फ्लाइट में यात्रियों का अभद्र व्यवहार क्यों हो रहा है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय एयरलाइन इंडिगो ने एक यात्री को नो-फ्लाई लिस्ट में जोड़ने की प्रक्रिया शुरु की है। दिल्ली में घने कोहरे के बीच उड़ान में काफी देरी होने के बाद व्यक्ति ने अभद्र व्यवहार के कारण पायलट पर हमला कर दिया।

  • एयरलाइन ने यात्री को “अभद्र” घोषित कर दिया और आगे की कार्रवाई उड्डयन निगरानी संस्था :नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), द्वारा जारी “अभद्र यात्रियों से निपटने” पर नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (CAR) द्वारा निर्देशित की जाएगी।

अभद्र व्यवहार क्या है?

  • परिचय:
    • अभद्र व्यवहार में शराब या नशीली दवाओं का सेवन करना, जिसके परिणामस्वरूप विघटनकारी व्यवहार होता है, धूम्रपान करना, पायलट के निर्देशों का पालन न करना, धमकी या अपमानजनक भाषा का उपयोग करना, शारीरिक रूप से धमकी देना अथवा अपमानजनक व्यवहार करना, चालक दल के कर्त्तव्यों में जानबूझकर हस्तक्षेप करना और साथ ही विमान सुरक्षा को खतरे में डालना शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।
  • विघटनकारी/अभद्र व्यवहार के स्तर:
    • स्तर 1: मौखिक उत्पीड़न, शारीरिक हाव-भाव, अनियंत्रित नशा।
    • स्तर 2: शारीरिक रूप से अपमानजनक व्यवहार, जिसमें धक्का देना, लात मारना, मारना, अनुचित स्पर्श या यौन उत्पीड़न शामिल हैं।
    • स्तर 3: जीवन-घातक व्यवहार, जैसे– विमान प्रणालियों को हानि पहुँचाना, शारीरिक हिंसा अथवा उड़ान चालक दल के डिब्बे में सेंध लगाने का प्रयास करना।

अभद्र व्यवहार पर एयरलाइंस कैसे प्रतिक्रिया देती हैं?

  • अभद्र व्यवहार पर प्रतिक्रिया:
    • दिशा-निर्देशों के अनुसार एयरलाइन को यात्रियों को सूचित करना चाहिये कि अभद्र व्यवहार के कारण गिरफ्तारी हो सकती है।
    • ऐसे मामलों में जहाँ केबिन क्रू उड़ान के दौरान किसी अभद्र यात्री को नियंत्रित नहीं कर सकता है, पायलट को स्थिति का आकलन करना चाहिये और यदि आवश्यक हो, तो निकटतम उपलब्ध हवाई अड्डे पर उतरना चाहिये।
    • उतरने पर संबंधित सुरक्षा एजेंसी के पास एक FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट), दर्ज की जानी चाहिये, साथ ही अभद्र यात्री को उन्हें सौंप दिया जाना चाहिये।
  • घटना के बाद की प्रक्रिया:
    • एयरलाइन को अनियंत्रित व्यवहार की शिकायत एक आंतरिक समिति को भेजनी चाहिये, जिसमें एक सेवानिवृत्त ज़िला और सत्र न्यायाधीश, एक अलग एयरलाइन का एक प्रतिनिधि तथा एक यात्री संघ का प्रतिनिधि शामिल हो।
    • आंतरिक समिति को 30 दिनों के भीतर मामले पर निर्णय लेना होगा, घटना को तीन परिभाषित स्तरों में से एक में वर्गीकृत करना होगा, साथ ही अभद्र यात्री पर प्रतिबंध की अवधि निर्धारित करनी होगी।
  • अनियंत्रित व्यवहार के लिये दंड:
    • एयरलाइन 30 दिनों तक का तत्काल प्रतिबंध लगा सकती है।
    • एयरलाइंस द्वारा साझा किये गए डेटा के आधार पर DGCA द्वारा एक नो-फ्लाई सूची बनाई जाती है।
    • अन्य वाहक भी अलग-अलग अवधि के लिये अपराध के स्तर के आधार पर यात्रियों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं।

भारत के नागरिक  उड्डयन बाज़ार का आकार क्या है?

  • यात्री यातायात वृद्धि: 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा उड्डयन बाज़ार है।
    • , जो महामारी-पूर्व स्तर (वर्ष 2019 में 14.4 करोड़ यात्री) को पार कर गया।
  • विकास की संभावना: 
    • भारत के नागरिक उड्डयन बाज़ार में महत्त्वपूर्ण विकास क्षमता है, बड़ी आबादी को देखते हुए जिसका अभी भी दोहन नहीं हुआ है। जैसे-जैसे अधिक लोग मध्यम वर्ग में शामिल हो रहे हैं तथा हवाई यात्रा अधिक सुलभ हो रही है, उड़ानों की मांग और बढ़ने की उम्मीद है।
  • सरकारी पहल: 
    • भारत सरकार ने उड्डयन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना जैसे कदम भी उठाए हैं, जिसका उद्देश्य व्यापक आबादी के लिये हवाई यात्रा को किफायती और सुलभ बनाकर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
  • पूर्वानुमानित वृद्धि: 
    • नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation – DGCA) के अनुसार, वर्ष 2024 के लिये दृष्टिकोण निरंतर वृद्धि का सुझाव देता है, वर्ष 2023 की तुलना में घरेलू हवाई यातायात में 5% से 15% तक की वृद्धि का अनुमान है।

अनियंत्रित व्यवहार को नियंत्रित करने वाले नियम क्या हैं?

