कौन हैं सचिन वाजे जो फिर से चर्चा में हैं?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर संदिग्ध कार का मिलना और फिर उस कार के मालिक की अचानक मौत। ये मामला दिखता जितना सिंपल है उतना है नहीं। इस केस में कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपों की झड़ियां भी लगाई जा रही हैं। कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद देवेंद्ग फडणवीस ने एक नाम लिया और कुछ सवाल खड़े किए।
नाम- सचिन वाजे
पेशा- असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर, मुंबई पुलिस
पहचान- एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
सचिन वाजे की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां हैं जिसे आज आपको बताएंगे। सचिन के करियर की कहानी की शुरुआत साल 1990 से शुरू होती है। जब सचिन वाजे ने महाराष्ट्र पुलिस को ज्वाइन किया। पहली पोस्टिंग बतौर सब इंस्पेक्टर नक्सल प्रभावित इलाके गढ़चिरौली में हुई। साल 1992 में सचिन का ट्रांसफर मुंबई के ठाणे में हुआ। ठाणे में पोस्टिंग के दौरान सचिन वाजे ने कई केस सुलझाएं। सचिन को स्पेशल स्कॉड का इंचार्ज बनाया गया। स्पेशल स्कॉड का इंचार्ज बनाए जाने के बाद कई एनकाउंटर किए गए। ये वही दौर था जब मुंबई में अंडरवल्ड अपने चरम पर था। इस दौरान सचिन वाजे ने छोटा राजन और दाउद इब्राहिम के कई गुर्गों को मौत के घाट उतारा। इस वक्त सचिन वाजे के बडस हुआ करते थे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा।
इन सब के बीच साल 2002 का दौर आया जब मुंबई के घाटकोपर में ब्लास्ट हुआ था। 2 दिसंबर की तारीख में हुए धमाके में दो लोगों की मौत होती है और 39 लोग घायल हो जाते हैं। इस मामले में पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक नाम था ख्वाजा युनूस। वो महाराष्ट्र का रहने वाला यूनुस पेशे से इंजीनियर था और दुबई में नौकरी कर रहा था। 25 दिसंबर 2002 को मुंबई अपराध शाखा-सीआईडी द्वारा प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट (पोटा) के तहत गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने दावा किया कि यूनुस बम धमाके में शामिल था।
6 जनवरी 2003 को घाटकोपर थाने में य़ुनूस और तीन अन्य आरोपियों से पूछताछ हुई। यूनुस को आखिरी बार 6 जनवरी को जीवित देखा गया था। केस के अन्य आरोपी के अनुसार उसे पुलिस के द्वारा बुरी तरह मारा और प्रताड़ित किया गया। उसने कोर्ट में बताया कि यूनुस को नंगा करके पुलिस ने बुरी तरह मारा और उसके मुंह से खून निकल रहा था। जबकि पुलिस ने अपने बचाव में कहा कि यूनुस ने तफ्तीश के लिए औरंगाबाद ले जाने के दौरान लोनावाला में पुलिस जीप से फरार हो गया। यूनुस के परिवार ने जांच के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। कोर्ट ने महाराष्ट्र सीआईडी को जांच सौंपी। सीआईडी ने अपने रिपोर्ट में यूनुस मामले को पुलिस हिरासत में मौत का मामला बताते हुए वाजे समते तीन पुलिस वालों को सबूत छिपाने और हत्या का दोषी बताया। साल 2004 में अलग-अलग महीनों में अलग-अलग पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
शिवसेना नेता सचिन वाजे
तब से ये मामला कोर्ट में चल रहा था। साल 2018 के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई। सस्पेंनशन के तीन साल बाद नवंबर 2007 में उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद सचिन वाजे ने प्रदीप शर्मा के साथ शिवसेना ज्वाइन कर लिया। हालांकि पुलिस विभाग ने वाजे का इस्तीफा मंजूर नहीं किया। इसके चलते साल 2009 में वाजे को प्रमोशन भी मिला था। प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार सचिन वाजे औपचारिक रूप से एक शिवसेना सदस्य थे लेकिन पार्टी के किसी कार्यक्रम या आयोजन में वो नजर नहीं आते थे। उनकी सक्रियता पार्टी में ज्यादा नहीं थी।
