हजारों लोग मोबाइल फोन के द्वारा ठगी का निशाना क्यों हो रहे हैं?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इंटरनेट और डिजिटल तकनीक के तेज विस्तार के साथ साइबर अपराधों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 में ऐसे अपराध के 2.08 लाख से कुछ ज्यादा मामले सामने आये थे, पर 2021 तक इनमें 572 फीसदी की वृद्धि हुई और यह आंकड़ा 14 लाख से भी अधिक हो गया. उल्लेखनीय है कि 2018 की संख्या से कहीं अधिक अपराध इस वर्ष के पहले दो महीने में ही हुए हैं.
इनमें हैकिंग और डेटा चोरी के प्रयासों के अलावा फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के मामले बड़ी तादाद में हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े उन मामलों की जानकारी देते हैं, जिनमें अपराध की शिकायत दर्ज करायी गयी. ब्यूरो के अनुसार, 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग, एटीएम, क्रेडिट और डेबिट कार्ड तथा ओटीपी से जुड़ी धोखाधड़ी की हजारों शिकायतें आयी थीं.
आये दिन खबरों में हम फर्जीवाड़ा की घटनाओं के बारे में पढ़ते-सुनते हैं. ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत है, जो अमूमन अपने साथ हुई ऐसी घटना की शिकायत पुलिस के पास नहीं ले जाते. बैंकिंग संस्थाएं और पुलिस विभाग की ओर से निरंतर आगाह किया जाता है कि लोगों को सावधान रहना चाहिए और ईमेल या फोन के द्वारा किसी अनजान व्यक्ति को अपने खाते या ओटीपी की जानकारी नहीं साझा करनी चाहिए तथा ऐसी किसी भी प्रयास के बारे में तुरंत जानकारी देनी चाहिए,
लेकिन अब भारत की टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ऐसी वारदातों को रोकने की दिशा में अहम कदम उठाने पर विचार कर रही है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिजिटल तकनीक का एक अत्याधुनिक क्षेत्र है. अनेक क्षेत्रों में गूढ़ डेटा विश्लेषण और निगरानी की लिए इसका उपयोग किया जा रहा है. इसके जरिये सिम कार्डों और फोन करनेवाले के स्थान की तुरंत पहचान की प्रणाली स्थापित करने का प्रयास हो रहा है.
दूरसंचार विभाग के आग्रह पर यह व्यवस्था की जा रही है. आज की तारीख में हर रोज हजारों लोग ऑनलाइन और मोबाइल फोन के द्वारा की जा रही ठगी का निशाना बन रहे हैं तथा अपने पैसे गंवा रहे हैं. ऐसे में इस तरह के उपायों की जरूरत है क्योंकि तकनीक ही बड़े पैमाने पर निगरानी कर सकती है. पिछले साल मार्च में इसी प्रकार की एक कोशिश के तहत ट्राई ने एक अन्य नयी तकनीक ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर बैंकों और रिटेल स्टोर चेन जैसी पंजीकृत इकाइयों को ही व्यावसायिक एसएमएस भेजने की अनुमति दी थी.
झारखंड के जामताड़ा के साथ राजस्थान व उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा मेवात क्षेत्र ऑनलाइन फर्जीवाड़ा का बड़ा केंद्र बन गया है, लेकिन देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे असंख्य गिरोह इस अपराध में संलग्न हैं. जानकारों की मानें, तो फर्जी नाम से सिम कार्ड जुटाने का देशव्यापी नेटवर्क सक्रिय है, पर अब यह उम्मीद की जा सकती है कि नयी तकनीकों के जरिये धोखाधड़ी के अलावा ब्लैकमेल, उगाही, धमकी, पहचान चोरी करने जैसे अन्य साइबर अपराधों को भी रोकने में मदद मिलेगी.