साइबर अपराधों में क्यों बढ़ोतरी होती जा रही है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इंटरनेट और स्मार्टफोन के विस्तार के साथ साइबर अपराधों में भी बढ़ोतरी होती जा रही है. ऐसा ही एक अपराध है लोगों को ऑनलाइन काम का लोभ दिखाकर उन्हें ठग लेना. घर बैठे कमाने और पार्ट-टाइम काम का लालच देकर लोगों को ठगने का सिलसिला कोरोना महामारी के बाद से तेजी से फैला है. इसे रोकने के क्रम में भारत सरकार ने सूचना तकनीकी कानून के तहत कार्रवाई करते हुए सौ से अधिक वेबसाइटों पर पाबंदी लगा दी है.
उल्लेखनीय है कि डाटा चुराने वाले, कर्ज देकर लोगों को फंसाने वाले, अवैध ऑनलाइन गेमिंग वाले तथा खातों में सेंध लगाने वाले कई एप को सरकार प्रतिबंधित कर चुकी है. धोखाधड़ी करने वाले अधिकतर एप की तरह ताजा आदेश में बंद किये गये वेबसाइटों का संचालन भी दूसरे देशों से किया जा रहा था. लोगों को धोखा देने के लिए ये वेबसाइटें डिजिटल विज्ञापन सेवाओं, चैट करने और संदेश वाले एप तथा भ्रामक विशाल मीडिया खातों का दुरुपयोग धड़ल्ले से कर रही थीं.
सरकार की कार्रवाई की सूचना देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने आश्वस्त किया है कि ‘साइबर सेफ इंडिया’ बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्राथमिकताओं में है. उल्लेखनीय है कि देश के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पुलिस विभाग में अलग से साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए इकाइयां बनायी गयी हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट द्वारा निगरानी के जाती है. धोखाधड़ी करने वाले आम तौर पर सेवानिवृत्त लोगों, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को आसान ऑनलाइन काम का लालच देकर फंसाते हैं. शुरू में उन्हें कुछ पैसे दिये जाते हैं और उनका भरोसा बढ़ाया जाता है. उसके बाद अधिक कमाई की संभावना बताकर उनसे अधिक निवेश करने को कहा जाता है. उस पैसे को लेकर अपराधी गायब हो जाते हैं.
चूंकि वे विदेशों में हैं, तकनीकी रूप से सक्षम हैं और उनकी पहचान भी नकली है, तो पुलिस के लिए उन्हें पकड़ पाना असंभव होता है. केंद्र और राज्य सरकारों, बैंकों तथा पुलिस महकमे के द्वारा लगातार चेतावनी दी जाती है कि लोग ऐसी धोखाधड़ी से बचें और किसी भी संदेहास्पद फोन नंबर, विशाल मीडिया हैंडल या वेबसाइट की सूचना दें.
ऐसी शिकायतों के लिए विशेष रूप से नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल बनाया गया है. सभी को इस संबंध में जागरूक होने और सचेत रहने की आवश्यकता है. ध्यान रहे, भारत उन कुछ देशों में है, जो हैकिंग और ऑनलाइन ठगी के सबसे बड़े भुक्तभोगी हैं. अनजान खातों के साथ लेन-देन करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय व्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि ठगी का धन हवाला के जरिये से बाहर ले जाया जाता है.