दोबारा मुंबई पुलिस में वापसी
6 जून 2020 को खबर आई कि मुंबई पुलिस ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को 2004 में हिरासत में मौत के मामले में 16 वर्ष के निलंबन के बाद फिर से बहाल कर दिया। वाजे ने 2007 में इस्तीफा दिया था लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ था। घाटकोपर बम धमाके में यूनुस के अलावा बाकी सभी आरोपी बरी हो चुके हैं। आरोपी पुलिसकर्मियों को बहाल किए जाने पर यूनुस के परिवारवालों ने निराशा जताई। यूनुस की मां आसिया बेगम ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि अगर जिंदा होता तो उनका बेटा भी बरी हो जाता। उन्होंने कहा कि कोर्ट पर भरोसा है लेकिन आरोपियों को फिर से नौकरी देकर धोखा किया गया है।
परमबीर सिंह की अगुवाई वाली कमेटी ने लगाई मुहर
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की अगुवाई में एक रिव्यू कमिटी ने जून के महीने में वाजे के पुलिस महकमें में बहाली को मंजूरी दे दी। सचिन वाजे की वापसी पर पुलिस की ओर से कहा गया कि कोविड-19 के चलते बहुत से पुलिस वाले छुट्टी पर हैं और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए वाजे को दोबारा पुलिस में शामिल किया गया है। वैसे दया नायक और प्रदीप शर्मा के बाद वाजे तीसरे एकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं जो वापसी करने में कामयाब हुए।
मैंने जो किया वो शोहरत, पहचान और लोगों की सेवा के लिए
टाइम मैगजीन के एक बार मुंबई के डर्टी हैरीज के तौर पर सचिन वाजे का जिक्र किया था। इन ‘डर्टी हैरीज़’ में अन्य के अलावा प्रदीप शर्मा, दया नायक, रवींद्र आंगड़े, प्रफुल भोसले, और विजय सालस्कर जैसे नाम शामिल थे, जो 1990 के दशक में बहुत चर्चित हो गए थे। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार एक इंटरव्यू में सचिन वाजे ने कहा ये मेरे खून में है, मैं एक पुलिस वाला हूं। मैंने ये पैसे के लिए नहीं किया। मैंने जो किया वो शोहरत, पहचान और लोगों की सेवा के लिए था। इस इंटरव्यू के दस साल बाद सचिन वाजे जिनके बार में कहा जाता है कि उन्होंने अपने करियर में 63 लोगों का एनकाउंटर किया। एक बार फिर से एक्शन में हैं, फिर से सुर्खियों में हैं ।
सॉफ्टवेयर डेवलपर भी हैं वाजे!
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सचिन वाजे के टेक्नोलॉजी पर अच्छी पकड़ की बात कही गई। वाजे ने अपने करियर की शुरुआत ठाणे में की थी। जहां उन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर इलाके में सक्रिय सुरेश मांचेकर गिरोह पर काबू पाने में भूमिका निभाई थी। टेक्नोलॉजी पर अच्छी पकड़ के चलते उन्होंने साल 2010 में लाल बिहारी नाम की नेटवर्किंग साइट शुरू की इसके साथ ही वाजे के बतौर सॉफ्टवेयर डेवलप करने की बात कही जाती है।
टीआरपी केस और अन्वय नायक सुसाइड मामले की जांच
हाल ही में उजागर हुए टीआरपी घोटाले का जिम्मा सचिन वाजे को दिया गया। इसके अलावा अन्वय नायक खुदखुशी मामले की जांच भी वही कर रहे हैं। जिसके आरोप में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया था। अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने गई टीम को भी सचिन वाजे ही लीड कर रहे थे।
एंटीलिया केस को लेकर क्यों चर्चा में
मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली गाड़ी की साजिश किसने रची? कौन था इस सब का मास्टमाइंड? ये गुत्थी दिनों-दिन और उलझती जा रही है। जिस गाड़ी में विस्फोटक रखा गया था उसके मालिक मनसुख हिरेन की लाश मिलने से हड़कंप हो गया है। सुसाइड और मर्डर पर बड़ा सस्पेंस है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई पुलिस की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब पूरे मामले में जब मनसुख ही इकलौता हाई प्रोफाइल चेहरा था फिर उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गई।
इसके साथ ही फडणवीस ने दावा किया कि गाड़ी खराब होने से पहले मनसुख मुंबई पुलिस के संपर्क में था। मुंबई पुलिस के अफसर सचिन वाजे से मनसुख की कई बार बात हुई थी। फडणवीस ने दावा किया ये बातचीत गाड़ी चोरी होने से पहले हुई थी। मनसुख ने गाड़ी चोरी होने की शिकायत विक्रोली थाने में दर्ज कराई। लेकिन विक्रोली थाने से निकलकर वो क्राफर्ड मार्केट गए थे। जहां मुंबई पुलिस का मुख्यालय है और सचिन वाजे मुख्यालय में ही पोस्टेड थे। फडणवीस ने सचिन वाजे का नाम लेकर ये सवाल विधानसभा में भी उठाया और पूछा कि इस मामले की जांच शुरुआत में ही सचिन वाजे को सौंपी गई थी।
फिर 8 दिन बाद ही सचिन को जांच से क्यों हटाया गया। फडणवीस से मांग उठाई है कि मनसुख हिरेन क्राफर्ड मार्केट में किससे मिला। फडणवीस से ये भी पूछा कि सचिन वाजे सबसे पहले घटनास्थल पर कैसे पहुंचे? धमकी भरा पत्र भी उन्हें क्यों मिला? मनसुख की मौत को साजिश करार देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने उनकी पत्नी विमला हिरेन की कंप्लेंट कॉपी विधानसभा में पढ़ी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कंप्लेंट कॉपी के आधार पर बताया कि क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के हेड सचिन वाजे ने मनसुख की कार चार महीने पहले इस्तेमाल किया था। वे मनसुख से कई बार मिले थे। इसके साथ ही फडणवीस ने सचिन को गिरफ्तार करने की मांग की है।
फडणवीस के पांच दावे
- विमला हिरेन ने कहा है कि उनके पति का मर्डर सचिन वझे ने किया है।
- मनसुख की पत्नी ने यह सवाल भी उठाए कि उस रात को आखिर वो घर से 40 किलोमीटर दूर क्यों गए?
- फडणवीस ने सदन में कहा कि साल 2017 में फिरौती के एक मामले में सचिन वाजे और शिवसेना नेता धनंजय गावड़े आरोपी थे। मनसुख की लास्ट लोकेशन गावड़े के ऑफिस के पास ही मिली है।
- पत्नी ने आरोप लगाया कि सचिन वाजे चाहते थे कि मनसुख स्कॉर्पियो केस में आरोपी बन जाए। उन्होंने मनसुख से कहा था कि वे बाद में उन्हें जमानत पर रिहा करवा देंगे।
- देवेंद्र फडणवीस ने सवाल उठाया कि सचिन वाजे को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? उनके खिलाफ कई सबूत थे।
मैं मौके पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति नहीं: वाजे
इंडिया टुडे के साथ बात करते हुए सचिन वाजे ने कहा कि मैं मनसुख हिरेन को जानता हूं क्योंकि वह भी ठाणे से हैं। लेकिन मेरी उनसे हालिया दिनों में कोई मुलाकात नहीं हुई। वाजे ने खुलासा किया कि मनसुख हिरेन को परेशान किया जा रहा था। मनसुख हिरेन ने वास्तव में शिकायत की थी कि कुछ पुलिस अधिकारी और पत्रकार हैं जो उसे परेशान कर रहे थे। घटना के दिन सबसे पहले एंटीलिया पहुंचने के देवेंद्र फडणवीस के बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं मौके पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति नहीं था। सबसे पहले वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक गामदेवी जिसके बाद ट्रैफ़िक अधिकारी पहुँचे। इसके बाद डीसीपी जोन -2 उसके बाद बीडीडीएस टीम मौके पर पहुंची, फिर मैं अपनी क्राइम ब्रांच टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचा।