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कौन हैं नैंसी जिनके ताइवान दौरे से भड़का है चीन? - श्रीनारद मीडिया

कौन हैं नैंसी जिनके ताइवान दौरे से भड़का है चीन?

कौन हैं नैंसी जिनके ताइवान दौरे से भड़का है चीन?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका-चीन के बीच भारी तनाव (US-China Conflict) के बीच अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी (US House Speaker Nancy Pelosi) ने ताइवान का एक दिवसीय दौरा पूरा कर लिया है। इसके बाद वह दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गईं। नैंसी पेलोसी ने ताइवान की धरती से चीन को सख्त संदेश देकर उसकी चिंता और बढ़ा दी है।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अमेरिका किसी भी स्थिति में ताइवान का साथ नहीं छोड़ेगा। ये कोई पहला मौका नहीं है जब नैंसी के दौरे से चीन की चिंता बढ़ी हो। करीब 14 वर्ष पूर्व नैंसी जब भारत दौरे पर आयीं थी, तब भी ड्रैगन की हालत इसी तरह खराब हो गई थीं। जानते हैं कौन हैं नैंसी पेलोसी और क्यों उनसे चिढ़ता है चीन?

अमेरिकी राजनीति में नैंसी पेलोसी

नैंसी पेट्रीसिया पेलोसी का जन्म 26 मार्च 1940 को हुआ था। डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी, जनवरी 2019 से वह अमेरिकी संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) की 52वीं स्पीकर हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव का स्पीकर राजनीतिक तौर पर सबसे ताकतवार होता है। इस पद को संभालने वाली वह अमेरिका की पहली महिला नेता हैं। अमेरिकी राजनीति के इतिहास में नैंसी के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं। वह तीन दशक से ज्यादा समय से अमेरिकी संसद की सदस्य हैं।

अमेरिका के साथ-साथ वैश्विक राजनीति पर भी कई बार उनका गहरा असर देखने को मिला है। 2005 में बुश प्रशासन ने सामाजिक सुरक्षा का आंशिक रूप से निजीकरण का प्रयास किया था, तब अमेरिकी सरकार का पुरजोर विरोध किया था। नैंसी पेलोसी ने ही 24 सितंबर 2019 को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई शुरू करने की घोषणा की थी। नैंसी पेलोसी को अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के रेस में दूसरे नंबर पर माना जाता है।

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30 साल से चीन की चिंता बढ़ा रहीं नैंसी पेलोसी

नैंसी पेलोसी से चीन की चीढ़ करीब 30 वर्ष पुरानी है। वर्ष 1989 में चीन सरकार ने बीजिंग में हो रहे एक बड़े विरोध-प्रदर्शन को बल पूर्वक दबा दिया था। इसके बाद 1991 में नैंसी पेलोसी ने तिएनेन्मन स्क्वायर पर चीन के खिलाफ बैनर लहराया था। ये बैनर चीनी सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए प्रदर्शनकारियों के समर्थन में था। चीन के इस कदम क लेकर नैंसी काफी आक्रामक थीं।

तब चीन ने नैंसी के इस कदम की निंदा की थी। साथ ही उनकी कवरेज कर रहे पत्रकारों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया था। तब से चीन नैंसी पेलोसी से चिढ़ा हुआ है। अब नैंसी ने ताइवान का दौरा कर चीन के जेहन में 1991 के विद्रोह की यादें ताजा कर दी हैं। मालूम हो कि चीन ताइवान पर अक्सर अपना दावा करता रहता है। चीन कई बार यह भी कह चुका है कि जरूरत पड़ी तो वह जबरन ताइवान को अपने में मिला लेगा। यही वजह है कि ताइवान को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने वाले देशों से भी चीन चिढ़ा रहता है।

अमेरिका में चीन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव

1989 की घटना के बाद नैंसी पेलोसी ने चीनी सरकार के दमन के खिलाफ अमेरिकी संसद में निंदा प्रस्ताव लाने में शामिल रहीं। इसी वर्ष तिएनेन्मन स्क्वायर हिंसा की 33वीं बरसी पर नैंसी ने चीन के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने उस विरोध-प्रदर्शन को बलपूर्वक दबाने के चीन के रुख को राजनीतिक दुस्साहस की सबसे बड़ी मिसाल बताया था। साथ ही उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अत्याचारी करार दिया था।

