा: अमेरिका में आए इस शक्तिशाली तूफान को हैरी पॉटर में ‘इरमा पींस’ नाम की एक महिला किरदार पर रखा गया।

फेलिप: बरमूडा में आए फेलिप तूफान का नाम संत फेलिप के नाम पर रखा गया था। इस पर सवाल उठे कि संत के नाम पर तूफान का नाम क्यों रखा गया।

वरदा: पाकिस्तान की ओर से रखे गए नाम वरदा यानी लाल गुलाब पर भी चर्चा हुई कि तबाही मचाने वाले का नाम गुलाब कैसे रखा जा सकता है।

महासेन: श्रीलंका सरकार ने एक तूफान का नाम ‘महासेन’ रखा। महासेन श्रीलंका के इतिहास में समृद्धि और शांति लाने वाले राजा के तौर पर दर्ज हैं। विवाद के बाद नाम वापस लेना पड़ा।

हुदहुद: आंध्रप्रदेश और नेपाल में आए ‘हुदहुद’ तूफान ने भारी तबाही मचाई थी। ओमान ने इस चक्रवात का नाम एक पक्षी के नाम पर ‘हुदहुद’ दिया था।

फालीन: ‘फालीन’ चक्रवात का नाम थाईलैंड की ओर से सुझाया गया था, लेकिन म्यांमार ने इसे ‘नानुक’, पाकिस्‍तान ने नीलम, नीलोफर कहा। तब समझौते को लेकर सवाल उठे।

फेनी: फेनी तूफान को यह नाम बांग्लादेश ने दिया था और इसका बांग्ला और ओडिया में मतलब नाग का फन होता है।

तूफान किसे कहते हैं, कब नाम रखने की जरूरत पड़ती है
अगर किसी आंधी की गति 34 समुद्री मील प्रति घंटे से अधिक है तो इसे एक विशेष नाम देना जरूरी हो जाता है। यही तूफानी हवा अगर 74 मील प्रति घंटे तक पहुंचती है या पार हो जाती है, तो इसे चक्रवाती तूफान कहते हैं।

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