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भारत की वो एथलीट, जिसकी जिंदगी 250 रुपयों ने बदल दी,कौन है वह? - श्रीनारद मीडिया

भारत की वो एथलीट, जिसकी जिंदगी 250 रुपयों ने बदल दी,कौन है वह?

भारत की वो एथलीट, जिसकी जिंदगी 250 रुपयों ने बदल दी,कौन है वह?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत के ट्रैक एंड फील्ड इतिहास में जो रुतबा पुरुष वर्ग में कभी मिल्खा सिंह का हुआ करता था। ऐसा ही कुछ रुतबा महिला वर्ग में पीटी उषा (Pilavullakandi Thekkeparambil Usha) का था। 50 और 60 के दशक में जो उपलब्धियां मिल्खा सिंह ने हासिल कीं। कुछ ऐसे ही सफलता पीटी उषा ने 80 और 90 के दशक में हासिल की। केरल के एक गरिवार परिवार में जन्मीं पीटी उषा आज यानी 27 जून 2021 को अपना 56वां जन्मदिन मना रही हैं। उनके इस जन्मदिन पर उनसे जुड़े कुछ अहम जानकारियों के बारे में जान लीजिए।

भारतीय खेल के इतिहास में पीटी उषा का नाम एक दिग्गज के तौर पर लिया जाता है। उनको Payyoli Express के अलावा Queen of Indian Track And Field भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ाया है। हालांकि, इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस महिला के खाते में आज लाखों रुपये होंगे। उस महिला की जिंदगी महज 250 रुपयों ने बदल दी थी। हां, ये सच है, लेकिन जिस समय उनके 250 रुपये स्कॉलरशिप के तौर पर मिले थे, उस समय इन रुपयों का मोल काफी ज्यादा हुआ करता था।

दरअसल, उषा को बचपन से ही दौड़ने का शौक था, लेकिन गरीबी और अस्वस्थता ने उनके सपनों को लगभग चकनाचूर कर दिया। हालांकि, जैसे हर अंधेरी सुरंग के अंत में प्रकाश की एक किरण होती है, उषा की किस्मत ने तब बेहतरी के लिए एक मोड़ लिया जब उसे 250 रुपये की छात्रवृत्ति केरल सरकार से मिली। तब महिला खेल प्रभाग की स्थापना हुई थी। इन्हीं 250 रुपयों ने देश को उड़न परी दे दी।

आपको जानकर हैरानी होगी कि एक छोटे से गांव पायोली की रहने वालीं पीटी उषा बचपन में बीमार रहती थीं, लेकिन स्कूल में उन्होंने एक दौड़ प्रतियोगिता में अपनी सीनियर को हरा दिया, जो स्कूल चैंपियन थी। उनकी इस प्रतिभा को ओम नांबियार ने तरासा था, जो हमेशा उनके निजी कोच के तौर पर साथ रहे। असल में पीटी उषा की परीक्षा बड़े मंच पर 1980 में हुई थी, जब उन्होंने कराची में नेशनल पाकिस्तान गेम्स में 100 और 200 मीटर की रेस जीती थी।

पीटी उषा देश की पहली और सबसे युवा महिला एथलीट हैं, जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। उस समय वे 26 साल की थीं। उन्होंने 1981 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता था। 1982 के एशियन गेम्स में उन्होंने 100 और 200 मीटर की रेस में रजत पदक अपने नाम किया था। पीटी उषा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने ओलंपिक ट्रैक इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी।

1984 के लोज एंजलिस ओलंपिक खेलों में पीटी उषा 400 मीटर की रेस में चौथे स्थान पर रही थीं और कांस्य पदक महज कुछ ही पलों के अंतर के कारण हार गई थीं। ऐसा ही कुछ मिल्खा सिंह के साथ भी हुआ था। 1985 की एशियन चैंपियनशिप में पीटी उषा ने अलग-अलग प्रतियोगिताओं में पांच गोल्ड मेडल जीते थे। ये एक महिला के लिए एक इवेंट में सबसे ज्यादा पदक थे। पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

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