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क्यों 15 अगस्त को उड़ाई जाती है पतंग? - श्रीनारद मीडिया

क्यों 15 अगस्त को उड़ाई जाती है पतंग?

क्यों 15 अगस्त को उड़ाई जाती है पतंग?

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खुशी नहीं बल्कि किसी और भावना को दर्शाने के लिए उड़ाई गई थी पतंग

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

15 अगस्त, यानी स्वतंत्रता दिवस आते ही, आसमान में चारों ओर पतंगें उड़नी शुरू हो जाती हैं। सभी बच्चे अपने घरों की छत पर कई दिन पहले से ही पतंग उड़ाते नजर आ जाते हैं। सिर्फ बच्चे ही क्यों, बड़ों में भी पतंग उड़ाने का खूब जोश होता है। कई लोग तो आपस में पतंग उड़ाने का मुकाबला भी करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 15 अगस्त (Independence Day history) जैसे-जैसे करीब आने लगता है, आसमान पतंगों से क्यों ढक जाती है?

खुशी नहीं, विरोध की निशानी थी पतंग

15 अगस्त पर पतंग उड़ाने की परंपरा आज भले ही बड़ी मजेदार और खुशहाल लगती है। लोग खुश होकर पतंग उड़ाते हैं, एक-दूसरे की पतंग काटते भी हैं और काई पो चे के नारे लगाते हैं। लेकिन इसकी शुरूआत खुशहाल नहीं है। आजादी से पहले साइमन कमिशन के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए लोगों ने 1928 में साइमन गो बैक (Simon Go Back) के नारे लगाए थे। इस विरोध को और गति देने के लिए लोगोंं ने पतंग पर साइमन गो बैक लिखकर आसमान में उड़ाया था। उस समय आज की तरह तिंरगे या रंग-बिरंगी पतंगों को नहीं उड़ाया गया था। अपना आक्रोश दर्शाने के लिए लोगों ने काले रंग की पतंग उड़ाई थी।

कैसे बनी स्वतंत्रता का प्रतीक?

हालांकि, आजादी के बाद पतंग उड़ाने की ये परंपरा बरकरार रही और अब लोग इस आजादी के प्रतीक के रूप में उड़ाते हैं। आकाश में हवा में लहराती पतंग इस बात को दर्शाती है कि भारत भी अब आजाद है और खुलकर अपनी उड़ान भर सकता है। इस साल 15 अगस्त को भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर आजादी हासिल करने के लिए हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी और बहादुरी के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए भी इस दिन आजादी के जश्न को पतंग उड़ाकर मनाया जाता है। आसमान में फहराते अपने तिरंगे झंडे के साथ-साथ कई तिरंगे के रंग की पतंगें भी आसमान से भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई की गाथा को बयां करती हैं।

15 अगस्त के खास मौके पर पतंग उड़ाने का महत्व भले ही बहुत खास है, लेकिन इसके कारण कई दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि पतंग उड़ाते समय आप कुछ खास बातों का ख्याल रखें, ताकि आपको और आपके आस-पास के लोगों या किसी जीव को कोई नुकसान न पहुंचे।

तिरंगे का इतिहास और महत्व

दुनिया में हर देश का अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो एक स्वतंत्र देश का प्रतीक होता है। हमारा तिरंगा भी हमारी आजादी का प्रतीक है। 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारत की आजादी से कुछ दिन पहले 22 जुलाई, 1947 को आयोजित हुई संविधान सभा की बैठक में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। 15 अगस्त, 1947 से 26 जनवरी, 1950 के बीच यह भारत के डोमिनियन के ध्वज के रूप में कार्य करता था। साल1950 के बाद यह भारत गणराज्य का प्रतीक बन गया।

तिरंगे में कितने रंग

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं। इसमें सबसे ऊपर गहरा केसरिया (केसरी), बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है। इसके अलावा बीच में 24 तीलियों वाला एक नेवी ब्लू व्हील या चक्र होता है। यह अशोक के सारनाथ सिंह स्तंभ के एबेकस पर दिखाई देने वाले डिजाइन के समान है और इसका व्यास सफेद बैंड की चौड़ाई के बराबर है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात दो से तीन है।

तिरंगे के तीन रंगों का अर्थ

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। वहीं सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई को दर्शाता है और हरा रंग भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता को दर्शाता है। इसके अलावा बीच में मौजूद धर्म चक्र मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाई गई सारनाथ राजधानी में “कानून के पहिये” को दर्शाया है। यह दर्शाता है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।

दरअसल, अशोक चक्र की 24 तीलियां इंसान के 24 गुणों को दिखाती हैं, जिसे कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है। आपको बताते हैं अशोक चक्र के 24 तीलियों के महत्व के बारे में।

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