  • विमान नियम, 1937:
    • विमान नियम, 1937 का गठन विमान अधिनियम, 1934 के अनुसरण में किया गया था। उपद्रवी यात्रियों को भारतीय दंड संहिता, 1860 के साथ संयुक्त रूप से पढ़े जाने वाले इस अधिनियम के तहत शासित किया गया था।
    • यह कानून आदर्श व्यवहार बताता है जिसकी यात्रियों से अपेक्षा की जाती है।
  • नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA):
    • नागरिक उड्डयन महानिदेशालय प्रमुख नियामक संस्था है जो मुख्य रूप से भारत में नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करती है। यह सुरक्षा मुद्दों से निपटने, हवाई परिवहन सेवाओं के विनियमन, नागरिक हवाई नियमों और विनियमों को लागू करने तथा ऐसे अन्य कार्यों के लिये ज़िम्मेदार है।
      • यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के साथ भी अपने कामकाज का समन्वय करता है। इस निकाय का एक मुख्य कार्य वायु सुरक्षा और उड़ान योग्यता मानकों को सुनिश्चित करना है।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, 2014:
    • वर्ष 2014 का मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल वर्ष 1963 के टोक्यो कन्वेंशन का एक संशोधन है। यह विशेष रूप से विमान में अनियंत्रित व्यवहार के मुद्दे को उजागर करता है
    • यह प्रोटोकॉल विमान में होने वाले अपराधों और अन्य कृत्यों से निपटने के लिये कानूनी अवसंरचना को बढ़ाता है।
    • यह संबद्ध राज्य के क्षेत्राधिकार का प्रावधान करता है जिसमें विमान पंजीकृत है एवं उस राज्य को अपराधियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
    • टोक्यो अभिसमय:
      • टोक्यो अभिसमय (वायुयानों पर किये गए अपराधों तथा कुछ अन्य कार्यों से संबंधित कन्वेंशन को प्रभावी करने के लिये अधिनियम) को वर्ष 1963 में अपनाया गया था।
      • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसके तहत नागर विमानन में होने वाले विधि-विरुद्ध कृत्यों का समाधान किया जाता है।
      • यह अभिसमय वायुयान कमांडर तथा अन्य संबंधित अधिकारियों को वायुयान में, विशेषकर उड़ान के दौरान किये गए अपराधों से निपटने के लिये कुछ शक्तियाँ प्रदान करता है।

अनियंत्रित व्यवहार पर नियंत्रण रखने हेतु क्या कदम आवश्यक हैं?

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, 2014 तथा टोक्यो अभिसमय:
    • वर्ष 2014 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसमर्थन को प्राथमिकता देना जिसके माध्यम से वर्ष 1963 के टोक्यो अभिसमय में संशोधन किया गया था।
    • अनुसमर्थन की सहायता से वायुयान में अपराधों एवं अनियंत्रित व्यवहार से निपटने हेतु एक स्पष्ट कानूनी ढाँचा स्थापित होता है जिससे विधिक प्रतिक्रियाओं में एकरूपता सुनिश्चित होती है।
  • CAT III-सक्षम रनवे का संचालन:
    • अल्प दृश्यता की स्थिति को संभालने की क्षमता बढ़ाने के लिये हवाई अड्डों पर (श्रेणी-III) CAT III-सक्षम रनवे के संचालन में तेज़ी लाना।
    • CAT III संचालन का समर्थन करने के लिये प्रासंगिक बुनियादी ढाँचा तथा उपकरण की मौजूदगी हैं सुनिश्चित करना।
  • DGCA द्वारा SOP निर्गमन:
    • नागर विमानन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation- DGCA) को प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान यात्रियों के बेहतर संचार तथा सुविधा के लिये एक व्यापक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) जारी करने का निर्देश देना
    • SOP को उड़ान रद्द होने तथा देरी की स्थिति में यात्रियों की परेशानी को कम करने, एयरलाइंस, हवाई अड्डों एवं ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना की आवश्यकता है।
  • बेहतर संचार प्रोटोकॉल:
    • उड़ान की स्थिति तथा देरी के बारे में समय पर एवं सटीक जानकारी प्रदान करने के लिये एयरलाइंस, हवाई अड्डों व यात्रियों के बीच मज़बूत संचार प्रोटोकॉल स्थापित करना।
    • यात्रियों को सूचित रखने के लिये मोबाइल ऐप, SMS तथा सोशल मीडिया सहित आधुनिक संचार चैनलों का उपयोग करना।
  • अनियंत्रित यात्रियों को संभालने हेतु चालक दल को प्रशिक्षण:
    • अनियंत्रित यात्रियों को प्रभावी ढंग से संभालने एवं संभावित संघर्षों को कम करने के लिये एयरलाइन कर्मचारियों के लिये विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
    • अनियंत्रित व्यवहार की रिपोर्टिंग तथा प्रबंधन के लिये कानूनी ढाँचे और प्रक्रियाओं के बारे में क्रू जागरूकता बढ़ाना।
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