चीन में मानवाधिकार उल्लंघन पर मुखर नैंसी

नैंसी पोलेसी चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भी काफी मुखर रही हैं। 2002 में उनकी तत्कालीन उपराष्ट्रपति हु जिंताओ के साथ एक बैठक थी। इस बैठक में नैंसी ने चीनी उपराष्ट्रपति को एक पत्र सौंपने की कोशिश की। इस पत्र में चीन और तिब्बत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हो रहे जुल्मों का जिक्र था। साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त करते हुए नैंसी ने पत्र में उनकी रिहाई की मांग की थी।

हालांकि, हु जिंताओ ने वह पत्र नहीं लिया था। सात साल बाद जब हु जिंताओ राष्ट्रपति बने, नैंसी ने फिर उन्हें पत्र भेजा। इस पत्र में भी उन्होंने चीनी सरकार द्वारा फर्जी तरीके से गिरफ्तार किए गए राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मांग रखी थी। इन कैदियों में लियु शिआओ भी शामिल थे, जिन्हें 2010 में शांति का नोबल सम्मान मिला था, लेकिन चीन ने उन्हें नार्वे जाकर पुरस्कार लेने की अनुमति नहीं दी थी।

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चीन में ओलंपिक खेलों का विरोध

चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर नैंसी लंबे समय से आवाज उठाती रही हैं। इसी के आधार पर उन्होंने चीन में ओलंपिक खेलों के आयोजन का भी विरोध किया। वर्ष 2008 में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से चीन जाकर समर ओलंपिक का उद्घाटन न करने का अनुरोध किया था। हालांकि, बुश ने उनके इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया था। इस बार भी नैंसी ने बीजिंग में विंटर ओलंपिक्स के राजनयिक बहिष्कार की वैश्विक मुहिम चलाई थी।

चीन में विगर मुस्लिमों का उत्पीड़न

चीन में मानवाधिकार उल्लंघन ही नहीं, बल्कि विगर मुस्लिमों के उत्पीड़न को भी नैंसी कई बार मुद्दा बना चुकी हैं। विंटर ओलंपिक्स के बहिष्कार के पीछे भी उन्होंने विंगर मुसलमानों के उत्पीड़न को आधार बनाया था। उनकी मुहिम पर ही अमेरिका ने इस बार बीजिंग में विंटर ओलंपिक्स का बहिष्कार किया था। नैंसी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन को घेरने का प्रयास कर चुकी हैं। यही वजह है कि नैंसी का नाम आते ही, चीन की चिंता बढ़ जाती है। हालांकि, चीन नैंसी पर झूठे बोलने का आरोप लगाता रहा है।

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14 वर्ष पूर्व नैंसी का भारत दौरा

करीब 14 वर्ष पहले वर्ष 2008 में नैंसी पेलोसी ने भारत का दौरा किया था। इस दौरे में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। साथ ही उन्होंने धर्मशाला जाकर तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा से भी विशेष मुलाकात की थी। चीन दलाई को अपना दुश्मना मानता रहा है। यही वजह है दलाई लामा से नैंसी की मुलाकात का चीन ने काफी विरोध किया था। बावजूद नैंसी ने दलाई लामा से मुलाकात की थी। वर्ष 2017 में नैंसी दोबारा भारत आईं और इस बार भी उन्होंने चीन की चिंता को दरकिनार करते हुए दलाई लामा से मुलाकात की।

अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के साथ ताइवान दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल में भारतवंशी सांसद कृष्णमूर्ति भी शामिल रहे। बुधवार को पेलोसी के ताइवान पहुंचने पर चीन भड़क गया था। डेमोक्रेट सांसद कृष्णमूर्ति प्रतिनिधि सभा की खुफिया मामलों की प्रवर समिति के सदस्य हैं।

चीन की खुले तौर पर धमकी

पेलोसी के साथ कृष्णमूर्ति ने भी ताइपे में ताइवान की राष्ट्रपति त्साइ इंग-वेन से मुलाकात की थी। चीन को स्पष्ट संदेश देने के लिए कृष्णमूर्ति और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने दलाई लामा फाउंडेशन के चेयरमैन केल्सांग ग्याल्टसेन बावा से मुलाकात की। कृष्णमूर्ति को व्यक्तिगत रूप से चीन की धमकी का सामना करना पड़ रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने चेतावनी दी है कि चीन को नजरअंदाज करने वालों को सजा मिलेगी।

 

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